त्रिपुरा हिंसा : सुप्रीम कोर्ट वकीलों और पत्रकारों के खिलाफ लगाए गए यूएपीए एक्ट को चुनौती देने वाली याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने पर सहमत
LiveLaw News Network
11 Nov 2021 12:41 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राज्य में हालिया सांप्रदायिक हिंसा के संबंध में पत्रकारों, वकीलों और कार्यकर्ताओं के सोशल मीडिया पोस्ट पर त्रिपुरा पुलिस द्वारा यूएपीए लगाने को चुनौती देने वाली याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की।
सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हेमा कोहली की बेंच के समक्ष एडवोकेट प्रशांत भूषण ने मामले का उल्लेख किया और मामले की तत्काल सुनवाई की मांग की।
भूषण ने कहा,
"यह त्रिपुरा की घटनाओं, एफआईआर और फैक्ट फाइंडिंग मिशन पर गए वकीलों को 41ए नोटिस जारी करने के संबंध में है, क्योंकि कुछ ने ट्वीट किया कि त्रिपुरा जल रहा है आदि।"
भूषण ने न्यायालय को यह भी बताया कि याचिका में यूएपीए के दो प्रावधानों को चुनौती दी गई है जिनका दुरुपयोग बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। इसमें गैरकानूनी गतिविधियों की व्यापक परिभाषा का सवाल भी शामिल है।
सीजेआई ने पूछा,
"आप हाईकोर्ट के समक्ष क्यों नहीं गए?"
भूषण ने कहा कि उन्होंने हाईकोर्ट का रुख नहीं किया है, क्योंकि उन्होंने यूएपीए को भी चुनौती दी है।
भूषण ने कहा,
"कृपया इसे सूचीबद्ध करें, क्योंकि ये लोग आसन्न खतरे में हैं।"
सीजेआई ने कहा,
"बंडल सर्कुलेट करें। हां, मैं एक तारीख दूंगा।"
त्रिपुरा पुलिस ने हाल ही में दो वकीलों के खिलाफ कठोर आतंकवाद विरोधी कानून गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) लागू किया। ये वकील हाल ही में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बारे में एक तथ्य-खोज रिपोर्ट प्रकाशित करने वाली टीम का हिस्सा थे। त्रिपुरा में हुई सांप्रदायिक हिंसा ने राज्य को हिलाकर रख दिया।
पश्चिम अगरतला पुलिस ने दिल्ली स्थित मानवाधिकार वकीलों के लिए पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज के मुकेश और नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स के अंसार इंदौरी को नोटिस दिया कि उनके खिलाफ उनके सोशल मीडिया पोस्ट और बयानों के आधार पर यूएपीए की धारा 13 (गैरकानूनी गतिविधियों के लिए सजा) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस ने पत्रकार श्याम मीरा सिंह को भी "त्रिपुरा बर्निंग" ट्वीट करने के लिए यूएपीए नोटिस दिया।