सुप्रीम कोर्ट ने पीथमपुर में भोपाल गैस त्रासदी से निकले रासायनिक कचरे को जलाने से रोकने से किया इनकार
Shahadat
4 Jun 2025 2:03 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने पीथमपुर सुविधा में भोपाल गैस त्रासदी स्थल से निकले जहरीले रासायनिक कचरे को जलाने से रोकने से इनकार किया।
इस मामले को जस्टिस संजय करोल और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ के समक्ष हस्तक्षेपकर्ता ने इस आधार पर तत्काल सुनवाई की मांग की कि कचरे के निपटान के लिए 72 दिन की अवधि सुप्रीम कोर्ट के पूरी तरह से खुलने से पहले समाप्त हो जाएगी।
हालांकि, खंडपीठ ने तत्काल सुनवाई और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार किया।
जस्टिस शर्मा (जो मध्य प्रदेश राज्य से हैं) ने कहा,
"आपने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के समक्ष यह प्रयास किया और इसे खारिज कर दिया गया। आपने इस न्यायालय के समक्ष भी इसे रोकने का प्रयास किया, कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया गया है। अब छुट्टियों के दौरान, आप चाहते हैं कि हम यह सब रोक दें?"
न्यायाधीश ने जहरीले कचरे के निपटान को रोकने के लिए समय-समय पर किए गए प्रयासों की भी निंदा की।
जस्टिस शर्मा ने टिप्पणी की,
"हम कितने सालों से उस कचरे से लड़ रहे हैं? [मुझे पता है क्योंकि] यह मेरे राज्य से है...नहीं, नहीं, खारिज कर दिया गया! यह विशेष मामला, छुट्टियों के बाद सूचीबद्ध करें। बहुत खेद है। आपने सभी प्रयास किए हैं...ये सभी एनजीओ, ये सभी तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता... हाईकोर्ट इसकी निगरानी कर रहा है...मुझे यह निश्चित रूप से पता है।"
जब हस्तक्षेपकर्ता के वकील ने आग्रह किया कि इस बीच कचरे को जला दिया जाएगा तो जस्टिस शर्मा ने जवाब दिया,
"हां, विशेषज्ञ निकायों की देखरेख में हम ऐसा कर रहे हैं।"
जज ने इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि इसमें जल्दबाजी शामिल है।
इस साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने पीथमपुर में भोपाल गैस त्रासदी स्थल से रासायनिक कचरे के निपटान के लिए एमपी हाईकोर्ट के निर्देश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। हालांकि, न्यायालय ने पक्षों को हाईकोर्ट के समक्ष अपनी शिकायतें उठाने की स्वतंत्रता दी।
इसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य को निर्देश दिया कि वह 27 फरवरी को पीथमपुर संयंत्र में यूनियन कार्बाइड के 10 मीट्रिक टन अपशिष्ट पदार्थ के निपटान के लिए पहला परीक्षण करे। मार्च में मध्य प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट को सूचित किया कि वह अब बंद हो चुकी यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री द्वारा उत्पन्न विषाक्त अपशिष्ट को 72 दिनों की अवधि में पीथमपुर संयंत्र में जलाकर नष्ट कर सकती है।
राज्य ने हलफनामा प्रस्तुत किया, जिसमें कहा गया कि हाईकोर्ट द्वारा अनुमत 30 मीट्रिक टन अपशिष्ट के निपटान के लिए परीक्षण सफल रहे और शेष अपशिष्ट का निपटान केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की देखरेख में 270 किलोग्राम प्रति घंटे की इष्टतम गति से किया जा सकता है।

