सुप्रीम कोर्ट ने हिरासत में मौत के मामले में फरार मध्य प्रदेश पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी के लिए CBI की समय-सीमा तय की

Shahadat

26 Sept 2025 4:37 PM IST

  • सुप्रीम कोर्ट ने हिरासत में मौत के मामले में फरार मध्य प्रदेश पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी के लिए CBI की समय-सीमा तय की

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को चेतावनी दी कि वह 26 वर्षीय देवा पारधी की हिरासत में मौत के लिए कथित रूप से ज़िम्मेदार दो पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार करने में विफल रहने पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और मध्य प्रदेश राज्य के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना ​​के आरोप तय करेगा और आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए उन्हें 7 अक्टूबर तक का समय दिया।

    कोर्ट ने कहा,

    "सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करें। अगर पालन नहीं किया जाता है तो हम जानते हैं कि पालन कैसे करवाया जाता है। हम न्यायालय की अवमानना ​​अधिनियम के तहत आरोप तय करेंगे और परिणाम भुगतने होंगे। हम आपको एक अवसर दे रहे हैं। हम धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं। हम अभी आरोप तय करने में जल्दबाजी नहीं कर रहे हैं।"

    जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन की खंडपीठ पारधी की माँ द्वारा दायर अवमानना ​​याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें न्यायालय के 15 मई, 2025 के आदेश के उल्लंघन का आरोप लगाया गया। इस आदेश के तहत CBI को घटना के लिए ज़िम्मेदार सभी अधिकारियों को एक महीने के भीतर गिरफ्तार करने का आदेश दिया गया। न्यायालय ने यह कहते हुए जांच CBI को सौंप दी कि राज्य पुलिस मामले को दबाने और प्रभावित करने का प्रयास कर रही है।

    अदालत ने आदेश दिया,

    “आगामी अवकाश को देखते हुए हम निर्देश देते हैं कि प्रतिवादी इस न्यायालय के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करें और 7 अक्टूबर, 2025 को या उससे पहले अनुपालन की रिपोर्ट दें। यदि अनुपालन होता है तो याचिकाकर्ता के वकील इसका उल्लेख कर सकते हैं। मामला 8 अक्टूबर, 2025 को सूचीबद्ध किया जाएगा। यदि अनुपालन नहीं होता है तो प्रतिवादी नंबर 1 (राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह)) और प्रतिवादी संख्या 3 (CBI के जांच अधिकारी) न्यायालय में उपस्थित होंगे। यह कहना अनावश्यक है कि राज्य और डीजीपी न्यायालय के निर्देश का पालन करने के लिए कदम उठाने हेतु CBI को सभी प्रासंगिक जानकारी प्रदान करेंगे।”

    जस्टिस नागरत्ना ने कहा,

    "उन्हें इस अदालत में उपस्थित होने दें। उन्हें आरोप तय करने और आगे की कार्रवाई के लिए तैयार रहने दें।"

    इस मामले में आरोपी दो पुलिस अधिकारी संजीत सिंह मावई और उत्तम सिंह कुशवाहा गिरफ्तार नहीं किए गए और CBI के अनुसार, अप्रैल 2025 से फरार हैं।

    मंगलवार को अदालत ने CBI को उनका पता लगाने और उन्हें गिरफ्तार करने में असमर्थता के लिए फटकार लगाई। अदालत ने CBI को यह भी चेतावनी दी कि अगर एकमात्र चश्मदीद गवाह और मृतक के चाचा गंगाराम पारधी, जो न्यायिक हिरासत में हैं, उसके साथ कुछ भी अप्रिय हुआ तो उसे जवाबदेह ठहराया जाएगा।

    गुरुवार को CBI के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल राजा ठाकरे ने अदालत को बताया कि CBI ने भौतिक निगरानी की, वित्तीय लेनदेन पर नज़र रखी, टोल डेटा और सोशल मीडिया की जांच की और दोनों अधिकारियों का पता लगाने के लिए ₹2 लाख के इनाम की घोषणा की। खंडपीठ ने इन प्रयासों को "दिखावा" बताया।

    यह भी सामने आया कि महीनों तक ड्यूटी से अनुपस्थित रहने के बावजूद अधिकारियों को पिछले दिन ही निलंबित किया गया, जिसके कारण अदालत ने मध्य प्रदेश सरकार की निष्क्रियता पर सवाल उठाया। एडवोकेट पयोशी रॉय ने बताया कि दोनों अधिकारी एक दिन पहले तक वेतन लेते रहे।

    अदालत ने मध्य प्रदेश को प्रतिवादी के रूप में फिर से नियुक्त किया और मामले की सुनवाई आज सुबह 10:30 बजे के लिए निर्धारित की। जस्टिस नागरत्ना ने टिप्पणी की कि राज्य सरकार जो "सबसे अच्छी बात" कह सकती है, वह यह है कि दोनों अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया।

    जब मामला सुनवाई के लिए आया तो राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि दोनों अधिकारियों को मई 2025 से वेतन नहीं दिया गया।

    राज्य सरकार के वकील ने कहा,

    "उन्हें मई से वेतन नहीं दिया गया। अदालत के आदेश से पहले भी वे इसके लिए लाइन में थे। लेकिन वे फरार हैं।"

    जस्टिस नागरत्ना ने राज्य सरकार और CBI पर उनका पता न लगा पाने के लिए फिर से सवाल उठाया।

    जस्टिस नागरत्ना ने कहा,

    "अगर वे निजी व्यक्ति होते तो आप उन्हें तुरंत ढूंढ लेते।"

    राज्य सरकार ने कहा कि वह CBI को आवश्यक सभी उपकरण उपलब्ध कराने के लिए तैयार है।

    याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट पयोशी रॉय ने आरोप लगाया कि उनका पता लगाने के प्रयास वास्तविक नहीं है, बल्कि उन्हें केवल भागने का समय दे रहे है। "वे बस समय खरीद रहे हैं ताकि प्रत्यक्षदर्शी पर पर्याप्त दबाव डाला जा सके और वह इस्तीफ़ा दे दे।" उन्होंने बताया कि CBI पहली बार अधिकारियों के घर तब गई, जब अदालत द्वारा 15 मई को निर्धारित एक महीने की समय सीमा पहले ही समाप्त हो चुकी थी।

    CBI के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल राजा ठाकरे ने कहा कि एजेंसी उनका पता लगाने के लिए सभी कदम उठा रही है। उन्होंने दोनों अधिकारियों का पता लगाने और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए समय मांगा।

    हालांकि, जस्टिस नागरत्ना ने कहा,

    "हम आपकी दलीलों से सहमत नहीं हैं। अगला कदम अवमानना ​​के आरोप तय करना है। प्रतिवादियों को पेश होने दीजिए।"

    जस्टिस महादेवन ने बताया कि वे 15 अप्रैल से लापता हैं और सवाल किया कि अगस्त में उनमें से एक द्वारा अग्रिम ज़मानत याचिका दायर करने के बाद भी उनका पता कैसे नहीं चला।

    खंडपीठ ने कहा कि दोनों पुलिस अधिकारी सुप्रीम कोर्ट द्वारा उन्हें गिरफ्तार करने के आदेश के बावजूद अग्रिम ज़मानत याचिका दायर करके अदालत की घोर अवमानना ​​कर रहे हैं। CBI और राज्य दोनों द्वारा अनुपालन के लिए और समय मांगे जाने के बाद अदालत ने उन्हें अंतिम अवसर दिया।

    Case Title – Hansura Bai v. Hanuman Prasad Meena

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