सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के एडिशनल एडवोकेट जनरल के खिलाफ हाईकोर्ट की टिप्पणियों पर रोक लगाई
Shahadat
17 Feb 2025 8:28 AM

सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के एडिशनल एडवोकेट जनरल के खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा की गई प्रतिकूल टिप्पणियों पर रोक लगा दी, जिसमें विचाराधीन कैदी की जमानत याचिका के लंबित रहने के दौरान मौत हो गई थी।
जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने हरियाणा राज्य द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका पर अंतरिम आदेश पारित किया।
अदालत ने आदेश दिया कि याचिकाकर्ता राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले मामले में पेश हुए एडिशनल एडवोकेट जनरल के संबंध में हाईकोर्ट द्वारा की गई सभी टिप्पणियों पर अगले आदेश तक रोक लगाई जाती है।
खंडपीठ के समक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा ने प्रार्थना की कि राज्य के वकील के खिलाफ की गई टिप्पणियों पर रोक लगाई जाए। इस याचिका के खिलाफ प्रतिवादी के वकील सीनियर शोएब आलम पेश हुए।
हाईकोर्ट ने हरियाणा के एडिशनल एडवोकेट जनरल दीपक सभरवाल के खिलाफ नियमित जमानत आवेदन में यह गलत दलील देने के लिए अपनी टिप्पणियां कीं कि आवेदक ने पहली याचिका के लंबित रहने के बावजूद नियमित जमानत के लिए दूसरी याचिका दायर की। हालांकि, यह पाया गया कि राज्य के वकील ने अनुलग्नक को छोड़ दिया, जिसमें कहा गया कि आवेदन विचाराधीन कैदियों के लिए NALSA के विशेष अभियान द्वारा दायर किया गया। न्यायालय ने यह भी देखा कि वकील ने प्रतिवादी की मेडिकल स्थिति के बारे में न्यायालय को गुमराह किया।
राज्य के वकील को फटकार लगाते हुए हाईकोर्ट के जज जस्टिस मंजरगी नेहरू कौल ने कहा:
"वर्तमान मामले में राज्य के वकील इस मौलिक कर्तव्य में दुर्भाग्य से विफल रहे। इस न्यायालय के समक्ष किए गए भ्रामक प्रतिनिधित्व ने न केवल एक एडवोकेट पर अनुचित आक्षेप लगाए, बल्कि ट्रायल कोर्ट के कामकाज के बारे में निराधार चिंताएं भी पैदा कीं। इस तरह के गलत दावों ने अनावश्यक संदेह और सनसनी पैदा की, जिससे न्यायिक प्रक्रिया की गरिमा और विश्वसनीयता कम हुई।"
केस टाइटल: हरियाणा राज्य बनाम सुभाष चंद्र दत्त (मृत) से लेकर लरिंद्र दत्त तक | एसएलपी (सीआरएल) नंबर 2182/2025