सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट स्टाफ के विरोध स्वरूप सामूहिक अवकाश लेने पर कड़ी फटकार लगाई, अनुशासनात्मक कार्रवाई को मंजूरी दी
Shahadat
29 July 2025 8:12 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा उन जिला अदालतों के कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने के निर्देशों में हस्तक्षेप करने से इनकार किया, जो हड़ताल के तहत राज्य भर में सामूहिक अवकाश पर गए थे।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की खंडपीठ राजस्थान न्यायिक कर्मचारी संघ (RJEA) की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा सामूहिक हड़ताल पर गए जिला अदालतों के कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही से छूट देने की मांग की गई थी।
चीफ जस्टिस ने यह भी टिप्पणी की,
"यदि आप इतने चिंतित हैं तो आपको (शिकायतों के लिए) अदालत का रुख करना चाहिए था, न कि बंदूक की नोक पर (सामूहिक अवकाश लेकर)..... केवल इसी वजह से कितने कीमती न्यायिक कार्य के घंटे बर्बाद हुए हैं।"
वकील ने बताया कि 2022 में हाईकोर्ट ने कैडर प्रणाली के पुनर्गठन को मंजूरी दी थी। चूंकि राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के प्रस्ताव को कभी लागू नहीं किया, इसलिए राजस्थान की सभी जिला अदालतों के न्यायिक कर्मचारियों ने सामूहिक अवकाश पर जाने का फैसला किया।
हालांकि यह आंदोलन शुरू में भूख हड़ताल के रूप में शुरू हुआ था, लेकिन 20,000 जिला अदालत कर्मचारियों ने 3 कार्यदिवसों सहित 7 दिनों तक यह आंदोलन जारी रखा।
इसके बाद 24 जुलाई को हाईकोर्ट ने निर्देश पारित किया कि सामूहिक अवकाश पर गए कर्मचारियों पर आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम ("एस्मा") के तहत कार्रवाई की जाएगी।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि न्यायालय कर्मचारियों की कैडर संख्या में बदलाव के मुद्दे पर सरकार पहले से ही विचार कर रही है, लेकिन राजस्थान न्यायिक कर्मचारी संघ ने इसे अनुशासनहीनता का गंभीर मामला बताते हुए हाईकोर्ट के महापंजीयक के माध्यम से नहीं, बल्कि सीधे मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था।
वकील ने बताया कि सभी जिलों के न्यायालय कर्मचारियों ने आश्वासन दिया कि वे आज से काम पर लौट आएंगे।
चीफ जस्टिस ने जब पूछा कि क्या न्यायालय के कर्मचारी हाईकोर्ट द्वारा निर्धारित तिथि 25 जुलाई से कार्यभार ग्रहण कर चुके हैं तो वकील ने बताया कि कार्यभार ग्रहण करने की तिथि उक्त तिथि पर नहीं, बल्कि उसके बाद हुआ था।
इसी बात को ध्यान में रखते हुए खंडपीठ ने याचिका पर विचार करने से इनकार किया और उसे खारिज करने का आदेश दिया।
चीफ जस्टिस ने यह भी टिप्पणी की,
"यदि आप इतने चिंतित हैं तो आपको (शिकायतों के लिए) न्यायालय से संपर्क करना चाहिए था, न कि न्यायालय को बंदूक की नोक पर (सामूहिक अवकाश लेकर)... केवल इसी कारण कितने घंटे का बहुमूल्य न्यायिक कार्य बर्बाद हुआ है।"
Case Details : RAJASTHAN JUDICIAL EMPLOYEES ASSOCIATION vs. STATE OF RAJASTHAN| W.P.(C) No. 000713 / 2025

