UNESCO हेरिटेज स्टेटस पर चंडीगढ़ प्रशासन की चिंताओं के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के बरामदे के निर्माण के निर्देश पर रोक लगाई
Shahadat
11 Jan 2025 10:46 AM IST
सुप्रीम कोर्ट ने 29 नवंबर, 2024 के अंतरिम आदेश पर रोक लगाई, जिसमें चंडीगढ़ प्रशासन को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की कोर्ट 1 के बाहर बरामदे का निर्माण शुरू करने का निर्देश दिया गया।
चंडीगढ़ प्रशासन ने विशेष अनुमति याचिका के माध्यम से हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी, जिस पर जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने सुनवाई की। कोर्ट ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए चंडीगढ़ प्रशासन और निर्माण के लिए जिम्मेदार चीफ इंजीनियर के खिलाफ हाईकोर्ट द्वारा जारी अवमानना नोटिस पर भी रोक लगाई।
कोर्ट ने आदेश दिया,
"अगले आदेश तक केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा कोर्ट रूम नंबर 01 के समक्ष बरामदे के निर्माण से संबंधित निर्देश और चीफ इंजीनियर के खिलाफ अवमानना नोटिस पर रोक रहेगी।"
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से पेश हुए। पीएंडएच हाईकोर्ट की ओर से एडवोकेट अशोक माथुर और अन्य प्रतिवादियों की ओर से एडवोकेट आशीष चोपड़ा पेश हुए। कोर्ट ने कोर्ट की सहायता के लिए सीनियर एडवोकेट पीएस पटवालिया को एमिक्स क्यूरी भी नियुक्त किया।
चंडीगढ़ प्रशासन ने एसएलपी में तर्क दिया कि बरामदे के निर्माण के लिए संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) की विश्व धरोहर समिति से मंजूरी की आवश्यकता है, क्योंकि हाईकोर्ट की इमारत प्रसिद्ध फ्रांसीसी वास्तुकार ली कोर्बुसिए द्वारा डिजाइन किए गए कैपिटल कॉम्प्लेक्स का एक हिस्सा है। 2016 में इसे विश्व धरोहर स्थल के रूप में डिजाइन किया गया।
हाईकोर्ट के समक्ष चंडीगढ़ प्रशासन ने बताया कि बरामदे के निर्माण के लिए प्रस्तावित मानचित्र को मंजूरी के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को भेज दिया गया। यह भी बताया गया कि चंडीगढ़ हेरिटेज कंजर्वेशन कमेटी की 24वीं बैठक में इस परियोजना से संबंधित आवश्यक चित्र/डेटा साझा करने के लिए फाउंडेशन ली कोर्बुसिए पेरिस से संपर्क करने की शर्त पर निर्माण के लिए सैद्धांतिक रूप से प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
इसके बावजूद, हाईकोर्ट ने टिप्पणी की:
"इस न्यायालय ने 13.11.2024 को इस आश्वासन की पृष्ठभूमि में कोई निर्देश जारी करने से परहेज किया कि चंडीगढ़ हेरिटेज संरक्षण समिति से परामर्श किया जा रहा है और उचित परामर्श के बाद यूटी प्रशासन 10 दिनों के भीतर जवाब देगा। इस न्यायालय ने एक पूर्व-निर्धारित आदेश पारित किया कि यदि सुनवाई की अगली तारीख तक उपर्युक्त आश्वासन सत्य नहीं होता है तो यह न्यायालय कोर्ट रूम नंबर 1 के सामने बरामदे के निर्माण के लिए यूटी प्रशासन को परमादेश जारी करने के लिए बाध्य होगा, जो समय की सख्त जरूरत है।"
कथित तौर पर चीफ कोर्ट अन्य न्यायालयों वाले एक अलग ब्लॉक में है। सीमित स्थान के कारण विशेष रूप से बारिश के दौरान, वादियों सहित आगंतुकों को असुविधा महसूस होती है।
2 सप्ताह की अवधि बीत जाने के बाद भी निर्माण कार्य शुरू नहीं होने पर जस्टिस शील नागू और जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल की हाईकोर्ट की पीठ ने 13 दिसंबर को चंडीगढ़ प्रशासन के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया और यह भी निर्देश दिया कि चंडीगढ़ प्रशासन के चीफ इंजीनियर सीबी ओझा को भी पक्षकार बनाया जाए, जिनके खिलाफ भी अवमानना नोटिस जारी किया गया।
न्यायालय ने कहा:
"इस प्रकार, यह न्यायालय रजिस्ट्री को निर्देश देता है कि वह यू.टी. प्रशासन के चीफ इंजीनियर सीबी ओझा को पक्षकार बनाए और ऐसा करने पर सीबी ओझा के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया जाए, जिससे यह स्पष्ट किया जा सके कि अवमानना कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए। 29.11.2024 को जारी किए गए परमादेश रिट की अवमानना करने के लिए उन्हें दंडित क्यों न किया जाए।"
इसके खिलाफ केंद्र शासित प्रदेश ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की।
हाईकोर्ट का यह आदेश पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के सचिव विनोद धत्तरवाल द्वारा न्यायालय के अवसंरचना विकास से संबंधित 2023 में दायर जनहित याचिका पर पारित किया गया।
केस टाइटल: चंडीगढ़ प्रशासन बनाम रजिस्ट्रार जनरल, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट एवं अन्य, एसएलपी (सी) नंबर 162-163/2025