लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए एक पूरे समुदाय को बदनाम करने वाली फिल्म की अनुमति देना अकल्पनीय: 'उदयपुर फाइल्स' पर बोले कपिल सिब्बल
Shahadat
17 July 2025 4:48 AM

सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि फिल्म "उदयपुर फाइल्स: कन्हैया लाल टेलर मर्डर" एक खास समुदाय के खिलाफ नफरत पैदा कर रही है।
विवादास्पद फिल्म से संबंधित राहत की मांग करने वाली याचिकाओं की सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा,
"[उदयपुर फाइल्स] फिल्म हिंसा पैदा करती है, यह एक पूरे समुदाय को बदनाम करती है।"
सीनियर एडवोकेट ने ज़ोर देकर कहा कि एक लोकतांत्रिक देश में लाखों लोगों को ऐसी फिल्म देखने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, जो एक समुदाय के खिलाफ नफरत पैदा करती हो।
यह मामला जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ के समक्ष है, जिन्होंने फिल्म के प्रमाणन के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका पर केंद्र के फैसले का इंतजार करने के लिए सुनवाई स्थगित कर दी।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी (दिल्ली हाईकोर्ट में रिट याचिकाकर्ता) की ओर से पेश हुए सिब्बल ने पीठ को बताया कि उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा अनुमत प्राइवेट स्पेशल स्क्रीनिंग में फिल्म देखी है। हाईकोर्ट ने सुझाव दिया था कि उन्हें यह देखने के लिए फिल्म देखनी चाहिए ताकि पता चल सके कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड द्वारा 55 कट लगाने के बाद भी कोई आपत्तिजनक सामग्री बची है या नहीं। सिब्बल के अनुसार, संशोधित संस्करण भी आपत्तिजनक है। उन्होंने आरोप लगाया कि फिल्म सांप्रदायिक एजेंडे को बढ़ावा देती है।
उन्होंने कहा,
"हाईकोर्ट ने हमें फिल्म देखने के लिए कहा तो मैंने खुद फिल्म देखी। फिल्म देखने के बाद मैं पूरी तरह से हिल गया। अगर कोई जज इसे देखे तो [स्तब्ध रह जाएगा]। यह समुदाय के खिलाफ नफरत का एक संपूर्ण विषयगत शोध प्रबंध है... बस फिल्म देखिए। यह हिंसा को जन्म देती है। यह हिंसा के बीज बोती है। यह पूरे समुदाय को बदनाम करती है। फिल्म में समुदाय का एक भी सकारात्मक पहलू नहीं दिखाया गया... हिंसा, नफरत, समलैंगिकता, एक समुदाय द्वारा महिलाओं का अपमान, बाल शोषण और न्यायिक मामले... यह अकल्पनीय है कि एक लोकतांत्रिक देश इस तरह की फिल्म को प्रमाणित होने देगा... मुझे नहीं लगता कि किसी भी देश में इस तरह के एजेंडे को लाखों लोगों को देखने की अनुमति दी जानी चाहिए।"
फिल्म निर्माता की ओर से सीनियर एडवोकेट गौरव भाटिया ने सिब्बल का विरोध करते हुए कहा कि फिल्म एक व्यक्ति की वास्तविक जीवन में हुई हत्या पर आधारित है। किसी भी समुदाय के खिलाफ नहीं। उन्होंने आगे कहा कि संदेश कट्टरपंथी तत्वों के खिलाफ और पीड़ितों के परिवारों पर ऐसी घटनाओं के प्रभाव के बारे में दिया जाना था।
हालांकि, सिब्बल ने अपना रुख बरकरार रखते हुए कहा कि फिल्म मुस्लिम समुदाय के बारे में एक भी सकारात्मक पहलू नहीं दिखाती। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि फिल्म न्यायिक मामलों को भी दर्शाती है, जिसका समर्थन सीनियर एडवोकेट मेनका गुरुस्वामी ने भी किया, जो कन्हैया लाल हत्याकांड के एक अभियुक्त की ओर से पेश हुईं।
Case Title: MOHAMMED JAVED Versus UNION OF INDIA AND ORS., W.P.(C) No. 647/2025 and JANI FIREFOX MEDIA PVT. LTD v. MAULANA ARSHAD MADANI AND ORS, SLP(C) No. 18316/2025