सुप्रीम कोर्ट 15 मार्च से हाइब्रिड तरीके से मामलों की फिजिकल सुनवाई शुरू करेगा

LiveLaw News Network

6 March 2021 10:41 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली

    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने 15 मार्च 2021 से हाइब्रिड तरीके से मामलों की सुनवाई शुरू करने का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट ने बार एसोसिएशनों द्वारा दिए गए सुझावों और COVID 19 महामारी पर विचार करने के बाद अदालतों के कामकाज के लिए कई निर्देश और मानक संचालन प्रक्रिया जारी की है।

    कोर्ट ने प्रायोगिक आधार पर हाइब्रिड मोड में मामलों की सुनवाई के लिए एक पायलट योजना तैयार की है। योजना के अनुसार, एक मामले में पार्टियों की संख्या और कोर्ट रूम की सीमित क्षमता पर विचार करने के बाद, मंगलवार और बुधवार और गुरुवार को सूचीबद्ध अंतिम सुनवाई और नियमित मामलों को हाइब्रिड मोड में सुना जाएगा।

    हालांकि सोमवार और शुक्रवार को सूचीबद्ध किए गए अन्य सभी मामलों को वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग मोड के से सुना जाना जारी रहेगा।

    अंतिम सुनवाई और नियमित मामलों में, जहां पक्षकारों की ओर से पेश अधिवक्ताओं की संख्या कोर्ट रूम की औसत कार्य क्षमता, COVID-19 मानदंड के अनुसार, 20 व्यक्ति प्रति कोर्ट रूम, से ज्यादा हो, उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग मोड से सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।

    हालांकि, बेंच हाइब्रिड मोड से ऐसे मामलों की सुनवाई का निर्देश दे सकती है और ऐसी स्थिति में पक्षों की उपस्थिति, भौतिक उपस्थिति हो या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हो, बेंच के निर्देशों के अनुसार उन्हें सुविधा देनी होगी।

    न्यायालय ने निर्देश दिया है कि यदि हाइब्रिड सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किसी मामले में पार्टियों की संख्या अधिक है तो एक एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड और प्रत्योग पक्ष से जिरह के लिए एक वकील को प्रवेश की अनुमति दी जाएगी और एओआर द्वारा प्रत्येक पक्ष से चुने गए एक पंजीकृत क्लर्क को कोर्ट-रूम तक वकीलों के पेपर-बुक्स / जर्नल्स आदि को ले जाने के लिए प्रवेश की अनुमति दी जाएगी।

    जब मामलों को हाइब्रिड सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाता है, तो एक पक्ष की ओर से पेश सभी वकील भौतिक उपस्थिति या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हो सकते हैं।

    कोर्ट ने हाइब्रिड मोड से मामलों की सुनवाई के लिए निम्नलिखित निर्देश भी जारी किए हैं:

    -वकीलों के लिए सीमांकित क्षेत्रों में, कोर्ट रूम के अंदर कुर्सी और मेज के कई सेट रखे जाएंगे। प्रत्येक सेट के बीच न्यूनतम निर्धारित भौतिक दूरी मानदंडों के अनुपालन की जिम्‍मेदारी उपयोगकर्ताओं पर होगी, जिन्हें उनकी जगहों से हटाया नहीं जाएगा।

    -किसी भी कोर्ट रूम की क्षमता के अनुसार, मामले की सुनवाई शुरू करने से दस मिनट पहले पार्टियों को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी।

    -प्रत्येक कोर्ट रूम से प्रवेश और निकास अलग-अलग चैनलों / दरवाजों से होगा। कोर्ट रूम सहित सुप्रीम कोर्ट परिसर में प्रवेश करने वाले सभी लोगों के लिए शारीरिक सुरक्षा मानदंडों समेते मास्क पहनना, हैंड सेनिटाइजर का बार-बार इस्तेमाल करना अनिवार्य है।

    -अपने मामलों की सुनवाई पूरी होने पर अधिवक्ता और पंजीकृत क्लर्क मूवमेंट कॉरिडोर से उच्च सुरक्षा क्षेत्र से बाहर निकल जाएंगे और तय गेट से परिसर से बाहर निकल जाएंगे।

    -हाइब्रिड सुनवाई के लिए एक से अधिक मामलों होने पर वकीलो को प्रत्येक मामले के लिए अलग से विशेष सुनवाई पास जारी किया जाएगा और एक मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद, वे अगले चरण की सुनवाई के लिए तय प्रतीक्षा क्षेत्रों में प्रतीक्षा कर सकते हैं।

    -कोर्ट ने दोहराया है कि वकीलों के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा के लिए, एक समर्पित वीसी सुविधा केंद्र ब्लॉक सी, ग्राउंड फ्लोर, अतिरिक्त बिल्डिंग कॉम्प्लेक्स, सुप्रीम कोर्ट परिसर में स्थित है, जिसमें गेट नंबर एक के माध्यम से प्रेवश किया जा सकता है।

    सुप्रीम कोर्ट की समन्वय समिति ने 13 फरवरी, 2021 को स्पष्ट किया था कि एक बार सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाइब्रिड तरीके से वर्चुअल कोर्ट के साथ फिजिकल सुनवाई शुरू होने पर पक्षों के पास शारीरिक या वर्चुअल तरीके से पेश होने का विकल्प होगा।

    सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन के साथ सुप्रीम कोर्ट के सक्षम प्राधिकारी द्वारा शारीरिक सुनवाई फिर से शुरू करने के लिए शनिवार को आयोजित बैठक में स्पष्टीकरण दिया गया था।

    पहले यह सूचित किया गया था कि फिजिकल कोर्ट को हाइब्रिड तरीके से वर्चुअल कोर्ट के साथ जल्द ही शुरू किया जाएगा। बैठक में, इस बात का स्पष्टीकरण दिया गया है कि हाइब्रिड तरीके का क्या अर्थ होगा।

    यह बताया गया था कि जब सुनवाई हाइब्रिड तरीके से होगी तो अधिवक्ता, एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड और पार्टीज़-इन-पर्सन को शारीरिक रूप से या वर्चुअल रूप से पेश होने का विकल्प होगा, जबकि मामले को फिजिकल कोर्ट में सुना जाएगा। इसलिए जब फ‌िजिकल कोर्ट में मामले की सुनवाई होगी तो एक पक्ष शारीरिक रूप से उपस्थित हो सकेगा और दूसरा पक्ष वर्चुअल रूप से पेश हो हो सकता है।

    इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन की कार्यकारी समिति ने अपनी संयुक्त बैठक के बाद फिजिकल सुनवाई शुरू करने के लिए एक संयुक्त प्रतिनिधित्व पेश किया था। सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन ने अलग से भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर मौजूदा वर्चुअल सुनवाई के साथ साथ फिजिकल सुनवाई को हाइब्रिड तरीके से शुरू करने की मांग की थी।

    प्रक्रिया डाउनलोड करने/ पढ़ने के लिए क्लिक करें



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