सुप्रीम कोर्ट ने जातिसूचक टिप्पणी को लेकर अभिनेत्री मुनमुन दत्ता के खिलाफ दर्ज एफआईआर पर रोक लगाई

LiveLaw News Network

19 Jun 2021 3:54 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने जातिसूचक टिप्पणी को लेकर अभिनेत्री मुनमुन दत्ता के खिलाफ दर्ज एफआईआर पर रोक लगाई

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अभिनेत्री मुनमुन दत्ता के खिलाफ देश के कई हिस्सों में एक जातिवादी टिप्पणी को लेकर दर्ज एफआईआर में जांच पर रोक लगा दी। यह टिप्पणी उनके द्वारा सोशल मीडिया में पोस्ट किए गए एक वीडियो में की गई है।

    न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की अवकाश पीठ ने भी कई राज्यों में दर्ज विभिन्न एफआईआर को एक साथ जोड़ने और समेकित करने की उनकी प्रार्थना पर नोटिस जारी किया।

    हालांकि, भविष्य में एफआईआर दर्ज करने पर अंकुश लगाने के निर्देश जारी करने से परहेज करते हुए अदालत ने टिप्पणी की कि याचिकाकर्ता उसी के मामले में अदालत का दरवाजा खटखटा सकती है।

    शुक्रवार की सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पुनीत बाली ने अदालत के समक्ष तर्क दिया कि भाषा की बाधा के कारण अभिनेत्री एक बंगाली शब्द के सही अर्थ से अनजान है।

    हालांकि इस तर्क को कोर्ट ने खारिज कर दिया।

    कोर्ट ने कहा,

    "यह सच नहीं है। आपको सूचित नहीं किया जा सकता है। हर कोई अर्थ जानता है। बांग्ला में एक ही शब्द का प्रयोग किया जाता है। वह कलकत्ता में थी, जब उसने यह कहा।"

    बाली ने प्रस्तुत किया,

    "वह मान रही है कि उसने कहा था, लेकिन संदर्भ अलग था। मैं वीडियो दिखा सकता हूं। केवल एक ही राहत है कि यह न्यायालय मुझे दे सकता है और जो हाईकोर्ट नहीं दे सकता है। अमीश के पटेल आदि पांच अलग-अलग राज्यों में एक ही बात पर पांच एफआईआर मामलों में इसी तरह की राहत दी गई है।"

    बाली ने यह भी कहा कि दत्ता एक ऐसी महिला है, जिन्होंने हाल ही में अपने पिता को खो दिया है।

    हालांकि, कोर्ट ने पूछा,

    "क्या महिलाओं के पास बेहतर अधिकार या समान अधिकार हैं?"

    बाली ने तब तर्क दिया कि शिकायतें लोकप्रियता के लिए दायर की गई है। एक मौका है कि कोई वास्तविक गलती कर सकता है; कोई गलत मंशा नहीं थी।

    बाली ने प्रस्तुत किया,

    "दो घंटे के भीतर किसी ने मुझे अर्थ बताया और मैंने तुरंत वीडियो हटा दिया। लेकिन इन लोगों के खिलाफ कोई एफआईआर नहीं की गई है। मेरा कोई इरादा नहीं है, कोई गलत मंशा नहीं थी।"

    इसके बाद पीठ ने याचिका में नोटिस जारी किया और अभिनेत्री के खिलाफ दर्ज पांच एफआईआर पर रोक लगाने का निर्देश दिया।

    एक इंस्टाग्राम वीडियो में जातिवादी गाली का इस्तेमाल करने के लिए मुनमुन दत्ता के खिलाफ धारा 3 (1) (यू) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत पांच एफआईआर दर्ज की गई हैं। अभिनेत्री ने सार्वजनिक रूप से इसके लिए माफी मांगी है और कहा है कि भाषाई बाधा के चलते वह इसके अर्थ से अवगत नहीं थी।

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