सीजेआई के समक्ष अति-आवश्यक मामलों को सूचीबद्ध करने के लिए रजिस्ट्री को निर्देशित करेंगे: सुप्रीम कोर्ट की अवकाश पीठ ने वकीलों की मामलों को सूचीबद्ध नहीं किए जाने की शिकायत पर कहा

LiveLaw News Network

25 May 2021 9:42 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली

    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट की एक अवकाश पीठ ने मंगलवार को वरिष्ठ वकीलों के एक समूह द्वारा गर्मियों की छुट्टी के दौरान जरूरी मामलों को सूचीबद्ध नहीं करने के संबंध में शिकायतों के बाद कहा कि रजिस्ट्री को भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष अति-आवश्यक आवेदनों को सूचीबद्ध करने के लिए निर्देश जारी किए जाएंगे।

    जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने कहा,

    "हम भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष तत्काल आवेदनों को सूचीबद्ध करने के लिए रजिस्ट्री को निर्देश जारी करेंगे।"

    पीठ ने यह टिप्पणी तब की जब वरिष्ठ अधिवक्ताओं डॉ अभिषेक मनु सिंघवी, अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा, अधिवक्ता पीएस पटवालिया और अधिवक्ता गोपाल जैन द्वारा पीठ के समक्ष उल्लेख किए जाने पर कि उनके मामले सूचीबद्ध नहीं हो रहे हैं।

    पीठ ने वकीलों से कहा कि मामलों का उल्लेख भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष होना चाहिए। पीठ ने कहा कि वह केवल अपने द्वारा विचार किए गए मामलों के संबंध में उल्लेख करने की अनुमति दे सकती है।

    न्यायमूर्ति सरन ने कहा,

    "सूचीबद्ध करने के लिए आए सभी मामलों और निर्देशों को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखा जाएगा। केवल इस पीठ द्वारा पारित किए गए मामलों और सुधार की आवश्यकता वाले मामलों को इस पीठ के समक्ष रखा जा सकता है।"

    वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. सिंघवी ने कहा कि हालांकि उनके मामले को मंगलवार को सूचीबद्ध करने के लिए पिछले शुक्रवार को एक न्यायिक आदेश पारित किया गया था, लेकिन इसे मंगलवार तक सूचीबद्ध नहीं किया गया। डॉ. सिंघवी ने कहा कि यह उसी पीठ द्वारा पारित आदेश में सुधार के संबंध में है और इसे तत्काल सूचीबद्ध किया जाना चाहिए।

    डॉ. सिंघवी की शिकायत में शामिल हुए वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल जैन ने कहा,

    "मेरी भी डॉ. सिंघवी के समान स्थिति है। सूचीबद्ध करने के लिए एक न्यायिक आदेश दिया गया है और मामला सूचीबद्ध नहीं हो रहे है।"

    इस मौके पर वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया ने भी उनके मामले को सूचीबद्ध नहीं किए जाने की शिकायत की।

    उन्होंने कहा,

    "मेरे विश्वविद्यालय को बंद किया जा रहा है और छात्रों को डिग्री नहीं मिलेगी।"

    वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि इस तथ्य के बावजूद कि यह अवकाश परिपत्र में उल्लिखित तत्काल मामलों की श्रेणी में आता है मेरे मामलों को सूचीबद्ध नहीं किया जा रहा है।

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