सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को तलब किया, आपराधिक अपीलों की सूची में देरी का है मामला

Shahadat

15 Oct 2025 9:26 AM IST

  • सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को तलब किया, आपराधिक अपीलों की सूची में देरी का है मामला

    सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायिक रजिस्ट्रार (सूचीबद्ध) को 16 अक्टूबर, 2025 को उसके समक्ष उपस्थित होकर आपराधिक अपीलों की सूची बनाने की प्रक्रिया स्पष्ट करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हाईकोर्ट में 2,297 अपीलें ऐसे अभियुक्तों से संबंधित हैं, जो दस वर्ष से अधिक समय से कारावास में हैं। 52 अपीलों में कारावास की अवधि पंद्रह वर्ष से अधिक है।

    कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को इस घटनाक्रम से अवगत कराया जाना चाहिए।

    कोर्ट ने आदेश दिया,

    "हम रजिस्ट्रार न्यायिक (सूचीकरण) को, जिन्होंने 27.09.2025 को रिपोर्ट प्रस्तुत की, या वर्तमान अधिकारी को निर्देश देते हैं कि वे अगली सुनवाई की तारीख पर इन अपीलों की सूचीकरण और/या सुनवाई से संबंधित पूरी कार्ययोजना के साथ कोर्ट में उपस्थित रहें। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को इस आदेश के पारित होने से अवगत कराया जाए।"

    जस्टिस संजय करोल और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने एक आदेश पारित किया।

    इससे पहले भी न्यायालय ने सूचीकरण के लिए एक प्रभावी योजना बनाने का आह्वान किया था। हालांकि, यह भी कहा कि रजिस्ट्रार की रिपोर्ट इस पहलू पर चुप है, जहां "यह आसानी से दर्शाया जा सकता है, (क) गठित पीठों की संख्या जो ऐसी अपीलों की सुनवाई कर रही हैं; (ख) क्या पक्षों को तामील पूरी हुई या नहीं; (ग) क्या अपीलों की सुनवाई के लिए कागज़ात तैयार है; और (घ) इन अपीलों को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने में आने वाली कठिनाइयों के साथ-साथ उनके विशिष्ट कारण भी बताए जा सकते हैं।"

    मामले की पृष्ठभूमि

    याचिकाकर्ता-दोषी ने हाईकोर्ट के 2010 के उस आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की थी, जिसमें CrPC की धारा 389 के तहत उसकी ज़मानत याचिका खारिज कर दी गई। यह याचिका दोषसिद्धि के विरुद्ध उसकी अपील के लंबित रहने के दौरान दायर की गई। हाईकोर्ट में उसकी अपील 2010 से सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किए बिना लंबित है और याचिकाकर्ता-दोषी 21 वर्षों से अधिक समय से जेल में बंद है।

    8 सितंबर, 2025 को कोर्ट ने हाईकोर्ट के महापंजीयक को नोटिस जारी किया और उन्हें निर्देश दिया कि वे एक रिपोर्ट प्रस्तुत करें कि "1) वर्ष 2010 में दायर की गई अपील अभी तक सुनवाई के लिए सूचीबद्ध क्यों नहीं की गई? और 2) विचाराधीन अपील के निपटारे के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं, जबकि अभियुक्त लंबे समय से कारावास की सजा भुगत रहे हैं?"

    इसके अलावा, न्यायालय ने रजिस्ट्रार (महापंजीयक) को सारणीबद्ध चार्ट में यह जानकारी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया कि ऐसी कितनी अपीलें विचाराधीन हैं, जिनमें अभियुक्त कम से कम दस वर्षों की अवधि से कारावास भुगत रहे हैं।

    कोर्ट को 27 सितंबर, 2025 को रिपोर्ट प्राप्त हुई, जिसमें बताया गया कि हाईकोर्ट में 2,297 अपीलें लंबित हैं, जिनमें ऐसे अभियुक्त शामिल हैं, जो दस वर्षों से अधिक समय से कारावास में हैं। 52 अपीलें ऐसी हैं, जिनकी कारावास अवधि पंद्रह वर्ष से अधिक है। हालांकि, रिपोर्ट में कोई रोडमैप, प्रक्रिया या सूचीबद्ध करने में आने वाली कठिनाई का उल्लेख नहीं किया गया।

    इस पृष्ठभूमि में कोर्ट ने रजिस्ट्रार न्यायिक (सूचीबद्ध) को कोर्ट के समक्ष उपस्थित होकर आपराधिक अपीलों की सूचीबद्ध प्रक्रिया से अवगत कराने को कहा।

    Cause Title: CHATRA PAL VERSUS STATE OF U.P.

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