बढ़ई को अकुशल कर्मचारी के रूप में वर्गीकृत करना अनुचित; बढ़ईगीरी कुशल काम: सुप्रीम कोर्ट
Shahadat
27 Jan 2025 9:07 AM

मोटर दुर्घटना मुआवजा बढ़ाने की अपील पर फैसला करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बढ़ई को अकुशल कर्मचारी नहीं माना जा सकता।
यह मामला एक बढ़ई द्वारा किए गए दावे के बारे में था, जिसने 2014 में एक मोटर वाहन दुर्घटना के बाद अपना दाहिना हाथ खो दिया। चूंकि उसकी आय के बारे में कोई दस्तावेजी सबूत नहीं था, इसलिए कोर्ट ने कहा कि उसे कुशल श्रमिकों के लिए अधिसूचित न्यूनतम मजदूरी पर निर्भर रहना होगा।
कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि अकुशल श्रमिकों पर लागू न्यूनतम मजदूरी लागू की जानी चाहिए।
जस्टिस संजय करोल और जस्टिस मनमोहन की खंडपीठ ने कहा:
"एक बढ़ई वह व्यक्ति होता है, जो लकड़ी का उपयोग करता है और दैनिक उपयोग या सुंदरता या कुछ देशों में आवास के लिए वस्तुओं का निर्माण करता है। एक सामान्य व्यक्ति, जो शिल्प में प्रशिक्षित नहीं है, निश्चित रूप से इन गतिविधियों को उस स्तर की सटीकता के साथ नहीं कर सकता है, जो आवश्यक है। तो, एक बढ़ई को अकुशल श्रमिक के रूप में वर्गीकृत करना अनुचित होगा।"
खंडपीठ ने उड़ीसा राज्य बनाम अद्वैत चरण मोहंती 1995 सप (1) एससीसी 470 के फैसले में की गई टिप्पणियों का हवाला दिया, जिसमें "कारीगर" की परिभाषा के अनुसार वह व्यक्ति शामिल है, जो किसी ऐसे व्यापार, शिल्प या कला में कुशल है, जिसमें शारीरिक निपुणता की आवश्यकता होती है। उस फैसले में बढ़ई को कारीगर के उदाहरण के रूप में उद्धृत किया गया। साथ ही नीता बनाम महाराष्ट्र एसआरटीसी (2015) 3 एससीसी 590 में यह देखा गया कि बढ़ईगीरी कुशल काम है।
इसलिए न्यायालय ने पंजाब के श्रम आयुक्त कार्यालय द्वारा जारी प्रासंगिक समय के दौरान प्रचलित कुशल श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी लागू की।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट द्वारा निर्धारित 8,26,000 रुपये से मुआवजा बढ़ाकर 15,91, 625 रुपये कर दिया। मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण ने 6,83,982 रुपये का मुआवजा दिया था।
केस टाइटल: करमजीत सिंह बनाम अमनदीप सिंह और अन्य