सुप्रीम कोर्ट ने धार्मिक आश्रयों में मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों की सुरक्षा हेतु याचिकाएं निगरानी हेतु NHRC को हस्तांतरित कीं

Shahadat

8 Nov 2025 9:06 PM IST

  • सुप्रीम कोर्ट ने धार्मिक आश्रयों में मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों की सुरक्षा हेतु याचिकाएं निगरानी हेतु NHRC को हस्तांतरित कीं

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक वकील द्वारा दायर तीन याचिकाओं को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) को हस्तांतरित कर दिया, जिनमें धार्मिक आश्रयों में मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों की सुरक्षा और कल्याण तथा मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 के कार्यान्वयन हेतु निर्देश देने का अनुरोध किया गया।

    जस्टिस पमिदिघंतम श्री नरसिम्हा और जस्टिस आर. महादेवन की खंडपीठ ने यह आदेश इस बात पर गौर करने के बाद पारित किया कि केंद्र और केंद्र शासित प्रदेशों के मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण कार्यरत हैं।

    कोर्ट ने कहा,

    "इस तथ्य को देखते हुए कि केंद्रीय मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण के साथ-साथ केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा गठित प्राधिकरण भी कार्यरत हैं, हमारा मानना ​​है कि यदि हम NHRC को वैधानिक प्राधिकारियों की सुनवाई के बाद निगरानी करने और आवश्यक निर्देश पारित करने का निर्देश देते हैं तो न्याय के हित में होगा। उपरोक्त के मद्देनजर, रिट याचिकाएं NHRC को हस्तांतरित की जाती हैं।"

    अपनी याचिकाओं में याचिकाकर्ता गौरव कुमार बंसल ने उत्तर प्रदेश के बदायूं के मोहल्ला कबूलपुर स्थित धार्मिक मानसिक आश्रय गृह के पास या उसके अंदर रखे गए मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों की जंजीरें खोलने और उनके उपचार एवं पुनर्वास सुनिश्चित करने के निर्देश देने की मांग की।

    उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों को मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 के तहत केंद्रीय मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण, राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण और मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड स्थापित करने, साथ ही अधिनियम की धारा 121 और 123 के तहत नियम और विनियम बनाने के निर्देश देने की भी मांग की।

    उन्होंने मध्य प्रदेश के रतलाम के जौरा स्थित हुसैन टेकरी दरगाह में मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों के संबंध में भी इसी तरह के निर्देश देने की मांग की।

    कोर्ट 2019 से इस मुद्दे पर नज़र रख रहा था। 3 जनवरी, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मानसिक विकलांगता से पीड़ित व्यक्ति भी एक इंसान है। उसकी गरिमा का हनन नहीं किया जा सकता।

    7 फ़रवरी, 2025 को इसने भारत संघ को केंद्रीय मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण (CMHA), राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरणों (SMHA) और मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्डों (MHRB) की स्थापना और कार्यप्रणाली पर एक विस्तृत हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। साथ ही वैधानिक और अनिवार्य नियुक्तियों का विवरण भी दिया।

    स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अवर सचिव द्वारा हलफनामा दायर किया गया, जिसमें कहा गया कि CMHA का गठन 2017 अधिनियम के तहत किया गया और 4 दिसंबर, 2018 को अधिसूचित किया गया। इसमें कहा गया कि नए गैर-सरकारी सदस्यों के नामांकन की अधिसूचना 11 नवंबर, 2022 को दी गई और अब तक छह बैठकें हो चुकी हैं, जिनमें से अंतिम 19 मार्च, 2024 को हुई थी।

    हलफनामे में कहा गया कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों दिल्ली, पुडुचेरी और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में SMHA स्थापित किए जा चुके हैं, और चंडीगढ़, लक्षद्वीप और दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव जैसे बिना विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेश प्राधिकरणों की स्थापना की प्रक्रिया में हैं।

    हलफनामे में आगे कहा गया है कि जम्मू और कश्मीर भी अपने मानसिक स्वास्थ्य मंत्रालय (SMHA) के गठन की प्रक्रिया में है। विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड गठित किए जा चुके हैं और इनका पूर्ण संचालन चल रहा है। हलफनामे में कहा गया है कि शेष रिक्तियों को भरने के प्रयास जारी हैं।

    केंद्र और केंद्र शासित प्रदेशों के मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरणों के कार्यरत होने को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने कहा कि अब इस मामले की राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा उचित निगरानी की जाएगी। कोर्ट ने आयोग को निर्देश दिया कि वह स्थानांतरित याचिकाओं को केस संख्याएं आवंटित करे और वैधानिक प्राधिकारियों की सुनवाई के बाद कानून के अनुसार आवश्यक निर्देश पारित करे।

    Case Title – Gaurav Kumar Bansal v. Union of India & Ors.

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