अन्य राज्यों के माल पर कर से भेदभाव नहीं हो सकता: सुप्रीम कोर्ट
Praveen Mishra
25 Sept 2025 3:03 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि राज्य अपने क्षेत्र में निर्मित वस्तुओं और अन्य राज्यों से लाई गई वस्तुओं के बीच भेदभाव नहीं कर सकते। कोर्ट ने राजस्थान सरकार की 9 मार्च 2007 की अधिसूचना रद्द कर दी, जिसमें स्थानीय एस्बेस्टस शीट निर्माताओं को वैट (VAT) से छूट दी गई थी, जबकि अन्य राज्यों से लाई गई समान शीट्स पर पूरा वैट लगाया जाता था। कोर्ट ने कहा कि यह “भेदभावपूर्ण” और असंवैधानिक है क्योंकि इससे अंतर्राज्यीय व्यापार पर कर-आधारित अवरोध खड़ा हुआ।
जस्टिस बी.वी. नागरथ्ना और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि अनुच्छेद 301 के तहत पूरे भारत में व्यापार और वाणिज्य स्वतंत्र होना चाहिए, और कर को भेदभाव का हथियार नहीं बनाया जा सकता। राज्य अपने वित्तीय कानून इस प्रकार बना सकते हैं कि बाहर से आने वाले माल और स्थानीय माल पर समान कर भार पड़े, परंतु असमान भार भेदभाव कहलाएगा।
बेंच ने Jindal Stainless Ltd. v. State of Haryana (2017) और Shree Mahavir Oil Mills v. State of J&K (1996) के निर्णयों पर भरोसा करते हुए कहा कि राजस्थान की अधिसूचना शत्रुतापूर्ण और संरक्षणवादी थी, किसी वैध तर्क (जैसे पिछड़े क्षेत्र का विकास) पर आधारित नहीं थी, और वर्षों तक अंधाधुंध छूट देती रही। अतः इसे अनुच्छेद 304(a) का उल्लंघन मानते हुए असंवैधानिक घोषित किया गया और अपीलें स्वीकार कर ली गईं।

