सुप्रीम कोर्ट ने NCISM अध्यक्ष की नियुक्ति रद्द करने वाले फैसले पर लगाई रोक
Shahadat
10 Jun 2025 4:10 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (10 जून) को दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें वैद्य जयंत यशवंत देवपुजारी की राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा पद्धति आयोग (NCISM) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति रद्द कर दिया गया।
जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस मनमोहन की खंडपीठ ने देवपुजारी और NCISM द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिकाओं पर नोटिस जारी करते हुए अंतरिम आदेश पारित किया, जिसमें हाईकोर्ट के 6 जून को सुनाए गए फैसले को चुनौती दी गई थी।
खंडपीठ ने कहा कि चूंकि देवपुजारी पद से आज (मंगलवार) रिटायर होने वाले हैं, इसलिए हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई जा रही है, जिससे उन्हें पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों से वंचित न किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि वह इस सवाल पर विचार करेगा कि क्या देवपुजारी की पीएचडी योग्यता को पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री की वैधानिक रूप से निर्धारित योग्यता के बराबर माना जा सकता है।
जस्टिस मिश्रा ने कहा,
"सवाल यह है कि क्या उनकी पीएचडी पोस्ट ग्रेजुएट के बराबर है।"
चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की हाईकोर्ट की खंडपीठ ने डॉ. वेद प्रकाश त्यागी और डॉ. रघुनंदन शर्मा द्वारा दायर याचिकाओं पर फैसला सुनाया, जिसमें देवपुजारी की नियुक्ति को इस आधार पर रद्द करने के लिए क्वो वारंटो की रिट की मांग की गई कि उनके पास क़ानून द्वारा निर्धारित पात्रता मानदंड नहीं थे। हाईकोर्ट ने माना कि देवपुजारी के पास भारतीय चिकित्सा पद्धति के किसी भी विषय में पोस्ट ग्रेजुएट योग्यता नहीं है। इसलिए वह NCISM Act, 2020 की धारा 4(2) के तहत पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं। यद्यपि देवपुजारी के पास पीएचडी योग्यता है, लेकिन हाईकोर्ट ने माना कि चूंकि यह पोस्ट ग्रेजुएट के बाद नहीं बल्कि ग्रेजुएट के बाद सीधे दी गई थी, इसलिए उन्हें पोस्ट ग्रेजुएट योग्यता रखने वाला नहीं माना जा सकता।
हाईकोर्ट ने कहा,
"हम जब NCISM Act, 2020 की धारा 4(2) में आने वाली अभिव्यक्ति "पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री" पर विचार करते हैं तो हमारा विचार है कि इस प्रावधान में पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री का अर्थ किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा अध्ययन की निश्चित अवधि/पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद प्रदान की जाने वाली डिग्री होगी, जिसके पास पहले से ही ग्रेजुएट की डिग्री है, क्योंकि पीएचडी एक शैक्षणिक योग्यता नहीं है; बल्कि यह एक शोध योग्यता है। यह भी ध्यान देने योग्य है कि एक रिसर्च स्कॉलर को कोई नियमित कोर्स नहीं करना पड़ता, लेकिन उसे शोध कार्य करना होता है। पीएचडी डिग्री के लिए आम तौर पर अध्ययन का कोई नियमित पाठ्यक्रम निर्धारित नहीं होता है और न ही उम्मीदवार को किसी पारंपरिक परीक्षा में शामिल होना पड़ता है, जिसमें न्यूनतम मानक तय होते हैं। पीएचडी की डिग्री किसी स्कॉलर को किसी विशेष विषय पर उसके शोध कार्य की मान्यता के रूप में प्रदान की जाती है।"
हाईकोर्ट ने कहा,
"ग्रेजुएट के बाद यूनिवर्सिटी द्वारा प्रदान की जाने वाली प्रत्येक डिग्री को "पोस्ट ग्रेजुएट योग्यता" नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि हमारे देश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में "पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री" ने एक विशेष अर्थ और महत्व प्राप्त कर लिया है और पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री का अर्थ एम.ए. जैसी मास्टर डिग्री है।"
Case : VAIDYA JAYANT YASHWANT DEOPUJARI VS. VED PRAKASH TYAGI | DIARY NO. - 32061/2025 and NATIONAL COMMISSION FOR INDIAN SYSTEM OF MEDICINE VS. VED PRAKASH TYAGI DIARY NO. - 32087/2025