सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर सिविल जज की अधिसूचना को 3 साल की प्रैक्टिस नियम के बिना चुनौती देने से किया इनकार

Shahadat

28 July 2025 3:14 PM IST

  • सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर सिविल जज की अधिसूचना को 3 साल की प्रैक्टिस नियम के बिना चुनौती देने से किया इनकार

    सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि न्यायिक सेवा में प्रवेश के लिए वकील के रूप में 3 साल की प्रैक्टिस अनिवार्य करने का उसका निर्देश भविष्य में लागू होगा और 20 मई (फैसले की तारीख) से पहले जारी की गई अधिसूचनाएँ इस शर्त के बिना आगे बढ़ सकती हैं।

    ऐसा मानते हुए कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर लोक सेवा आयोग द्वारा जारी भर्ती अधिसूचना को चुनौती देने से इनकार किया, जिसमें 3 साल की प्रैक्टिस नियम अनिवार्य नहीं था।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई, जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच जम्मू-कश्मीर लोक सेवा आयोग द्वारा अधीनस्थ न्यायपालिका में सिविल जज (जूनियर डिवीजन) के पद के लिए 14 मई को जारी भर्ती अधिसूचना को चुनौती देने वाली रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

    20 मई को सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक परीक्षाओं के लिए आवेदन करने से पहले 3 साल की वकालत अनिवार्य करने का अपना फैसला सुनाया।

    याचिकाकर्ता जम्मू-कश्मीर की निचली अदालतों में वकालत करते हैं। उन्होंने 14 मई की अधिसूचना को इस आधार पर चुनौती दी कि भर्ती नियमों में सुप्रीम कोर्ट के 3-वर्षीय प्रैक्टिस नियम के निर्देश शामिल नहीं हैं।

    शुरुआत में बेंच मामले को खारिज करने के लिए इच्छुक थी, क्योंकि उसने मौखिक रूप से टिप्पणी की थी कि ऐसा नहीं है कि हाईकोर्ट को इस बात की जानकारी थी कि सुप्रीम कोर्ट 20 मई को क्या फैसला सुनाएगा।

    चीफ जस्टिस ने कहा:

    "आप कह रहे हैं कि यह केवल फैसले के उद्देश्य को विफल करने के लिए किया गया था। क्या हाईकोर्ट की फुल बेंच को इस बात की जानकारी थी कि चीफ जस्टिस 20 मई को फैसला सुना सकते हैं?"

    तब चीफ जस्टिस ने स्पष्ट किया कि यह निर्देश केवल भविष्य में होने वाली न्यायिक भर्तियों पर लागू होगा और पहले से शुरू हो चुके किसी भी चयन को प्रभावित नहीं करेगा।

    खंडपीठ ने आदेश में कहा,

    "हमने फैसले में स्पष्ट किया कि यह किसी भी ऐसी प्रक्रिया पर लागू नहीं होगा, जो पहले ही शुरू हो चुकी है और केवल अगले भर्ती वर्ष के लिए लागू होगी।"

    हालांकि, अदालत ने वकील को याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी।

    याचिकाकर्ताओं द्वारा माँगी गई राहतें इस प्रकार थीं:

    1. प्रतिवादी नंबर 3 द्वारा सिविल जज (जूनियर डिवीजन) के पद के लिए जारी अधिसूचना नंबर 07-पीएससी (डीआर-पी) 2025 दिनांक 14.05.2025 को रद्द करने के लिए उत्प्रेषण रिट या कोई अन्य उपयुक्त रिट जारी करें।

    2. प्रतिवादियों को निर्देश देते हुए परमादेश जारी करें कि वे अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ बनाम भारत संघ के दिनांक 20.05.2025 के निर्णय के पैरा 89(yii) के अनुसार सिविल जज (जूनियर डिवीजन) की भर्ती के लिए नई अधिसूचना जारी करें, जिसके लिए 3 वर्ष का बार अनुभव आवश्यक है।

    Case Details : NAVEED BUKHTIYAR AND ORS. Versus THE HIGH COURT OF JAMMU AND KASHMIR AND LADAKH AND ORS.| W.P.(C) No. 633/2025

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