स्पाइसजेट के खिलाफ विवाद में काल एयरवेज और कलानिधि मारन की अपील सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की
Shahadat
23 July 2025 11:58 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश बरकरार रखा, जिसमें काल एयरवेज और स्पाइसजेट के पूर्व प्रमोटर कलानिधि मारन की स्पाइसजेट से 1323 करोड़ रुपये का हर्जाना मांगने की याचिका खारिज कर दी गई थी।
जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस एएस चंदुरकर की खंडपीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट के 23 मई के आदेश को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिका पर यह आदेश पारित किया, जिसमें खंडपीठ ने देरी के आधार पर उनकी याचिका खारिज कर दी थी।
जस्टिस चंदुरकर ने आदेश सुनाते हुए कहा:
"दोनों विशेष अनुमति याचिकाएँ खारिज की जाती हैं।"
उनके बीच विवाद 2015 से चल रहा है, जब मारन और उनकी कंपनी काल एयरवेज़ ने स्पाइसजेट में अपनी पूरी 58.46% हिस्सेदारी इसके सह-संस्थापक अजय सिंह को शेयर बिक्री और खरीद समझौते के तहत 2 रुपये के मामूली मूल्य पर बेच दी थी, क्योंकि एयरलाइन भारी घाटे में चल रही थी।
उन्होंने स्पाइसजेट को परिवर्तनीय वारंट और वरीयता शेयर जारी करने के लिए 679 करोड़ रुपये का भुगतान भी किया। हालांकि, 2017 में मारन और उनकी कंपनी ने स्पाइसजेट और उसके सह-संस्थापक पर शेयर वारंट और वरीयता शेयर जारी न करके समझौते का उल्लंघन करने का मुकदमा दायर किया।
इसके बाद मामला मध्यस्थता के लिए भेज दिया गया, जहां 2018 में तीन सदस्यीय रिटायर सुप्रीम कोर्ट जजों के पैनल ने काल एयरवेज़ के 1323 करोड़ रुपये का दावा खारिज कर दिया, लेकिन 579.08 करोड़ रुपये वापस करने का आदेश दिया, जिसमें वारंट पर 12 प्रति वर्ष की अतिरिक्त ब्याज दर और समय पर भुगतान न करने पर दी गई राशि पर 18% प्रति वर्ष की अतिरिक्त ब्याज दर शामिल थी। स्पाइसजेट में 58.46% हिस्सेदारी की वापसी के लिए मारन का दावा भी खारिज कर दिया गया।
दोनों पक्षकारों ने दिल्ली हाईकोर्ट में मध्यस्थता निर्णय को चुनौती दी। 31 जुलाई, 2023 को दिल्ली हाईकोर्ट के सिंगल जज जस्टिस चंद्र धारी सिंह ने मध्यस्थता निर्णय बरकरार रखा, जिसमें स्पाइसजेट और उसके अध्यक्ष अजय सिंह को काल एयरवेज और मारन को 270 करोड़ रुपये और ब्याज वापस करने का निर्देश दिया गया था।
इसके बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ में अपील की गई।
2024 में खंडपीठ ने मामले को पुनर्विचार के लिए वापस भेज दिया। इसके विरुद्ध काल एयरवेज़ और मारन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन 26 जुलाई, 2024 को इसे खारिज कर दिया गया। न्यायालय ने मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 34 के तहत मामले को पुनर्विचार के लिए वापस भेजने के दिल्ली हाईकोर्ट के तर्क से सहमति व्यक्त की।
काल एयरवेज़ और मारन ने फिर सिंगल जज के आदेश के विरुद्ध अपील की, जिसके परिणामस्वरूप खंडपीठ ने मई, 2025 में देरी के आधार पर उनकी अपीलों को खारिज कर दिया।
खंडपीठ ने यह भी माना कि काल एयरवेज़ और उसके पूर्व प्रमोटर ने महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया, जिसके विरुद्ध उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
Case Details: KAL AIRWAYS PRIVATE LIMITED. v. SPICEJET LIMITED AND ANR| SLP(C) No. 17270/2025
KALANITHI MARAN v SPICEJET LIMITED AND ANR.|SLP(C) No. 17306/2025

