"समयबद्ध तरीके से चुनाव कराने के संवैधानिक जनादेश को इस तरह से पराजित नहीं किया जा सकता" : सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु स्थानीय चुनाव के लिए 15 सितंबर डेडलाइन दी
LiveLaw News Network
23 Jun 2021 12:52 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को तमिलनाडु राज्य चुनाव आयोग को 15 सितंबर, 2021 तक नौ नवगठित जिलों में स्थानीय निकाय चुनावों की पूरी प्रक्रिया को समाप्त करने का निर्देश दिया, जिसमें चुनाव कार्यक्रम के प्रकाशन / अधिसूचना और चुनाव के परिणाम शामिल हैं।
जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की एक बेंच उस याचिका में एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने पहले दिसंबर 2019 में राज्य को तीन महीने की अवधि के भीतर नौ नवगठित जिलों का परिसीमन करने का निर्देश दिया था।
हालांकि, राज्य ने इसे पूरा करने में 18 महीने से अधिक का समय लिया था, और चुनाव कराने के लिए 6 महीने और मांगे थे।
मंगलवार की सुनवाई में, भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) के लिए उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस नरसिम्हा ने अदालत को सूचित किया कि राज्य में होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों को पूरा करने के लिए चार महीने की आवश्यकता है।
हालांकि, शुरू में न्यायालय ने इसका विरोध किया था -
"आपका कार्यकाल 2018-2019 में समाप्त हो गया था। यहां तक कि परिसीमन 4 महीने में होना था, लेकिन इसके बजाय 18 महीने बीत चुके हैं। 31 अगस्त तक चुनाव कराएं। हम जमीनी हकीकत बारे में जानते हैं। यह राजनीतिक दल हैं जो तैयार नहीं हैं।"
इसके जवाब में, नरसिम्हा ने प्रस्तुत किया कि COVID-19 महामारी ने प्रक्रिया को बाधित कर दिया था और अधिक समय मांगा। उनके दावे का समर्थन राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पी विल्सन ने किया, जिन्होंने कहा कि "प्रशासन की दक्षता पर सवाल नहीं है। तमिलनाडु में मामलों की संख्या अधिक है; यह एक स्वास्थ्य समस्या है।"
यह कहते हुए कि कोविड "सभी मामलों के लिए एक अच्छा बहाना" बन गया है, कोर्ट ने कहा कि चुनाव कराना एक संवैधानिक दायित्व है जिसका पालन किया जाना है।
हालांकि, पीठ ने चुनाव संपन्न करने के लिए 15 सितंबर तक का समय दिया।
कोर्ट ने रिकॉर्ड किया,
"हम चुनाव कार्यक्रम के प्रकाशन / अधिसूचना और 15 सितंबर, 2021 से पहले उसके परिणाम सहित पूरी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए 15 सितंबर, 2021 तक का समय विस्तार देते हैं क्योंकि समयबद्ध तरीके से चुनाव कराने के संवैधानिक जनादेश को इस तरह से पराजित नहीं किया जा सकता है।"
गौरतलब है कि 11 दिसंबर, 2019 के आदेश में, भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस संजीव खन्ना की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने प्रतिवादियों को निर्देश जारी करके जनहित याचिका का निपटारा किया था कि 2011 की जनगणना के आधार पर परिसीमन अभ्यास के बाद सीटों की संख्या को देखते हुए सभी वार्डों के चुनाव कराए जाएंगे ।परिसीमन की क़वायद के लिए जो समय दिया गया था, वह 3 महीने तय किया गया था।