सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव मामले में हनी बाबू की याचिका पर तत्काल सुनवाई से किया इनकार

Shahadat

23 Jun 2025 11:06 AM IST

  • सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव मामले में हनी बाबू की याचिका पर तत्काल सुनवाई से किया इनकार

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (23 जून) को भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर हनी बाबू की याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। उन्होंने इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा था कि वे जमानत के लिए हाईकोर्ट जा सकते हैं या नहीं।

    जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस एनके सिंह की खंडपीठ ने मामले को आंशिक कार्य दिवसों में सूचीबद्ध करने से इनकार किया और कोर्ट के फिर से खुलने के बाद इसे सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।

    याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कई सह-आरोपियों को गुण-दोष के आधार पर और लंबी हिरासत के आधार पर जमानत दी है। हनी बाबू ने बॉम्बे हाई कोर्ट जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपनी जमानत याचिका वापस ले ली।

    बता दें, 2 मई को हाईकोर्ट ने कहा कि बाबू को सुप्रीम कोर्ट से स्पष्टीकरण लेना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट में अपनी जमानत याचिका वापस लेने के बाद उन्हें जमानत के लिए हाईकोर्ट जाने की स्वतंत्रता है। इसके बाद इस तरह के स्पष्टीकरण की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दायर किया गया, जिसका उल्लेख आज वकील ने तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग करते हुए किया।

    जस्टिस विश्वनाथन ने यह देखते हुए कि हाईकोर्ट का आदेश 2 मई को पारित किया गया, वकील से पूछा कि 23 मई तक नियमित कार्य दिवसों के दौरान आवेदन क्यों नहीं पेश किया गया। जब याचिकाकर्ता द्वारा कोई तत्परता नहीं दिखाई गई तो छुट्टियों के दौरान तत्काल सूचीबद्ध कैसे किया जा सकता है?

    जस्टिस विश्वनाथन ने कहा,

    "हम 23 मई तक पूरी तरह से खुले थे। आदेश 2 मई को पारित किया गया था। आपको कुछ तत्परता दिखानी थी और समय पर दाखिल करना था।"

    वकील ने जवाब दिया कि प्रमाणित प्रतियां प्राप्त करने में समय लगता है। तब जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि एक वकील के रूप में उन्होंने अत्यधिक तात्कालिकता वाले मामलों में प्रमाणित प्रतियों के बिना भी मामले दायर किए हैं। अदालत ने ऐसे मामलों में सूचीबद्ध करने की अनुमति दी है।

    सितंबर, 2022 में हाईकोर्ट ने बाबू को ज़मानत देने से इनकार कर दिया, जिन्हें जुलाई, 2020 में भीमा कोरेगांव मामले में माओवादियों से कथित संबंधों को लेकर UAPA के तहत NIA ने गिरफ़्तार किया था।

    मई, 2024 में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका वापस ले ली, यह कहते हुए कि वे परिस्थितियों में बदलाव का हवाला देते हुए ज़मानत के लिए हाईकोर्ट जाना चाहते हैं। पिछले महीने हाईकोर्ट ने पाया कि वापसी की अनुमति देने वाले सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने उन्हें हाईकोर्ट जाने की स्वतंत्रता नहीं दी। इसलिए हाईकोर्ट ने कहा कि बाबू को सुप्रीम कोर्ट से स्पष्टीकरण माँगना होगा।

    Next Story