सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरी छिपाने के आरोप में बर्खास्त न्यायिक अधिकारी को बहाल किया
Shahadat
22 May 2025 12:34 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में राजस्थान के पूर्व न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा दायर अपील स्वीकार करते हुए उन्हें राहत दी, जिन्हें नौकरी छिपाने और शैक्षणिक अनियमितता के आरोपों पर सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था।
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एससी शर्मा की खंडपीठ ने 2020 में न्यायिक सेवा से अपीलकर्ता को समाप्त करने के हाईकोर्ट के फुल कोर्ट का फैसला खारिज कर दिया और उन्हें वेतन के काल्पनिक निर्धारण के साथ सेवा में बहाल करने का आदेश दिया, सिवाय पिछले वेतन के।
अदालत ने निर्देश दिया,
"यह आगे स्पष्ट किया जाता है कि प्रतिवादी (हाईकोर्ट) अपीलकर्ता को अपनी परिवीक्षा अवधि सफलतापूर्वक पूरी करने के रूप में लेगा और अपीलकर्ता को एक स्थायी कर्मचारी के रूप में माना जाएगा।"
अपीलकर्ता पिंकी मीणा को शुरू में 30 दिसंबर, 2014 को राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग में शिक्षक ग्रेड- II के रूप में नियुक्त किया गया था। इस पद पर काम करते हुए उन्होंने 18 नवंबर, 2017 के विज्ञापन के अनुसार सिविल जज (जूनियर डिवीजन) के पद के लिए आवेदन किया। उन्हें 4 नवंबर, 2018 को सफल घोषित किया गया। उसके बाद 11 फरवरी, 2019 को सिविल जज और न्यायिक मजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्त किया गया।
फरवरी, 2020 में रजिस्ट्रार (सतर्कता) ने अपीलकर्ता को कारण बताओ नोटिस जारी किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि वह अपने आरजेएस आवेदन में अपनी पिछली सरकारी शिक्षण नौकरी का खुलासा करने में विफल रही और यूनिवर्सिटी के नियमों के विपरीत बी.एड. और एलएल.बी. की डिग्री एक साथ हासिल की। यह भी दावा किया गया कि उसने काम करते हुए रेगुलर स्टूडेंट के रूप में एलएलएम पूरा किया।
अपीलकर्ता ने अपना बचाव करते हुए कहा कि उसने बीमारी के कारण न्यायपालिका में शामिल होने से पहले शिक्षण से इस्तीफा दे दिया था और नियमों के बारे में जानने के बाद उसने बी.एड. की पढ़ाई बंद कर दी थी। फिर भी राजस्थान हाईकोर्ट की फुल बेंच ने मई, 2020 में उसकी सेवा समाप्त कर दी, जिसके बाद उसे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
केस टाइटल: पिंकी मीना बनाम राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर एवं अन्य, एसएलपी (सी) संख्या 23529/2023

