2018 की गणना के अनुसार 53 टाइगर रिजर्व में 2967 बाघ हैं: सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने बताया

Shahadat

28 Jan 2023 1:12 PM GMT

  • 2018 की गणना के अनुसार 53 टाइगर रिजर्व में 2967 बाघ हैं: सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने बताया

    सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने शुक्रवार को बताया कि 2018 की गणना के अनुसार देश में कुल मिलाकर 53 टाइगर रिजर्व में 2967 बाघ हैं।

    जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की खंडपीठ को बताया गया कि यह संख्या विश्व बाघों की आबादी का 70% भी है और आंकड़े का बढ़ना जारी है। न्यायालय देश में बाघों की आबादी को बचाने के लिए आरक्षित वनों से मानव बस्तियों को ट्रांसफर करने के उद्देश्य से दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

    सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने डेटा का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि याचिका का निस्तारण किया जा सकता है, क्योंकि क्षेत्र में पहले ही काफी काम हो चुका है।

    याचिकाकर्ता सुनवाई के लिए उपस्थित नहीं हुआ। इसलिए अदालत ने कहा कि वह मामले को स्थगित कर देगी, जिससे याचिकाकर्ता अगली सुनवाई के लिए उपस्थित हो सके।

    पीठ ने कहा,

    अगर वह पेश नहीं होते हैं तो हम एमिक्स क्यूरी नियुक्त करेंगे।

    मामले की अगली सुनवाई 4 मार्च को होगी।

    खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई के दौरान पूछा,

    "तो, दुनिया में 5000 से कम बाघ हैं?"

    एएसजी ने कहा,

    हां। वे विलुप्त होने के कगार पर हैं।

    बेंच ने आगे पूछा,

    “कितने बाघ हैं? कोई इसके बारे में नहीं पूछ रहा है?”

    एएसजी ने कहा कि कोर्ट 8 में याचिका सूचीबद्ध है। हालांकि, इस पर विचार नहीं किया जा सका, क्योंकि बेंच दिन के लिए उपलब्ध नहीं थी।

    जस्टिस जोसेफ ने मजाक में कहा,

    "कोई इंसानों के बारे में नहीं पूछता!"

    जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि मनुष्य हर आधे सेकेंड में बढ़ रहा है।

    जनहित याचिका में एडवोकेट अनुपम त्रिपाठी ने प्रस्तुत किया कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2015 में जनवरी से 9 अगस्त तक 7 महीनों में 41 बाघ मारे गए।

    याचिका में कहा गया कि वर्ष 2016 में 74 बाघों की मौत हुई, याचिकाकर्ता ने कहा कि इन जंगली बिल्लियों को आरक्षित जंगलों के पास रहने वाले स्थानीय लोगों द्वारा या तो मानव-पशु संघर्ष या अवैध शिकार के कारण मार दिया गया।

    यह आरोप लगाया गया कि बाघों को स्थानीय लोगों या अधिकारियों द्वारा जहर देकर, वन रक्षकों द्वारा शूटिंग, अवैध शिकार आदि द्वारा अंधाधुंध, बर्बर और राक्षसी तरीके से मारा जा रहा है।

    केस टाइटल: अनुपम त्रिपाठी और अन्य बनाम यूओआई और अन्य। डब्ल्यूपी(सी) नंबर 683/2017

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