BREAKING| बिहार मतदाता सूची संशोधन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 10 जुलाई को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
Shahadat
7 July 2025 12:00 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (7 जुलाई) को बिहार में मतदाता सूची के "विशेष गहन संशोधन" करने के भारत के चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को तत्काल सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई।
सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल, एडवोकेट डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी, एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन और एडवोकेट शादान फरासत ने संयुक्त रूप से जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की आंशिक कार्य दिवस बेंच के समक्ष मामले का उल्लेख किया और तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग की।
उन्होंने कहा कि जो मतदाता निर्दिष्ट दस्तावेजों के साथ फॉर्म जमा करने में विफल रहते हैं, उन्हें मतदाता सूची से हटाए जाने के कठोर परिणाम भुगतने होंगे, भले ही उन्होंने पिछले बीस वर्षों से चुनावों में मतदान किया हो।
सिंघवी ने कहा,
"8 करोड़ मतदाता हैं और 4 करोड़ को गणना करनी है।"
सिब्बल (राजद के लिए) ने कहा,
"यह एक असंभव कार्य है।"
शंकरनारायणन ने कहा,
"वे आधार कार्ड, मतदाता कार्ड स्वीकार नहीं करेंगे।"
सिंघवी ने कहा,
"समयसीमा बहुत सख्त है और 25 जुलाई तक अगर आप समयसीमा नहीं देते हैं तो आप बाहर हो जाएंगे।"
जस्टिस धूलिया ने कहा कि समयसीमा "पवित्र नहीं है, क्योंकि अभी तक चुनावों की अधिसूचना नहीं दी गई।"
बेंच ने मामले को गुरुवार को सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई। बेंच ने पक्षों को भारत के चुनाव आयोग को याचिकाओं की अग्रिम सूचना देने की अनुमति दी। अब तक बिहार में मतदाता सूचियों के "विशेष गहन पुनरीक्षण" के भारत के चुनाव आयोग (ECI) के फैसले को चुनौती देने वाली चार याचिकाएं दायर की गई हैं। इनमें राजद सांसद मनोज झा, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स, पीयूसीएल, कार्यकर्ता योगेंद्र यादव और लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा द्वारा ECI के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाएं शामिल हैं।

