वकील ने विशेष पीठ के समक्ष बहस करने से किया इनकार, सुप्रीम कोर्ट हुआ हैरान, अवमानना नोटिस जारी किया

Shahadat

14 Dec 2023 6:31 AM GMT

  • वकील ने विशेष पीठ के समक्ष बहस करने से किया इनकार, सुप्रीम कोर्ट हुआ हैरान, अवमानना नोटिस जारी किया

    सुप्रीम कोर्ट ने (01 दिसंबर को) आपराधिक अपील पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के समक्ष बहस करने से इनकार करने पर एक वकील के आचरण पर आश्चर्य व्यक्त किया।

    मामला भारतीय दंड संहिता, 1860 के कई प्रावधानों के तहत आरोपी व्यक्तियों/अपीलकर्ताओं की सजा से संबंधित है। इस सजा के खिलाफ अपीलकर्ताओं ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया। वहीं, कोर्ट ने उन्हें अपील के निपटारे तक जमानत दे दी। हालांकि, जब मामला सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया तो अपीलकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने हाईकोर्ट के समक्ष बहस करने से इनकार कर दिया। इसके अनुसरण में अपीलकर्ताओं को दी गई अंतरिम जमानत रद्द कर दी गई।

    इस पृष्ठभूमि में, मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया।

    जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस पंकज मित्तल के समक्ष मामला पेश किया गया।

    अपीलकर्ताओं के वकील के इस आचरण के संबंध में डिवीजन बेंच ने कहा:

    “हम यह जानकर हैरान हैं कि अपीलकर्ताओं द्वारा नियुक्त वकील ने हाईकोर्ट की संबंधित पीठ को यह बताने का साहस किया कि वह उस पीठ के समक्ष मामले पर बहस नहीं करना चाहेंगे। हम वकील के आचरण से अलग से निपट रहे हैं।

    न्यायालय ने आगे कहा कि उक्त आचरण प्रथम दृष्टया, आपराधिक अवमानना ​​की श्रेणी में आ सकता है। इसे देखते हुए कोर्ट ने संबंधित वकील को सुप्रीम कोर्ट में पेश होने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया।

    इसके अतिरिक्त, न्यायालय ने यह भी कहा कि अपीलकर्ताओं के वकील की चूक के कारण जमानत रद्द नहीं की जानी चाहिए।

    कोर्ट ने कहा,

    "यह जोड़ने की आवश्यकता नहीं कि केवल अपीलकर्ताओं के वकील द्वारा डिफ़ॉल्ट के कारण अपीलकर्ताओं को जमानत रद्द करने का कठोर आदेश पारित करके दंडित नहीं किया जाना चाहिए।"

    विस्तार से बताते हुए न्यायालय ने कहा कि हाईकोर्ट इसके बजाय अभियुक्तों के लिए एमिक्स क्यूरी नियुक्त कर सकता था और गुण-दोष के आधार पर मामले की सुनवाई कर सकता था। मोरेसो, सुस्थापित सिद्धांत के मद्देनजर कि यदि आरोपी का वकील दोषसिद्धि के खिलाफ अपील में 'अनुचित स्थगन' की मांग करता है तो हाईकोर्ट द्वारा उल्लिखित विकल्प को अपनाया जा सकता है।

    कोर्ट ने आगे कहा,

    "इस न्यायालय ने बार-बार यह विचार किया कि किसी दिए गए मामले में जहां दोषसिद्धि के खिलाफ अपील में आरोपी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील द्वारा अनुचित स्थगन की मांग की जाती है, अदालत के पास आरोपी के पक्ष का समर्थन करने और गुण-दोष के आधार पर अपील पर सुनवाई के लिए एमिक्स क्यूरी नियुक्त करने का विकल्प होता है। उक्त पाठ्यक्रम को हाईकोर्ट द्वारा अपनाया जा सकता है।

    इस प्रकार, न्यायालय ने हाईकोर्ट द्वारा पारित अंतरिम जमानत आदेश को बहाल कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि यदि किसी अपील की सुनवाई के दौरान अनुचित स्थगन की मांग की जाती है तो हाईकोर्ट एमिक्स क्यूरी नियुक्त कर सकता है।

    कोर्ट ने कहा,

    "हम यह स्पष्ट करते हैं कि जब भी अपील सुनवाई के लिए तय की जाती है, यदि अपीलकर्ता अनुचित स्थगन की मांग करते हैं तो अदालत के लिए वकील को एमिकस क्यूरी के रूप में नियुक्त करके आपराधिक अपील की सुनवाई के साथ आगे बढ़ना खुला होगा।"

    केस टाइटल: कृष्ण कुमार बनाम उत्तर प्रदेश राज्य., डायरी नंबर- 18594 - 2023

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