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सुप्रीम कोर्ट ने 1983 के हत्या के मामले में दोष रद्द किया, दोषी की किशोर होने की दलील स्वीकार की

LiveLaw News Network
29 Jan 2021 4:27 PM GMT
सुप्रीम कोर्ट ने 1983 के हत्या के मामले में दोष रद्द किया, दोषी की किशोर होने की दलील स्वीकार की
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सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के एक मामले में यह पाने के बाद कि आरोपी (17 साल और 1 महीने) की घटना की तारीख (01.08.1983) को किशोर था, समवर्ती दोष को रद्द को रद्द कर दिया है।

योगेंद्र यादव की हत्या के मामले में दोषी ठहराए जाने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2019 में बरकरार रखा था। हाईकोर्ट ने दोष की 1985 में दायर अपील को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने, जैसा कि आरोपी ने किशोर होने की दलील पेश की थी, जिला न्यायाधीश, आजमगढ़ से एक रिपोर्ट मांगी थी।

अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अपीलार्थी के जन्म की तारीख 01.07.1966 है और घटना की तारीख को वह 17 साल एक महीने का था। अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश की ओर से पेश की रिपोर्ट पर राज्य ने भी कोई आपत्ति नहीं जताई।

जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने अपील की अनुमति देते हुए कहा, "अपीलार्थी की जन्म तिथि 01.07.1966 है और घटना की तारीख के दिन अपीलकर्ता की उम्र 17 साल और एक महीने थी। अपीलकर्ता के किशोर होने के नाते, हम इस विचार के हैं कि ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित दोषसिद्धि के आदेश, सजा की पुष्टि करने के हाईकोर्ट के फैसले को रद्द किया जाना चाहिए।",

अदालत ने यह भी कहा कि वह मामले को किशोर न्याय बोर्ड को वापस भेजने का कोई कारण नहीं पाता है क्योंकि अपीलकर्ता दो साल से अधिक समय तक हिरासत में था। हम किशोर न्याय बोर्ड को निर्देश नहीं दे रहे हैं कि किशोर न्याय अधिनियम के तहत कोई भी मुकदमा चलाया जाए।

मामला: योगेंद्र यादव बनाम उत्तर प्रदेश राज्य [CRIMINAL APPEAL NO.73 OF 2021]

कोरम: जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह

CITATION: LL 2021 SC 47

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