सुप्रीम कोर्ट के विस्तार भवन से न केवल भौतिक स्थान का विस्तार होगा, न्याय देने की क्षमता भी बढ़ेगी : सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़
Shahadat
15 Oct 2024 9:52 AM IST
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट परिसर के विस्तार की परियोजना का उद्देश्य केवल सुप्रीम कोर्ट की भौतिक क्षमता का विस्तार करना ही नहीं है, बल्कि 'न्याय करने की क्षमता' का भी विस्तार करना है।
सुप्रीम कोर्ट के विस्तार भवन के शिलान्यास समारोह के उद्घाटन भाषण में बोलते हुए सीजेआई ने इस बात पर जोर दिया कि परिसर का विस्तार इस इरादे से किया गया कि इसकी पहुंच, केस लोड और न्यायिक दक्षता बढ़े।
सीजेआई ने कहा,
"इस विस्तार को केस लोड, नई न्यायिक बेंच और हमारे जजों, वकीलों और नागरिकों की बढ़ती जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया गया। विस्तार का मतलब केवल भौतिक स्थान बढ़ाना नहीं है। इसका मतलब न्याय करने की क्षमता का निर्माण करना है। हम केवल स्थान नहीं बढ़ा रहे हैं, बल्कि समय पर और सम्मानजनक तरीके से न्याय देने की अपनी क्षमता का विस्तार कर रहे हैं।"
उन्होंने आगे बताया कि कैसे मूल सुप्रीम कोर्ट भवन न्याय के तराजू से प्रेरित था, जिसमें केंद्रीय विंग बीम का प्रतीक है, दो पंख संतुलन का प्रतिनिधित्व करते हैं। अंत में अर्धवृत्ताकार हुक तराजू के पलड़ों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
भवन का विस्तार देश की सामाजिक और कानूनी इच्छाओं की प्रगति और कानून के शासन को बनाए रखने की आवश्यकता को दर्शाता है।
"इस वास्तुशिल्प चमत्कार के पीछे की दृष्टि समय की कसौटी पर खरी उतरी है। इस संरचना का विकास हमारे समाज के स्वतंत्रता के बाद के राष्ट्र से लेकर कानून के शासन को कायम रखने वाले वैश्विक नेता तक के विकास को दर्शाता है।"
दिव्यांग-उन्मुख और पर्यावरण-अनुकूल सुप्रीम कोर्ट
सीजेआई ने जोर देकर कहा कि विस्तारित भवन पूरी तरह से सुलभ होगा, जिसमें शारीरिक रूप से दिव्यांग व्यक्तियों के अनुकूल सुविधाएं शामिल होंगी। इसमें स्वचालित दरवाजे, रैंप, लिफ्ट, नेविगेशन के लिए पर्याप्त संकेत और आपातकालीन निकासी के लिए स्पष्ट रूप से परिभाषित नियम होंगे।
उन्होंने कहा कि परिसर में दिव्यांगों की जरूरतों के अनुरूप फर्नीचर और इंटीरियर होगा।
"दिव्यांग व्यक्तियों को समायोज्य फर्नीचर, कोर्ट रूम और सार्वजनिक स्थानों में निर्दिष्ट बैठने की जगह और सुलभ शौचालय और पार्किंग स्थान मिलेंगे।"
सीजेआई ने कहा कि विस्तार परियोजना 'पर्यावरण के प्रति जागरूक' भी है।
नए परिसर के चरणबद्ध विकास पर
सीजेआई ने साइट योजना और नए परिसर में शामिल सुविधाओं के बारे में बताया। जबकि मूल इमारत बरकरार रहेगी। बाद में किए जाने वाले निर्माणों से नई अत्याधुनिक सुविधाओं के लिए रास्ता बनेगा।
उन्होंने कहा:
"आज शुरू किया जा रहा पहला चरण 29 महीनों के भीतर पूरा हो जाएगा। यह लगभग 38,250 वर्ग मीटर में फैला होगा। इसमें दो बेसमेंट और एक पांच मंजिला इमारत होगी। ग्राउंड फ्लोर वकीलों के लिए उपयोगी स्थानों के लिए समर्पित होगा, जिसमें लाइब्रेरी, कैंटीन और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन के लिए कार्यालय शामिल होंगे। ऊपरी मंजिलों में कोर्ट रूम, जजों के लाउंज, कोर्ट ऑफिस और चीफ जस्टिस के चैंबर होंगे।"
86,500 वर्ग मीटर निर्मित क्षेत्र में फैली नई संरचना का निर्माण 2 चरणों में किया जाएगा।
सीजेआई ने कहा:
"जब तक हम चरण II को पूरा कर लेंगे, जो तीन और चार मंजिला ब्लॉकों में अतिरिक्त 48,250 वर्ग मीटर में फैला होगा, तब तक सुप्रीम कोर्ट को अतिरिक्त 29 कोर्ट रूम, 43 नए जजों के चैंबर और रजिस्ट्रार और वकीलों के लिए समर्पित स्थान मिल जाएंगे। संवैधानिक न्यायालय अपने 17 जजों की बेंच के साथ नई संरचना की पांचवीं मंजिल पर रखा जाएगा।"
सीजेआई ने कहा,
इस विस्तार के साथ हम केवल कमरे या कोर्ट स्पेस नहीं जोड़ रहे हैं - हम ऐसा माहौल बना रहे हैं, जो कोर्ट आने वाले लोगों की गरिमा को बनाए रखता है। उन पवित्र आधारों को प्रकट करता है, जिन्होंने हमारी संवैधानिक भावना के ताने-बाने में न्याय के जटिल रूप से बुने हुए धागों को बरकरार रखा, आगे बढ़ाया।
इस कार्यक्रम में आवास और शहरी मामलों के मंत्री एमएल खट्टर एससीबीए अध्यक्ष कपिल सिब्बल, एससी एओआर एसोसिएशन के अध्यक्ष विपिन नायर और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज।