'Udaipur Files' Film Case: सुप्रीम कोर्ट को पुनर्विचार याचिका पर केंद्र के फैसले का इंतज़ार, कहा- सुविधा का संतुलन आपत्तिकर्ताओं के पक्ष में
Shahadat
16 July 2025 6:47 AM

सुप्रीम कोर्ट ने विवादास्पद फिल्म "उदयपुर फाइल्स: कन्हैया लाल टेलर मर्डर" से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई स्थगित की। कोर्ट ने यह देखते हुए सुनवाई स्थगित की कि केंद्र सरकार दोपहर 2.30 बजे फिल्म के CBFC सर्टिफिकेटशन के खिलाफ पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसे उम्मीद है कि केंद्र की समिति "बिना समय गंवाए" तुरंत अपना फैसला लेगी और फिल्म निर्माताओं द्वारा व्यक्त की गई तात्कालिकता को देखते हुए मामले की सुनवाई अगले सोमवार तक के लिए स्थगित की।
चूंकि फिल्म के निर्माता और निर्देशक के साथ-साथ मारे गए कन्हैया लाल के बेटे ने भी कहा था कि उन्हें जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं, इसलिए अदालत ने उन्हें क्षेत्र के एसपी/पुलिस आयुक्त के समक्ष अपना पक्ष रखने की अनुमति दी। उन्हें निर्देश दिया गया कि वे खतरे का आकलन करें और अगर उनकी आशंका में कोई दम है तो नुकसान को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ दो याचिकाओं पर विचार कर रही थी - पहली, कन्हैया लाल तेली हत्याकांड (जिस पर यह फिल्म आधारित है) के एक आरोपी द्वारा दायर रिट याचिका, और दूसरी, फिल्म के निर्माताओं द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने के खिलाफ दायर याचिका।
आरोपी मोहम्मद जावेद की ओर से सीनियर एडवोकेट मेनका गुरुस्वामी ने दलील दी कि याचिकाकर्ता इस आधार पर फिल्म की रिलीज को चुनौती दे रहा है कि इससे निष्पक्ष सुनवाई का उसका अधिकार प्रभावित होगा। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी (दिल्ली हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता, जिन्हें केंद्र के समक्ष पुनर्विचार याचिका दायर करने की अनुमति दी गई) की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने खंडपीठ को सूचित किया कि केंद्र सरकार आज (बुधवार) दोपहर 2.30 बजे मामले की सुनवाई करेगी।
इस मोड़ पर पीठ ने यह विचार व्यक्त किया कि वह केंद्र के फैसले का इंतजार करना पसंद करेगी।
हालांकि, फिल्म निर्माता जानी फायरफॉक्स मीडिया प्राइवेट लिमिटेड की ओर से सीनियर एडवोकेट गौरव भाटिया ने कहा कि याचिकाकर्ता ने फिल्म की रिलीज को चुनौती दी। लिमिटेड ने हाईकोर्ट के आदेश को त्रुटिपूर्ण बताते हुए न्यायालय से मामले की आज ही सुनवाई करने का आग्रह किया।
भाटिया ने दलील दी कि एक बार जब फिल्म को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) द्वारा प्रमाणित कर दिया जाता है तो इसकी वैधता की धारणा बनती है। उन्होंने तर्क दिया कि अंतिम समय में फिल्म की रिलीज पर रोक लगाकर और याचिकाकर्ताओं को केंद्र के समक्ष पुनर्विचार याचिका दायर करने की अनुमति देकर हाईकोर्ट ने गलती की।
हालांकि, खंडपीठ ने कहा कि सिनेमैटोग्राफी अधिनियम 1952 की धारा 6 केंद्र सरकार को किसी फिल्म का प्रमाणन रद्द करने का अधिकार देती है। हाईकोर्ट ने केवल याचिकाकर्ताओं को ही वैधानिक उपाय का लाभ उठाने की अनुमति दी है।
जवाब में भाटिया ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की विश्वसनीयता की जांच किए बिना ही आदेश पारित कर दिया और स्थगन आदेश निर्माताओं के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के साथ-साथ उनके व्यवसाय करने के अधिकार का भी उल्लंघन करता है।
Case Title: MOHAMMED JAVED Versus UNION OF INDIA AND ORS., W.P.(C) No. 647/2025 and JANI FIREFOX MEDIA PVT. LTD v. MAULANA ARSHAD MADANI AND ORS, SLP(C) No. 18316/2025