सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी पुलिस स्टेशनों में सीसीटीवी लगाने की याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा

LiveLaw News Network

24 Nov 2020 12:38 PM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी पुलिस स्टेशनों में सीसीटीवी लगाने की याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को देश भर के पुलिस थानों में सीसीटीवी लगाने से संबंधित एक मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया।

    जस्टिस रोहिंटन एफ. नरीमन, जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की एक बेंच ने 45 दिनों से अधिक के सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित रखने और एकत्रित करने के सवाल पर शुक्रवार तक वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे, एमिकस क्यूरी को एक व्यापक नोट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

    2018 में सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ती हिरासत यातना के मामले से निपटनने के लिए देश के हर पुलिस स्टेशन में सीसीटीवी लगाने का निर्देश दिया था।

    पंजाब में पुलिस की ज्यादती की एक घटना के बाद इस मामले को पुनर्जीवित किया गया था। इसके साथ ही एक रिपोर्ट पेश करने के लिए दवे को एमिकस के रूप में नियुक्त करते हुए आदेश दिया कि वे अटॉर्नी-जनरल केके वेणुगोपाल के साथ मिलकर देखें कि क्या कदम उठाया जा सकता है।

    आज की सुनवाई में दवे ने न्यायालय में प्रस्तुत किया कि 15 राज्यों ने शीर्ष अदालत द्वारा जारी नोटिस का जवाब दिया था और निर्देशों के अनुपालन पर शपथ पत्र प्रस्तुत किया।

    दवे ने कहा,

    "सिक्किम ने अपनी जेलों में दो सीसीटीवी लगाए हैं। मिजोरम ने 147 सीसीटीवी लगवाए है। लेकिन, किसी ने इस बारे में कुछ नहीं कहा है कि इन कैमरों को कहाँ लगाया गया है।"

    न्यायमूर्ति नरीमन ने कहा कि प्रत्येक जिले में कुल पुलिस थानों की संख्या के मुद्दे पर अतिरिक्त शपथपत्र की आवश्यकता है, ताकि इसकी निगरानी समिति को दी जा सके। साथ ही यह भी सुनिश्चित करने के लिए किसी व्यक्ति को जिम्मेदारी दी जाए कि सीसीटीवी काम कर रहे है।

    एजी ने उसके बाद अदालत में अपनी प्रस्तुती दी।

    उन्होंने कहा,

    "ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की जरूरत है, क्योंकि सीसीटीवी के लिए यह आवश्यक है। राज्यों को बिजली और इंटरनेट इन थानों के लिए उपलब्ध करानी चाहिए। प्रश्नावली को भी आवश्यक जानकारी के लिए सर्कुलेट किया जाना चाहिए।"

    कोर्ट ने प्रतिक्रिया दी कि वे पुलिस के अत्याचारों से जुड़े मामले पर विचार कर रहे हैं। एक समिति को इसके लिए नियुक्त किया जाना चाहिए जो सीसीटीवी फुटेज पर तुरंत एक्शन ले।

    वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी पश्चिम बंगाल राज्य के लिए पेश हुए और उन्होंने प्रस्तुत किया कि समिति में पुलिस आयुक्त, जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त पश्चिम बंगाल में पुलिस स्टेशन सीसीटीवी से लैस हैं और समिति का गठन मुख्यमंत्री के साथ चर्चा के बाद किया जाएगा।

    महिलाओं के खिलाफ अत्याचार की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए द्विवेदी ने सुझाव दिया कि थाने में उपयुक्त पदनाम की महिला अधिकारी की उपस्थिति सुनिश्चित की जाए। एजी ने कहा कि एक हेल्पलाइन स्थापित की जा सकती है।

    न्यायमूर्ति नरीमन ने कहा,

    "सीसीटीवी कैमरा मैकेनिज़्म 45 दिनों से अधिक समय के फुटेज़ को ऑटोमैटिक डिलीट कर देता है। यदि कोई अत्याचार होता है, तो उसे तुरंत रिपोर्ट किया जाना चाहिए और फुटेज को संरक्षित करने का प्रयास किया जाना चाहिए। अगले आदेशों में समिति में नागरिकों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की उपस्थिति पर विचार किया जाएगा। अब हम मूल बातें रखेंगे। "

    जस्टिस जोसेफ ने निजता के मुद्दे के साथ-साथ फुटेज में मौजूद ऑडियो के बारे में दवे से कुछ सवाल किए।

    न्यायमूर्ति जोसेफ से पूछा,

    "अगर कोई पावरफुल माइक्रोफ़ोन नहीं है, तो ऑडियो ठीक से नहीं आएगा। हम इससे कैसे निपटेंगे हैं? इसके अलावा सीसीटीवी लॉकर-कमरों तक सीमित होने के कारण स्पोर्ट्स क्रॉपिंग होगी। लेकिन साथ ही कैमरे की उपस्थिति के साथ निजता का ध्यान रखना आवश्यक है।"

    तदानुसार, दवे को शुक्रवार तक व्यापक नोट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया।

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