'केरल में चिंताजनक स्थिति': COVID-19 के बढ़ते मामलों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने कक्षा XI (प्लस वन) की ऑफलाइन परीक्षा आयोजित करने के राज्य सरकार के फैसले पर रोक लगाई

LiveLaw News Network

3 Sep 2021 11:56 AM GMT

  • केरल में चिंताजनक स्थिति: COVID-19 के बढ़ते मामलों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने कक्षा XI (प्लस वन) की ऑफलाइन परीक्षा आयोजित करने के राज्य सरकार के फैसले पर रोक लगाई

    सुप्रीम कोर्ट ने COVID-19 के बढ़ते मामलों के बीच शुक्रवार को केरल सरकार के ग्यारहवीं (प्लस वन) के लिए ऑफ़लाइन परीक्षा छह सितंबर से आयोजित करने के फैसले पर रोक लगा दी।

    जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि केरल में COVID-19​ ​​​के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। राज्य में रोजाना 30,000 से अधिक मामले सामने आ रहे हैं, जो राष्ट्रीय मामलों का लगभग 70% है।

    पीठ ने आश्चर्य जताया कि क्या केरल सरकार ने ऑफलाइन परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लेते समय इस तथ्य को ध्यान में क्यों नहीं रखा है।

    पीठ ने आदेश में कहा,

    "प्रथम दृष्टया हम याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत करने में पाते हैं कि राज्य सरकार ने इस साल सितंबर में प्रस्तावित फिजिकल एग्जाम से पहले मौजूदा स्थिति पर गंभीरता से विचार नहीं किया है। क्योंकि हमें इस संबंध में राज्य के वकील से संतोषजनक प्रतिक्रिया नहीं मिली है। हम सुनवाई की अगली तारीख तक ऑफलाइन एग्जाम पर रोक लगाते हुए अंतरिम राहत देते हैं। इस मामले को 13 सितंबर को सूचीबद्ध करें।"

    पीठ ने यह आदेश रसूलशन ए द्वारा दायर एक विशेष अनुमति याचिका में पारित किया, जिसका प्रतिनिधित्व अधिवक्ता प्रशांत पद्मनाभन ने किया।

    इस याचिका में केरल हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई, जिसमें ऑफ़लाइन एग्जाम आयोजित करने के निर्णय में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया गया था।

    न्यायमूर्ति खानविलकर ने मौखिक रूप से कहा,

    "केरल में चिंताजनक स्थिति है। यह देश के 70% से अधिक मामलों के लिए जिम्मेदार है, जिसमें लगभग 30,000 दैनिक मामले हैं। कम उम्र के बच्चों को जोखिम में नहीं डाला जा सकता है।"

    अधिवक्ता पद्मनाभन ने तर्क दिया कि जब COVID-19 ​​​​के मामले अपने चरम पर हैं तो फिजिकल एग्जाम आयोजित करना एक बहुत बड़ा जोखिम है। खासकर इसलिए भी कि बच्चों का वैक्सीनेशन नहीं किया जा रहा। उन्होंने जोर देकर कहा कि लगभग तीन लाख छात्र छह से 27 सितंबर तक होने वाली परीक्षा में शामिल होंगे। उन्होंने जुलाई में केरल सरकार के खिलाफ न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन की अगुवाई वाली पीठ द्वारा की गई आलोचनात्मक टिप्पणियों का हवाला दिया, जब बकरीद के त्यौहार पर उसने COVID-19 प्रतिबंधों में ढील दी थी।

    राज्य सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता सीके शसी ने प्रस्तुत किया कि इस साल अप्रैल के दौरान चार लाख से अधिक छात्रों के साथ एसएसएलसी और बारहवीं कक्षा की परीक्षा सफलतापूर्वक आयोजित की गई थी।

    उन्होंने कहा कि प्रवेश परीक्षा भी फिजिकल रूप से जुलाई में आयोजित की गई थी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने सभी सुरक्षा प्रोटोकॉल अपनाए हैं।

    हालांकि, पीठ ने उनसे पूछा कि क्या राज्य सरकार ने अप्रैल के बाद परिस्थितियों में बदलाव पर ध्यान दिया है।

    पीठ ने राज्य में बढ़ते COVID-19 ​​​​मामलों पर गंभीर चिंता व्यक्त की।

    न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय ने टिप्पणी की,

    "मैं केरल का मुख्य न्यायाधीश रहा हूं। मैं कह सकता हूं कि केरल में देश का सबसे अच्छा चिकित्सा ढांचा है। इसके बावजूद, केरल COVID-19 मामलों को नियंत्रित नहीं कर पाया।"

    केरल के नवनियुक्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार ने टिप्पणी की कि राज्य के विभिन्न हिस्सों के छात्रों को परीक्षा केंद्रों में एक साथ मिलाने की अनुमति देने से COVID-19 का "सुपर-स्प्रेड" हो सकता है।

    न्यायमूर्ति खानविलकर ने राज्य के वकील से कहा,

    "हमें आश्वासन दें कि कोई भी छात्र संक्रमित नहीं होगा। ये कम उम्र के बच्चे हैं। एक छात्र के लिए एक भी मामला दर्ज किया गया है, हम आपको जवाबदेह ठहराएंगे।"

    राज्य के वकील ने जवाब दिया,

    "मैं वह आश्वासन नहीं दे सकता।"

    इसके बाद पीठ अंतरिम आदेश पारित करने के लिए आगे बढ़ी।

    इसमें कहा गया है कि राज्य सरकार मूल्यांकन के वैकल्पिक रूपों के बारे में सोच सकती है और अगली तारीख को इसकी सूचना दे सकती है।

    (मामले का शीर्षक: रसूलशन ए बनाम अपर मुख्य सचिव और अन्य, एसएलपी (सी) 13570/2021)।

    Next Story