सुप्रीम कोर्ट ने 2010 से पहले के OBC आरक्षण के तहत WBJEE के परिणामों को पुनर्निर्धारित करने के निर्देश पर लगाई रोक
Shahadat
23 Aug 2025 10:07 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस निर्देश पर रोक लगाई, जिसमें पश्चिम बंगाल संयुक्त प्रवेश परीक्षा बोर्ड (WBJEE) को 2025 की संयुक्त प्रवेश परीक्षाओं के लिए तैयार की गई मेरिट सूची को पुनर्निर्धारित करने और उसे 2010 से पहले के OBC आरक्षण प्रतिशत के अनुरूप लाने का आदेश दिया गया।
इस स्थगन आदेश के तहत 10 जून, 2025 को अधिसूचित राज्य की नई OBC आरक्षण सूची के अनुसार WBJEE 2025 के परिणाम घोषित करने की अनुमति दी गई।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने पश्चिम बंगाल राज्य द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया। हाईकोर्ट के विवादित फैसले के क्रियान्वयन पर रोक लगाने का निर्देश दिया।
उक्त विवादित आदेश सुप्रीम कोर्ट के 28 जुलाई के अंतरिम आदेश के बाद पारित किया गया। इसमें न्यायालय ने कलकत्ता हाईकोर्ट का आदेश स्थगित रखा था, जिसमें पश्चिम बंगाल राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की नई सूची से संबंधित अधिसूचनाओं पर रोक लगा दी गई।
राज्य ने निम्नलिखित आधार उठाए: (1) न्यायालय ने इस तथ्य की अनदेखी की कि सुप्रीम कोर्ट के स्थगन आदेश के बाद OBC प्रमाणपत्र का लाभ चाहने वाले व्यक्तियों की सामाजिक स्थिति जानने के लिए नया सर्वेक्षण किया गया था। चूंकि ऐसे सभी उम्मीदवारों ने अपना डेटा निर्दिष्ट पोर्टल पर अपलोड कर दिया, इसलिए अब केवल उन्हीं उम्मीदवारों को लाभ दिया जाएगा, जिनके पास हालिया अधिसूचना के अनुसार वैध प्रमाणपत्र होगा।
हालांकि, "आलोचित आदेश में इस बात पर भी विचार नहीं किया गया कि JEMAS (PC) 2025 के परिणाम के अनुसार एडमिशन देने के लिए रद्द किए गए किसी भी प्रमाणपत्र पर विचार नहीं किया जाएगा।"
(2) याचिकाकर्ता को सुनवाई का कोई अवसर दिए बिना आदेश पारित किया गया।
(3) इस आदेश का पश्चिम बंगाल में सभी चयन प्रक्रियाओं पर 'व्यापक प्रभाव' पड़ेगा और "यह पश्चिम बंगाल राज्य में ओबीसी आरक्षण को 17% से घटाकर 7% कर देगा।"
(4) यह आदेश भारत के संविधान के अनुच्छेद 15(5) और 16(4) के साथ-साथ इस माननीय न्यायालय द्वारा पारित निर्देशों का भी उल्लंघन है।
(5) यह आदेश इंद्रा साहनी एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य मामले में दिए गए निर्णय का उल्लंघन है, जिसके परिणामस्वरूप पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम, 1993 लागू किया गया। इस अधिनियम में 1993 अधिनियम की धारा 2(सी) के तहत परिभाषित सूचियों में OBC को शामिल किया गया, जिन्हें सरकार द्वारा समय-समय पर 1993 अधिनियम में निर्धारित तरीके से पिछड़े वर्गों के नागरिकों के पक्ष में आरक्षण का प्रावधान करने के उद्देश्य से तैयार किया जाता है।
7 अगस्त को कलकत्ता उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति कौशिक चंदा की पीठ ने विवादित आदेश में कहा:
"इस न्यायालय का स्पष्ट मत है कि पश्चिम बंगाल संयुक्त प्रवेश परीक्षा बोर्ड ने इस प्रकार से मेरिट सूची तैयार और प्रकाशित करके इस न्यायालय द्वारा पारित 21 मई, 2025 के आदेश, विशेष रूप से उक्त आदेश के प्रभावी भाग के खंड (च) का उल्लंघन किया। यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित 28 जुलाई, 2025 का अंतरिम आदेश OBC-ए और OBC-बी प्रमाणपत्रों को पुनर्जीवित या मान्य नहीं करता, जिन्हें इस न्यायालय की खंडपीठ ने 22 मई, 2024 के अपने आदेश द्वारा स्पष्ट रूप से रद्द कर दिया। वह आदेश अभी भी बरकरार है। निर्विवाद स्थिति यह है कि संयुक्त प्रवेश बोर्ड ने OBC उम्मीदवारों को ऐसे रद्द किए गए प्रमाणपत्रों के आधार पर परीक्षा में भाग लेने की अनुमति दी है।"
उन्होंने कहा,
"हालांकि, इसमें कोई संदेह नहीं है कि पश्चिम बंगाल संयुक्त प्रवेश परीक्षा बोर्ड द्वारा संयुक्त प्रवेश परीक्षा-2025 के लिए मेरिट सूची तैयार करना इस न्यायालय के 21 मई, 2025 के आदेश के खंड (एफ) का स्पष्ट उल्लंघन है।"
हाईकोर्ट ने निम्नलिखित निर्देश पारित किए:
1. पश्चिम बंगाल संयुक्त प्रवेश परीक्षा बोर्ड अमल चंद्र दास बनाम पश्चिम बंगाल राज्य (सुप्रा) मामले में खंडपीठ द्वारा पारित 22 मई, 2024 के निर्णय और आदेश के अनुसार, पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग विभाग द्वारा 2010 से पहले मान्यता प्राप्त 66 OBC वर्गों के उम्मीदवारों के लिए 7% आरक्षण प्रदान करते हुए मेरिट सूची का पुनर्गठन करेगा और एक नया पैनल प्रकाशित करेगा।
2. यह पूरी प्रक्रिया इस आदेश की तिथि से 15 दिनों की अवधि के भीतर पूरी की जाएगी।
3. अनुपालन के हलफनामे पश्चिम बंगाल संयुक्त प्रवेश परीक्षा बोर्ड के रजिस्ट्रार और पश्चिम बंगाल उच्च शिक्षा विभाग के सीनियर स्पेशल के पद से नीचे के अधिकारी द्वारा सुनवाई की अगली तिथि पर दायर किए जाएंगे।
4. 21 मई, 2025 के आदेश के विरुद्ध लंबित अपीलों को देखते हुए इस स्तर पर कोई अवमानना कार्यवाही शुरू नहीं की जा रही है।
5. रजिस्ट्री इस आदेश की एक प्रति तत्काल मुख्य सचिव, पश्चिम बंगाल सरकार को भेजेगी, जो इसे राज्य सरकार के सभी संबंधित विभागों को सभी चल रही और आगामी भर्तियों के संबंध में उनके मार्गदर्शन के लिए अग्रेषित करेंगे।
Case : State of West Bengal v X | Diary No.45628/2025

