सोशल मीडिया पर 'बाबरी मस्जिद का पुनर्निर्माण होगा' किया था पोस्ट, सुप्रीम कोर्ट ने राहत देने से किया इनकार

Shahadat

28 Oct 2025 10:50 AM IST

  • सोशल मीडिया पर बाबरी मस्जिद का पुनर्निर्माण होगा किया था पोस्ट, सुप्रीम कोर्ट ने राहत देने से किया इनकार

    सुप्रीम कोर्ट ने एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामला रद्द करने से इनकार किया, जिस पर बाबरी मस्जिद पर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने का आरोप है। पोस्ट में कहा गया कि "बाबरी मस्जिद एक दिन तुर्की की सोफिया मस्जिद की तरह फिर से बनाई जाएगी"।

    जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट तल्हा अब्दुल रहमान की दलीलें सुनने के बाद मामले को वापस ले लिया। वकील ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता की पोस्ट में कोई अश्लीलता नहीं है। वकील ने कहा कि यह एक अन्य व्यक्ति है, जिसने अश्लील और भड़काऊ टिप्पणी पोस्ट की, लेकिन उसकी जांच नहीं की गई।

    जस्टिस कांत ने अपनी बात से सहमत न होते हुए कहा कि खंडपीठ ने याचिकाकर्ता की पोस्ट की जांच की।

    जज ने चेतावनी देते हुए कहा,

    "हमसे कोई टिप्पणी न मांगें।"

    मामले का निपटारा इस टिप्पणी के साथ किया गया कि याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए सभी तर्कों पर ट्रायल कोर्ट द्वारा उनके गुण-दोष के आधार पर विचार किया जाएगा।

    संक्षेप में मामला

    याचिकाकर्ता मंसूरी (अब विधि स्नातक) के विरुद्ध 6 अगस्त, 2020 को FIR दर्ज की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि उन्होंने अपने फेसबुक अकाउंट पर अपमानजनक संदेश पोस्ट किया, जिस पर समरीन बानो नामक व्यक्ति ने हिंदू समुदाय के देवी-देवताओं पर अभद्र टिप्पणी की थी।

    यह FIR भारतीय दंड संहिता की (IPC) धारा 153ए, 292, 505 (2), 506, 509 और सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम, 2008 (IT Act) की धारा 67 के तहत दर्ज की गई। बाद में लखीमपुर खीरी के जिलाधिकारी ने याचिकाकर्ता के विरुद्ध राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 के तहत निरोध आदेश पारित किया। हालांकि, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सितंबर 2021 में इसे रद्द कर दिया।

    इस वर्ष ट्रायल कोर्ट ने मंसूरी के विरुद्ध दायर आरोपपत्र पर संज्ञान लिया। इसके बाद उन्होंने यह तर्क देते हुए मामला रद्द करने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया कि उनका अकाउंट हैक कर लिया गया था। वैसे भी, उनके पोस्ट में कोई आपराधिकता या दुश्मनी/वैमनस्य बढ़ाने का इरादा नहीं था। यह भी दावा किया गया कि आपत्तिजनक टिप्पणी उनके पोस्ट पर एक टिप्पणी में रितेश यादव नाम के एक व्यक्ति ने की थी, जिसने समरीन बानो नाम अपनाया था।

    सितंबर में हाईकोर्ट ने उनकी प्रार्थना अस्वीकार की। हालांकि, ट्रायल में तेजी लाने का आदेश दिया। इससे व्यथित होकर मंसूरी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    Case Title: MOHD. FAIYYAZ MANSURI Versus THE STATE OF UTTAR PRADESH AND ANR., SLP(Crl) No. 16370/2025

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