तमिलनाडु ने विधेयकों की स्वीकृति की समय-सीमा पर राष्ट्रपति के सुप्रीम कोर्ट में दिए गए संदर्भ पर आपत्ति जताई
Shahadat
29 July 2025 10:29 AM IST

तमिलनाडु सरकार ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा दिए गए संदर्भ की स्वीकार्यता पर आपत्ति जताते हुए एक आवेदन दायर किया, जिसमें राज्यपालों द्वारा विधेयकों को स्वीकृति देने की समय-सीमा से संबंधित कुछ प्रश्नों पर सुप्रीम कोर्ट की राय मांगी गई।
राज्य ने तर्क दिया कि अनुच्छेद 143 के तहत संदर्भ में राष्ट्रपति द्वारा उठाए गए प्रश्नों का उत्तर तमिलनाडु के राज्यपाल के मामले में दिए गए निर्णय से "सीधे तौर पर" मिलता है, जिसमें राष्ट्रपति और राज्यपाल द्वारा विधेयकों पर कार्रवाई करने के लिए समय-सीमा निर्धारित की गई थी।
राज्य ने तर्क दिया कि तमिलनाडु के राज्यपाल के मामले में निर्णय सुनाए जाने के ठीक एक महीने बाद दिया गया यह संदर्भ, उक्त निर्णय को रद्द करने का एक प्रयास है।
राज्य ने दलील दी,
"संदर्भ एक छद्म अपील के अलावा और कुछ नहीं है, जो कानूनन अस्वीकार्य है, क्योंकि इस माननीय न्यायालय को अनुच्छेद 143 के तहत अपने ही निर्णयों को रद्द करने का कोई अधिकार नहीं है।"
चूंकि अहमदाबाद सेंट जेवियर्स कॉलेज सोसाइटी बनाम गुजरात राज्य, (1974) 1 एससीसी 717 (पैरा-51) के निर्णय में यह माना गया कि संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत राष्ट्रपति के संदर्भ में इस माननीय न्यायालय द्वारा दी गई राय सलाहकारी प्रकृति की है और बाध्यकारी नहीं है, इसलिए राज्य ने तर्क दिया कि वर्तमान संदर्भ "शीर्षकहीन और गुणहीन" है।
राज्य ने कहा,
"यह प्रथम दृष्टया स्पष्ट है कि वर्तमान राष्ट्रपति संदर्भ, स्थापित कानून को बदलने और इस माननीय न्यायालय द्वारा पहले ही सुनाए गए निष्कर्षों को रद्द करने के लिए एक छद्म अपील मात्र है, जिसके कारण वर्तमान राष्ट्रपति संदर्भ, कानून के ऐसे किसी भी वैध और सारगर्भित प्रश्न को उठाने से रोकता है, जिससे इस माननीय न्यायालय की राय प्राप्त करना समीचीन हो। इसलिए दिनांक 13.05.2025 का राष्ट्रपति संदर्भ समग्र रूप से अनुत्तरित रहने योग्य है और इसे वापस किया जाना चाहिए।"
बता दें, केरल राज्य ने भी संदर्भ की स्वीकार्यता पर आपत्ति जताते हुए एक समान आवेदन दायर किया। केरल ने विधेयकों को स्वीकृति देने में देरी को लेकर राज्यपाल के खिलाफ मामला दायर किया था।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस एएस चंदुरकर की संविधान बेंच मंगलवार को इस मामले की सुनवाई करेगी।
तमिलनाडु सरकार का आवेदन एडवोकेट रिचर्डसन विल्सन और अपूर्व मल्होत्रा द्वारा तैयार किया गया था और सीनियर एडवोकेट पी विल्सन द्वारा निपटाया गया। यह आवेदन एडवोकेट टी. हरीश कुमार के माध्यम से दायर किया गया।

