सुप्रीम कोर्ट ने एलजी को यमुना पर उच्च स्तरीय समिति का अध्यक्ष नियुक्त करने के एनजीटी के निर्देश पर रोक लगाई
Avanish Pathak
11 July 2023 1:27 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के उस निर्देश पर रोक लगा दी, जिसमें दिल्ली के उपराज्यपाल को यमुना नदी प्रदूषण के लिए उच्च स्तरीय समिति का प्रमुख नियुक्त किया गया था। मामला सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट डॉ. एएम सिंघवी ने दलील दी कि ऐसी शक्ति एलजी को तो क्या राज्यपाल भी नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा कि एक डोमेन विशेषज्ञ को समिति का प्रमुख होना चाहिए।
जस्टिस नरसिम्हा ने कहा-"यह प्रोप्राइटरी का प्रश्न है।"
चीफ जस्टिस ने कहा-
"आपके अनुसार, वे किसी विशेषज्ञ से पूछ सकते थे।"
डॉ. सिंघवी ने सकारात्मक जवाब दिया और पीठ ने मामले में नोटिस जारी किया।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा-
"एनजीटी के निर्देश पर ऑपरेशन पर उस हद तक रोक रहेगी, जहां तक एलजी को प्रमुख बनने के लिए कहा गया है। हम पूरे आदेश पर रोक नहीं लगा रहे हैं।"
एडवोकेट शादान फरासत के माध्यम से मामले में एनजीटी अधिनियम की धारा 22 के तहत अपील दायर की गई है, जिसमें तर्क दिया गया था कि पारित आदेश में उच्च स्तरीय समिति के प्रमुख के रूप में एलजी की नियुक्ति संविधान का उल्लंघन है।
याचिका में कहा गया है, "स्थानीय शासन से संबंधित मामलों की कार्यकारी शक्ति संविधान के तहत विशेष रूप से राज्य सरकार (जीएनसीटीडी) के पास है, सिवाय एक स्पष्ट संसदीय कानून द्वारा सीमित सीमा के।"
संविधान के अनुच्छेद 239एए का हवाला देते हुए, दिल्ली सरकार ने तर्क दिया है कि "पुलिस, व्यवस्था और भूमि के क्षेत्रों को छोड़कर एलजी केवल एक नाममात्र व्यक्ति हैं, जहां वह संविधान द्वारा निर्दिष्ट शक्ति के बदले में अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हैं।"
इसमें राज्य (एनसीटी दिल्ली) बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (2018) 8 एससीसी 501 का भी उल्लेख किया गया है, जिसमें शीर्ष अदालत ने माना है कि, “एनसीटी दिल्ली की निर्वाचित सरकार के पास राज्य और समवर्ती सूची के सभी विषयों पर विशेष कार्यकारी शक्तियां हैं, यह 'सार्वजनिक व्यवस्था', 'पुलिस' और 'भूमि' के तीन अपवादित विषयों को छोड़कर है।"
याचिका में कहा गया है, ठोस अपशिष्ट के प्रबंधन के लिए उपचारात्मक उपाय इन अपवादित शीर्षों के अंतर्गत नहीं आते है।
केस टाइटल: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार वी अश्विनी यादव, डायरी नंबर 22325/2023