सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री से अडाणी पावर राजस्थान लिमिटेड के आवेदन की लिस्टिंग पर जवाब मांगा

Shahadat

7 Jan 2023 5:50 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री से अडाणी पावर राजस्थान लिमिटेड के आवेदन की लिस्टिंग पर जवाब मांगा

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (6 जनवरी) को रजिस्ट्री से रिपोर्ट दाखिल करने को कहा कि कैसे 2020 के फैसले में संशोधन की मांग करने वाले अडाणी पावर राजस्थान लिमिटेड के आवेदन सुनवाई के लिए अदालत के समक्ष सूचीबद्ध किया गया।

    जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की खंडपीठ ने जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (जयपुर डिस्कॉम) द्वारा सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल को संबोधित पत्र का संज्ञान लेने के बाद यह निर्देश दिया कि अडाणी पावर के विविध आवेदन को बेंच के समक्ष सूचीबद्ध करने के लिए रजिस्ट्री द्वारा कैसे मंजूरी दी गई।

    अदालत पत्र से बहुत खुश नहीं दिखी और सुनवाई के दौरान इसे व्यक्त किया। संक्षिप्त सुनवाई में जयपुर डिस्कॉम की ओर से सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे उपस्थित हुए।

    यह मुद्दा 31 अगस्त, 2020 को मामले के अंतिम निपटान के बावजूद, जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड बनाम अदाणी पावर राजस्थान लिमिटेड मामले में अडाणी पावर द्वारा दायर आवेदन की लिस्टिंग से संबंधित है।

    सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल को लिखे पत्र में जयपुर डिस्कॉम ने पूछा कि अडाणी पावर पहले से ही निस्तारित मामले में विविध आवेदन कैसे दायर कर सकती है, जब उसने फैसले के खिलाफ कोई समीक्षा याचिका दायर नहीं की है।

    सुप्रीम कोर्ट ने 2020 के फैसले में राजस्थान विद्युत नियामक आयोग और अपीलीय ट्रिब्यूनल फॉर इलेक्ट्रिसिटी (APTEL) द्वारा पारित आदेशों को इस हद तक बरकरार रखा कि अडाणी पावर राजस्थान के साथ बिजली खरीद समझौतों के संबंध में वितरण कंपनियां प्रतिपूरक टैरिफ की हकदार हैं। हालांकि, यह माना गया कि बिजली खरीद समझौते के संदर्भ में अडाणी पावर दावा किए गए विलंबित भुगतान अधिभार (एलपीएस) के भुगतान के लिए पात्र नहीं है।

    अडाणी पावर के 2022 के आवेदन में उत्तरदाताओं को दिनांक 28 जनवरी, 2010 के विद्युत क्रय समझौते की शर्तों के अनुसार 30 जून, 2022 तक बकाया 1376.35 करोड़ रूपए के एलपीएस का भुगतान करने की मांग की गई।

    एमए पर सवाल उठाते हुए चैंबर ऑफ एडवोकेट कार्तिक सेठ के माध्यम से दायर पत्र में तर्क दिया गया कि अडाणी पावर का एमए 2 साल से अधिक समय के अंतराल के बाद अप्रत्यक्ष रूप से उपरोक्त निर्णय पर पुनर्विचार करने का स्पष्ट प्रयास है और वह भी, "बिना किसी विलंब क्षमा के लिए आवेदन को स्थानांतरित किए।"

    कहा गया,

    "जबकि मेरे मुवक्किलों ने पुनर्विचार के लिए आवेदन किया, जो 02.03.2021 के आदेश द्वारा खारिज कर दिया गया, एपीआरएल (अडाणी पावर) ने कोई पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की।"

    पत्र में कहा गया कि यह सुप्रीम कोर्ट के नियमों, 2013 के खिलाफ है। नियमों में कहा गया कि जहां किसी निर्णय या आदेश की पुनर्विचार की मांग की जाती है, वहां किसी भी आवेदन पर विचार नहीं किया जाएगा।

    सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे की सलाह से जयपुर डिस्कॉम की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया,

    "यह पत्र भारत के माननीय सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री की संस्थागत अखंडता की जड़ तक जाने वाले असाधारण गंभीर प्रश्न को उठाता है।"

    इन परिस्थितियों में जयपुर विद्युत वितरण निगम ने यह पता लगाने के लिए तत्काल जांच की मांग की कि सुप्रीम कोर्ट के नियमों के विपरीत एमए कैसे दर्ज किया गया और न्यायालय के समक्ष सूचीबद्ध किया गया।

    केस टाइटल: जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड बनाम अडानी पावर राजस्थान लिमिटेड | डायरी नंबर 21994-2022 XVII

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