विचाराधीन कैदियों को शीघ्र रिहा करने के लिए उन्हें कानूनी सहायता प्रदान करें : प्रधानमंत्री मोदी ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों से आग्रह किया
Shahadat
30 July 2022 12:56 PM IST
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानूनी सहायता के अभाव में जेल में बंद विचाराधीन कैदियों के मुद्दे को रेखांकित करते हुए शनिवार को जिला कानूनी सेवा प्राधिकरणों (District Legal Services Authorities) से जिला स्तरीय विचाराधीन समीक्षा समितियों में अपनी स्थिति का उपयोग करके विचाराधीन कैदियों की रिहाई में तेजी लाने का आग्रह किया।
नालसा ( National Legal Services Authority) द्वारा आयोजित अखिल भारतीय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) की पहली पहली बैठक में बोलते हुए पीएम ने कहा कि इस बैठक के उद्घाटन के लिए जो समय चुना गया वह न केवल उपयुक्त है, बल्कि ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी उपयुक्त है। भारत जल्द ही अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है।
न्याय की सुगमता पर जोर देते हुए प्रधान मंत्री ने कहा कि न्याय की सुगमता उतनी ही महत्वपूर्ण है जितना कि व्यवसाय करने और जीवनयापन में आसानी। एनएलएसए और डीएलएसए इस संबंध में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
कानूनी सहायता से संबंधित अनुच्छेद 39ए का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि हमारी न्यायपालिका में लोगों का विश्वास इस तरह से स्थापित किया गया है कि हमारे देश का हर सामान्य व्यक्ति यह मानता है कि उसके लिए न्यायपालिका के दरवाजे हमेशा खुले हैं, भले ही उसकी समस्याओं को सुनने के लिए कोई न हो।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह भी कहा कि पिछले 8 वर्षों के दौरान, सरकार न्यायिक बुनियादी ढांचे और न्याय वितरण तंत्र को मजबूत करने के लिए अथक प्रयास कर रही है। इसके लिए सरकार ने 9000 करोड़ रुपये की राशि भी स्वीकृत की है।
प्रधानमंत्री ने कहा,
जिला न्यायालयों द्वारा एतक करोड़ मामले और हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में 60 लाख मामलों की वीसी के माध्यम से सुनवाई हो चुकी है।
उन्होंने COVID-19 के दौरान वर्चुअल कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामलों की सुनवाई के लिए न्यायपालिका की भी सराहना की।
पीएम ने कहा,
"ई-कोर्ट मिशन के माध्यम से वर्चुअल कोर्ट शुरू किए गएं। यहां तक कि यातायात उल्लंघन जैसे अपराधों के लिए अदालतें पहले से ही काम करना शुरू कर चुकी हैं। जिला अदालतों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एक करोड़ से अधिक मामलों और 60 लाख से अधिक मामलों की सुनवाई की गई है। अब जिस मंच को हमने COVID-19 के दौरान अपनाया था, उसे अदालत के दैनिक कामकाज में भी स्वीकार किया गया है।"
संविधान के तहत नागरिकों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली तकनीक पर जोर देते हुए पीएम ने लोगों के विकास के लिए अगली पीढ़ी की तकनीकों को अपनाने का भी सुझाव दिया।