सहारा कर्मचारियों के बकाया वेतन भुगतान की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
Shahadat
9 Sept 2025 10:11 AM IST

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सहारा समूह को 16 करोड़ रुपये से अधिक के बकाया वेतन के भुगतान के निर्देश देने की मांग की गई।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई, जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस अतुल एस चंदुरकर की पीठ के समक्ष वकील ने उल्लेख किया कि SEBI बनाम सहारा मामले में सहारा कर्मचारियों के बकाया वेतन भुगतान के संबंध में निर्देश देने के लिए एक आवेदन दायर किया गया।
वकील ने कहा,
"हमने सहारा के कर्मचारियों के वेतन भुगतान से संबंधित आवेदन दायर किया। 16 करोड़ रुपये का वेतन भुगतान किया जाना है। यह आवेदन अवमानना याचिका में लंबित है, कृपया इसे शुक्रवार को सूचीबद्ध करें।"
पूर्व सीजेआई संजीव खन्ना, जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस बेला त्रिवेदी की पीठ इससे पहले सहारा समूह की कंपनियों के खिलाफ अवमानना याचिकाओं के एक समूह पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें न्यायालय के 2012 के आदेश का उल्लंघन किया गया था।
2012 में सुप्रीम कोर्ट ने सहारा की दो कंपनियों को 2008-2011 के बीच उनके डिबेंचर में निवेश करने वाले दो करोड़ से ज़्यादा छोटे निवेशकों को 15% ब्याज सहित 25,000 करोड़ रुपये (लगभग) वापस करने का आदेश दिया था। यह राशि SEBI के पास जमा करने का निर्देश दिया गया। जब निर्देशित राशि बकाया रही तो सहारा के खिलाफ अवमानना का आरोप लगाते हुए याचिकाएं दायर की गईं।
गौरतलब है कि न्यायालय ने 5 सितंबर, 2024 को सहारा समूह को 15 दिनों के भीतर अलग एस्क्रो खाते में 1000 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया और नकदी संकट से जूझ रही इस कंपनी को मुंबई के वर्सोवा में अपनी संपत्तियों के विकास के लिए संयुक्त उद्यम बनाने की भी अनुमति दी ताकि वह अपने ऋणदाताओं को देय 10,000 करोड़ रुपये की राशि जुटा सके।
पीठ ने यह भी आदेश दिया कि विकास परियोजनाएं केवल न्यायालय द्वारा संयुक्त उद्यम समझौतों को मंज़ूरी मिलने पर ही क्रियान्वित की जाएंगी। यदि 15 दिनों के भीतर समझौता पत्र दाखिल नहीं किया गया तो वर्सोवा की संपत्ति को 'जहां है, जैसी है' के आधार पर बेचने का आदेश दिया जाएगा।
यह आदेश 3 सितंबर, 2024 को दिए गए अपने पूर्व निर्देश के बाद आया, जिसमें न्यायालय ने समूह से कहा कि वह बकाया राशि को सहारा-सेबी रिफंड खाते में जमा करने की योजना के बारे में एक योजना प्रस्तुत करे। न्यायालय ने कंपनी से अपनी उन संपत्तियों की सूची भी मांगी, जिन पर कोई भार नहीं है।
Case Details: SECURITIES AND EXCHANGE BOARD OF INDIA Versus SUBRATA ROY SAHARA AND ORS. AND ORS. CONMT.PET.(C) No. 001820 - 001822 / 2017 and Connected matters.

