सुप्रीम कोर्ट में कैसा रहा पिछला सप्ताह, जानिए वीकली राउंड अप
LiveLaw News Network
18 Nov 2019 10:19 AM IST
सुप्रीम कोर्ट में पिछला सप्ताह (11 नवंबर से 15 नवंबर 2019 तक) काफी हलचल वाला रहा। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई रिटायर्ड हुए, लेकिन इससे पहले उन्होंने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर निर्णय सुनाए।
इन खास मुद्दों में मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय RTI के दायरे में, सबरीमाला, राफेल, राहुल गांधी अवमानना जैसे मामले थे। आइए एक नज़र में देखते है कि सुप्रीम कोर्ट में कैसा रहा पिछला सप्ताह।
मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय RTI के दायरे में, सुप्रीम कोर्ट ने दिया ऐतिहासिक फैसला
एक ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत एक सार्वजनिक प्राधिकरण है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय RTI के दायरे में आएगा। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट के 2010 के फैसले को बरकरार रखा, जिसमें कहा गया था कि मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय में RTI कानून लागू होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने राफेल मामले में पुनर्विचार याचिकाएं खारिज कीं
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 36 राफेल जेट खरीदने के मामले में 14 दिसंबर, 2018 के फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया। इस मामले में 14 दिसंबर के फैसले मे भारत सरकार की फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट एविएशन द्वारा 36 राफेल जेट खरीदने के सौदे के संबंध में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के आदेश को खारिज कर दिया गया था। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एस के कौल और जस्टिस के एम जोसेफ की पीठ ने कहा कि अधिवक्ता प्रशांत भूषण, पूर्व केंद्रीय मंत्रियों यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी द्वारा दायर पुनर्विचार याचिकाओं में योग्यता का अभाव है।
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"चौकीदार चोर है" टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना का मामला किया बंद
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 'चौकीदार चोर है' टिप्पणी के लिए अवमानना का मामला बंद कर दिया। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एस के कौल और के एम जोसेफ की पीठ ने भाजपा नेता मीनाक्षी लेखी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए राहुल गांधी द्वारा व्यक्त किए गए खेद के बाद इस मामले में आगे की कार्रवाई बंद कर दी। न्यायालय ने हालांकि "सावधानी" शब्द जोड़ते हुए कहा कि राहुल गांधी को अधिक सावधानी बरतनी चाहिए थी।
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सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला पुनर्विचार याचिकाओं को 3: 2 के बहुमत से बड़ी बेंच को भेजा
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सबरीमाला समीक्षा याचिकाओं को 3: 2 बहुमत से बड़ी बेंच को भेज दिया। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति खानविल्कर और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा के बहुमत ने इस मुद्दे को व्यक्त किया कि क्या अदालत धर्म की आवश्यक प्रथाओं में बड़ी पीठ द्वारा हस्तक्षेप कर सकती है।
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सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल के लिए वित्त अधिनियम 2017 के नियम रद्द किए, केंद्र को दिए नए नियम बनाने के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वित्त अधिनियम 2017 की धारा 184 की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा, जो केंद्र सरकार को विभिन्न न्यायाधिकरणों के सदस्यों की नियुक्ति और सेवा शर्तों से संबंधित नियमों को फ्रेमवर्क करने का अधिकार देता है।
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इंदिरा जयसिंह और आनंद ग्रोवर को मिले अंतरिम संरक्षण पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इंकार
विदेशों से मिले चंदे के दुरुपयोग के मामले में वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह और आनंद ग्रोवर को बॉम्बे हाईकोर्ट से मिली राहत के खिलाफ सीबीआई की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई करते हुए अंतरिम संरक्षण पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया, जिसमें वरिष्ठ अधिवक्ताओं को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण दिया था।
कोई व्यक्ति या संस्था कितना भी शक्तिशाली हो, उसे न्यायालय की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती : सुप्रीम कोर्ट
कोई भी व्यक्ति या संस्था कितने भी शक्तिशाली हो, उसे न्यायालय की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। ऑस्कर इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड (ओआईएल) और आरएचसी होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड के निदेशकों के खिलाफ एक अवमानना याचिका पर विचार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की। अदालत ने कहा, निदेशक ने जानबूझकर और संयोग से न्यायालय के आदेशों की अवहेलना की और संबंधित सामग्री को दबाया। उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय को आश्वासन दिया था कि उनके द्वारा किए गए किसी भी सौदे से याचिकाकर्ताओं के अधिकारों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
नर्सों को हॉस्टल की सुविधा उपलब्ध कराना अस्पतालों का कर्तव्य, अस्पतालों को होने वाले मुनाफों से कोई मतलब नहीं : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बेहतर मेडिकल सेवा देने के लिए नर्सों को हॉस्टल की सुविधा देना अस्पतालों का एक सकारात्मक कर्तव्य है। अदालत ने कुछ व्यापक सिद्धांत भी गिनाए हैं, ताकि इनके आधार पर यह निर्धारित किया जा सके कि कोई गतिविधि या लेनदेन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 2(1)(d) के तहत आते हैं।
न्यायमूर्ति एमएम शांतनागौदर और अजय रस्तोगी की पीठ ने लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट बनाम मै. यूनीक शांति डेवलपर्स मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के ख़िलाफ़ एक अपील की सुनवाई करते हुए यह बात है। सुनवाई के दौरान जो मामला उठा वह यह था कि ट्रस्ट के अस्पताल में काम करने वाली नर्सों को आवास मुहैया कराने के लिए फ़्लैट ख़रीदना क्या वाणिज्यिक उद्देश्य के लिए सेवाओं की ख़रीद है कि नहीं।
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कानून छात्रा को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने बयानों की कॉपी देने के हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को शाहजहांपुर की कानून की छात्रा द्वारा दायर एक याचिका पर नोटिस जारी करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सात नवंबर के आदेश पर रोक लगा दी है। छात्रा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता चिन्मयानंद के खिलाफ यौन उत्पीड़न और बलात्कार के आरोप लगाए थे। याचिका में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सात नवंबर के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें चिन्मयानंद के उस आवेदन को मंजूरी दी थी जिसमें सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज पीड़िता के बयान की प्रमाणित प्रति मांगने की अनुमति मांगी गई थी।
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मधु कोड़ा नहीं लड़ पाएंगे चुनाव, सुप्रीम कोर्ट ने कहा, एक साल और अयोग्य रहिए
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि वो आगामी विेधानसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। हालांकि अयोग्यता को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है।
शुक्रवार को कोड़ा की ओर से पेश वकील ने जस्टिस एन वी रमना की पीठ को बताया कि अयोग्यता को दो साल हो चुके हैं लिहाजा अब उन्हें झारखंड विधानसभा चुनाव लड़ने की अनुमति दी जानी चाहिए।
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मुख्य न्यायाधीश गोगोई के विदाई समारोह में ना मंच सजा, ना हुई भाषणबाजी, वीडियो कांफ्रेसिंग से जरिए देशभर के जजों से की बात
देश के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने परंपरा के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से आयोजित विदाई समारोह में हिस्सा तो लिया लेकिन इस दौरान भी वो शांत रहे। सुप्रीम कोर्ट लॉन में आयोजित समारोह में ना कोई मंच बनाया गया और ना ही कोई भाषण बाजी हुई। हालांकि इस दौरान मुख्य न्यायाधीश गोगोई का एक नोट पढ़ा गया जिसमें कहा गया था, 'भले ही मैं शारीरिक रूप से यहां मौजूद ना रहूं लेकिन मेरा एक हिस्सा हमेशा सुप्रीम कोर्ट में रहेगा।' जस्टिस गोगोई ने अपने साथी जजों और सभी सहयोगी अधिकारियों के साथ SCBA का भी धन्यवाद किया। सभी के लिए शुभकामनाएं भी दीं।
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