मॉब लिंचिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट का ज़मानत देने से इनकार
Shahadat
15 July 2025 5:13 AM

सुप्रीम कोर्ट ने सलमान वोहरा हत्याकांड के आरोपी की ज़मानत याचिका खारिज की। गुजरात में एक क्रिकेट मैच के दौरान भीड़ ने कथित तौर पर सलमान वोहरा की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की। यह देखते हुए कि सह-आरोपी की ज़मानत याचिका पहले ही खारिज कर दी गई थी, खंडपीठ ने इस समय याचिकाकर्ता की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
जून, 2024 में 23 वर्षीय मुस्लिम युवक सलमान वोहरा अपने दो दोस्तों के साथ गुजरात के आणंद जिले के चिखोदरा गाँव में क्रिकेट टूर्नामेंट देखने गया था। रिपोर्टों के अनुसार, वहां उसके दोस्तों का आरोपियों से झगड़ा हो गया। उन्हें बचाने के लिए सलमान वोहरा ने हस्तक्षेप किया, लेकिन उन्हें चाकू से वार किया गया और लाठियों व डंडों से पीटा गया, जिससे उनकी मौत हो गई।
इस घटना का एक कथित वीडियो, जो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, उसमें भीड़ के सदस्यों को अपराधियों का उत्साहवर्धन करते हुए दिखाया गया।
इस घटना की कई राजनीतिक नेताओं और कार्यकर्ताओं ने आलोचना की, जिनमें IAMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल थे। उन्होंने इसे मॉब लिंचिंग का मामला बताया। जांच के बाद गुजरात पुलिस ने आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302, 201, 143, 147, 148, 149, 323, 324, 504 और 506(2) तथा गुजरात पुलिस अधिनियम की धारा 135 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए मामला दर्ज किया।
याचिकाकर्ता ने शुरुआत में नियमित ज़मानत के लिए गुजरात हाईकोर्ट का रुख किया, लेकिन अपराध की गंभीरता और उस पर लगे इस विशेष आरोप को देखते हुए कि उसने सलमान वोहरा की गर्दन पकड़ ली थी ताकि वह भाग न सके, उसकी याचिका खारिज कर दी गई, जबकि अन्य सह-आरोपियों ने उस पर चाकू से वार किए।
हाईकोर्ट ने कहा,
"आवेदक-आरोपी की ओर से किया गया यह प्रत्यक्ष कृत्य और कुछ नहीं बल्कि समान मंशा का प्रतीक है, जो इस तथ्य से स्पष्ट है कि वे घातक हथियार से लैस थे। उन्होंने पीड़ित को चोट पहुंचाई। मृतक के शव पर अंधाधुंध प्रहारों को देखते हुए, प्रथम दृष्टया आवेदक की संलिप्तता पाई जाती है और शव पर भी इसी प्रकार की चोट पाई गई।"
व्यथित होकर याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन उसे वांछित राहत नहीं मिल सकी।
Case Title: KIRAN @ HOLO MAFATBHAI PARMAR Versus THE STATE OF GUJARAT, Diary No. 32284-2025