सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ अधिनियम, 1995 को चुनौती देने वाली याचिका ट्रांसफर करने की याचिका खारिज की
Shahadat
22 July 2025 7:04 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित वक्फ अधिनियम, 1995 को चुनौती देने वाली रिट याचिका ट्रांसफर करने से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केवल अखबारों में प्रचार पाने के लिए याचिकाएं दायर करने की प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त की।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच वक्फ अधिनियम, 1995 को चुनौती देने वाली रिट याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग वाली स्थानांतरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने याचिका दायर की।
चीफ जस्टिस ने टिप्पणी की कि मामला पहले से ही न्यायालय में लंबित है और तत्कालीन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने रिट याचिकाओं को स्वीकार करने के लिए पहले ही समय-सीमा निर्धारित कर दी थी, जिसके बाद पुनरावृत्ति से बचने के लिए उसी आधार पर किसी भी नई याचिका पर सुनवाई नहीं की जाएगी। हालांकि, चीफ जस्टिस खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने ऐसे नए याचिकाकर्ताओं को लंबित 11 याचिकाओं के समूह में हस्तक्षेप याचिका दायर करने की अनुमति दे दी थी।
चीफ जस्टिस गवई ने कहा:
"यह मामला पहले से ही इस न्यायालय में लंबित है। आप और याचिकाएं क्यों चाहते हैं?"
उपाध्याय ने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर जवाब दिया,
"मैं इसे चुनौती देने वाला पहला व्यक्ति था।"
चीफ जस्टिस ने बताया कि अक्सर प्रचार पाने के लिए याचिकाएं दायर की जाती हैं। उन्होंने न्यायिक कार्यवाही पर "मीडिया स्टोरीज" के प्रभाव पर अदालत में कल हुई चर्चा का भी उल्लेख किया।
चीफ जस्टिस ने उपाध्याय से कहा,
"आप हमेशा सबसे पहले आते हैं। न्यायालय जाने की इतनी जल्दी क्या है? अखबार देखने के बाद ही। आजकल याचिकाएं केवल अखबारों के लिए दायर की जा रही हैं, और माननीय जज ने कल किसका ज़िक्र किया था? कुछ यूट्यूब चैनलों का।"
वकील ने ज़ोर देकर कहा कि उनकी याचिका के बाद ही पता चला कि "वक्फ बोर्ड ने 40 लाख एकड़ ज़मीन कैसे हड़प ली है"।
इस पर चीफ जस्टिस ने टिप्पणी की,
"तो क्या संसद ने आपकी याचिका पर गौर करने के बाद ही कानून बनाया है? ...देखिए, हम इस मामले में जो भी फैसला करेंगे, वह बाकी मामलों पर भी लागू होगा। अगर आप चाहें तो इसमें हस्तक्षेप याचिका दायर कर सकते हैं।"
बेंच ने ट्रांसफर याचिका पर आगे विचार करने से इनकार करते हुए आदेश दिया,
"हम इस प्रार्थना पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं।"
दिल्ली हाईकोर्ट में उपाध्याय ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 द्वारा संशोधित वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 4, 5, 6, 7, 8, 9, 14 की संवैधानिक वैधता को इस आधार पर चुनौती देते हुए एक रिट याचिका दायर की कि ये स्पष्ट रूप से मनमानी, अतार्किक हैं और अनुच्छेद 14, 15, 21, 25, 27 का उल्लंघन करती हैं।
वक्फ अधिनियम को चुनौती देने वाली इसी तरह की एक याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। यह 2025 के संशोधन अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं के साथ संलग्न है।
Case Details : ASHWINI KUMAR UPADHYAY Versus UNION OF INDIA AND ORS.| T.P.(C) No. 1652/2025

