क्या सहारा का वर्सोवा प्लॉट मैंग्रोव वन के भीतर है? सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से इस बात पर जवाब मांगा
Shahadat
13 Feb 2025 4:41 AM

SEBI बनाम सहारा मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (12 फरवरी) को वन एवं शहरी विकास विभाग और महाराष्ट्र राज्य के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर इस बात पर स्पष्टीकरण मांगा कि क्या अपने लेनदारों को भुगतान करने के लिए सहारा के वर्वोसा प्लॉट को विकसित करना आरक्षित मैंग्रोव वन क्षेत्र में घुसपैठ करना होगा।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) संजीव खन्ना, जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस बेला त्रिवेदी की पीठ सहारा ग्रुप ऑफ कंपनीज के खिलाफ अवमानना याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जो कोर्ट के 2012 के आदेश का उल्लंघन कर रही थीं।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) को निर्देश दिया कि वह सहारा ग्रुप के मुंबई में वर्सोवा भूमि को विकसित करने के लिए प्रस्तावित ओबेरॉय रियल्टी के साथ सहारा ग्रुप के संयुक्त उद्यम समझौते की जांच करे और कोर्ट के समक्ष सीलबंद लिफाफे में जवाब दाखिल करे। परियोजना के लिए प्रस्तावित डेवलपर को न्यायालय में 1000 करोड़ रुपये जमा करने का भी आदेश दिया गया।
सीनियर एडवोकेट शेखर नाफड़े (एमिक्स क्यूरी) ने पीठ को सूचित किया कि मुंबई उपनगरीय जिले के कलेक्टर द्वारा 28.7.1997 को लिखे गए पत्र के अनुसार, सहारा का वर्सोवा भूखंड राज्य के मैंग्रोव वन क्षेत्र के अंतर्गत आएगा।
इस पर विचार करते हुए पीठ ने राज्य के वन और शहरी विकास मंत्रालय और महाराष्ट्र राज्य के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर वर्सोवा भूखंड की वर्तमान स्थिति के बारे में न्यायालय को स्पष्ट करने को कहा।
सुनवाई के दौरान, जस्टिस सुंदरेश ने यह भी उल्लेख किया कि पूरे महाराष्ट्र में मैंग्रोव के संरक्षण के लिए निर्देशों पर बॉम्बे हाईकोर्ट के 2018 के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है।
उल्लेखनीय है कि 2018 में जस्टिस ए.एस. ओक और जस्टिस आर.आई. छागला की हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि किसी भी मैंग्रोव क्षेत्र के 50 मीटर के भीतर कोई निर्माण गतिविधि नहीं हो सकती है, क्योंकि 1991 और 2011 की दोनों सीआरजेड अधिसूचनाओं के अनुसार सभी मैंग्रोव भूमि तटीय विनियमन क्षेत्र-I श्रेणी में आती है। 2023 में इस निर्णय को महाराष्ट्र समुद्री बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें मैंग्रोव के 50 मीटर के भीतर निर्माण करने की अनुमति मांगी गई।
खंडपीठ ने बोली प्रस्तावों पर विचार करने से इनकार किया; SEBI अधिकारियों को सहारा और रियल एस्टेट सलाहकारों के साथ संयुक्त बैठक करने का निर्देश दिया
न्यायालय ने वर्वोसा संपत्ति के मुद्रीकरण के लिए व्यवहार्य विकल्प सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित निर्देश दिए:
"हम यह भी निर्देश देना उचित समझते हैं कि सहारा, इंडिया कमर्शियल कॉरपोरेशन के दो अधिकारी, SEBI के दो अधिकारी और मुंबई से SEBI द्वारा नामित दो संपत्ति सलाहकार संयुक्त बैठक करेंगे, जिसमें उन नियमों और शर्तों पर विचार किया जाएगा, जिन पर अधिकतम मूल्य प्राप्त करने के लिए वर्सोवा भूखंड का मुद्रीकरण किया जा सकता है।"
खंडपीठ ने सहारा में निवेश करने तथा संयुक्त उद्यम समझौता करने के बजाय हिस्सेदारी हासिल करने के इच्छुक अन्य बोलीदाताओं द्वारा दिए गए प्रस्तावों पर भी विचार करने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने कहा कि ऐसा मुद्दा वाणिज्यिक व्यवहार से संबंधित है। उचित होगा कि इस मुद्दे को पहले SEBI के अधिकारियों द्वारा संपत्ति सलाहकारों के साथ मिलकर सुलझाया जाए।
खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि ऐसी चर्चा में SICCL भी भाग लेने का हकदार होगा। खंडपीठ ने यह भी निर्देश दिया कि ओबेरॉय रियल्टी की जमा की गई 1000 करोड़ रुपए की राशि को ब्याज सहित तत्काल वापस कर दिया जाएगा। अन्य इच्छुक बोलीदाताओं, जिन्होंने हस्तक्षेप आवेदन प्रस्तुत किए, उसको अपने सुझाव या टिप्पणियां दाखिल करने की अनुमति दी गई, जो भूमि के उपयोग के लिए उचित विधि पर पहुंचने में खंडपीठ की सहायता कर सकती हैं।
केस टाइटल: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड बनाम सुब्रत रॉय सहारा एवं अन्य। एवं अन्य। CONMT.PET.(C) नंबर 001820 - 001822 / 2017 और संबंधित मामले।