सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को PM-ABHIM Scheme के क्रियान्वयन के लिए केंद्र के साथ MoU पर हस्ताक्षर करने के आदेश पर रोक लगाई
Shahadat
17 Jan 2025 8:04 AM

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाई, जिसमें दिल्ली सरकार को राष्ट्रीय राजधानी में पीएम-आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (PM-ABHIM) योजना के क्रियान्वयन के लिए 5 जनवरी तक केंद्र के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने का निर्देश दिया गया था।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की खंडपीठ ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका पर केंद्र से जवाब मांगते हुए यह आदेश पारित किया।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि केंद्र की शक्तियां राज्य सूची में प्रविष्टि 1, 2 और 18 के तहत मामलों तक सीमित हैं। हालांकि, हाईकोर्ट ने विवादित आदेश के तहत स्वास्थ्य क्षेत्र के संबंध में सरकारों की शक्तियों को फिर से परिभाषित किया।
उन्होंने हाईकोर्ट द्वारा दिल्ली सरकार को MoU पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर करने पर सवाल उठाया - एक नीतिगत निर्णय - जिसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया कि यदि ऐसा होता है, तो भारत सरकार पूंजीगत व्यय का 60% (और दिल्ली सरकार 40%) वहन करेगी, लेकिन 0% चालू व्यय। सीनियर वकील ने आगे दावा किया कि दिल्ली सरकार की अपनी योजना की पहुंच और कवरेज बहुत बड़ी है।
प्रस्तुतियां सुनने के बाद खंडपीठ ने याचिका पर नोटिस जारी किया और हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने का निर्देश दिया।
संक्षेप में मामला
दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकारी अस्पतालों में आईसीयू बेड और वेंटिलेटर सुविधाओं की उपलब्धता के मुद्दे पर 2017 में शुरू की गई स्वप्रेरणा जनहित याचिका पर विचार करते हुए यह आदेश पारित किया। यह कहा गया कि दिल्ली में PM-ABHIM Scheme को लागू न करना, जबकि 33 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश इसे पहले ही लागू कर चुके हैं, उचित नहीं होगा।
हाईकोर्ट ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि दिल्ली के निवासी इसके तहत धन और सुविधाओं से वंचित न हों, इस योजना को पूरी तरह से लागू किया जाना चाहिए। इसके अलावा, यह भी कहा गया कि आदर्श आचार संहिता, यदि कोई हो, के बावजूद समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाएंगे, क्योंकि यह दिल्ली के निवासियों के लाभ के लिए है।
इस आदेश से पहले हाईकोर्ट ने गंभीर देखभाल रोगियों के इलाज के लिए मेडिकल बुनियादी ढांचे की कमी पर चिंता व्यक्त की और दिल्ली सरकार से पूछा था कि बुनियादी ढांचा मांग के अनुरूप क्यों नहीं है। न्यायालय ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार को पायलट आधार पर PM-ABHIM Scheme के कार्यान्वयन में देरी नहीं करनी चाहिए। बाद में इसे सभी अस्पतालों में लागू करना चाहिए।
केस टाइटल: दिल्ली सरकार बनाम भारत संघ और अन्य, डायरी संख्या 921-2025