सुप्रीम कोर्ट ने त्रिपुरा हिंसा पर ट्वीट करने के मामले में सामाजिक कार्यकर्ता के खिलाफ कार्रवाई करने से त्रिपुरा पुलिस को रोका

LiveLaw News Network

10 Jan 2022 3:16 PM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली

    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को त्रिपुरा पुलिस के साइबर सेल को ट्विटर पर सीआरपीसी की धारा 91 के तहत नोटिस के मामले में कार्रवाई करने से रोक दिया। त्रिपुरा में हिंसा के बारे में एक्टि‌विस्ट-पत्रकार समीउल्लाह शब्बीर खान के ट्वीट के संबंध में नोटिस जारी किया गया था।

    नोटिस में ट्विटर से ट्वीट को हटाने के लिए कहा गया था। साथ ही खान के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की जांच के उद्देश्य से आईपी एड्रेस और फोन नंबर का विवरण मांगा गया था। रिट याचिका पर नोटिस जारी करते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश एडवोकेट शाहरुख आलम की निम्‍न प्रस्तुतियों को दर्ज किया।

    1. याचिकाकर्ता ने अपने ट्विटर अकाउंट पर त्रिपुरा में हुई हिंसा और धार्मिक पूजा स्थलों की तोड़फोड़ का जिक्र करते हुए एक ट्वीट किया था;

    2. ट्वीट में त्रिपुरा पुलिस को टैग किया गया था;

    3. 22.11.2021 को पुलिस अधीक्षक (साइबर अपराध), अपराध शाखा, त्रिपुरा पुलिस की ओर से ट्विटर को एक पत्र भेजा गया, जिसमें आईपीसी की धारा 153 ए, 153 बी, 469, 471, 503, 504, 120 बी और यूएपीए की धारा 13 के तहत एफआईआर दर्ज करने की जानकारी दी था। पत्र में अन्य बातों के साथ-साथ ट्विटर खातों की सामग्री को हटाने की मांग की गई थी, जिनके यूआरएल/लिंक अलग से उपलब्ध कराए गए थे....

    पीठ ने कहा,

    "उपरोक्त आधार पर यह प्रस्तुत किया गया है कि हिंसा के बारे में लिखना निश्चित रूप से किसी भी अपराध को आकर्षित नहीं करेगा, जिसका संदर्भ संचार में निहित है।

    नोटिस जारी करें...अगले आदेश तक पहले प्रतिवादी [पुलिस अधीक्षक (साइबर क्राइम)] को याचिकाकर्ता के खिलाफ 22 नवंबर 2021 के संचार पर कार्रवाई करने से रोकने के लिए एक अंतरिम निर्देश होगा।

    आलम ने प्रार्थना की थी कि रिट याचिका पर नोटिस के अलावा, वह आक्षेपित नोटिस पर रोक लगाने की मांग करती है क्योंकि यह "गोपनीयता के आक्रमण" के बराबर है।

    उन्होंने कहा था, "सुझाव ऐसा लगता है कि हिंसा के बारे में लिखना हिंसा में योगदान दे रहा है और यह पूरी तरह से गलत दिशा में है।"

    याचिका में कहा गया था कि याचिकाकर्ता सामाजिक रूप से जागरूक छात्र है, जिसे प्रतिवादी नंबर 2 (ट्विटर) से नोटिस मिला है कि उसका ट्विटर अकाउंट उन कई अकाउंट में से एक है, जिसे प्रतिवादी नंबर 1 द्वारा चिह्नित किया गया है और इसे पूछताछ का विषय बनाया गया है।

    केस शीर्षक: समीउल्लाह शब्बीर खान बनाम पुलिस अधीक्षक (साइबर अपराध) और अन्य।

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