सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ गुजरात यूनिवर्सिटी के मानहानि मामले पर रोक लगाने से इनकार किया; मामले को हाईकोर्ट के निर्णय पर छोड़ा

Shahadat

25 Aug 2023 10:04 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ गुजरात यूनिवर्सिटी के मानहानि मामले पर रोक लगाने से इनकार किया; मामले को हाईकोर्ट के निर्णय पर छोड़ा

    सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षणिक डिग्री के संबंध में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा की गई टिप्पणी पर गुजरात यूनिवर्सिटी द्वारा उनके खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि मामले में सुनवाई पर रोक लगाने से शुक्रवार को इनकार कर दिया।

    कोर्ट ने कहा कि मुकदमे पर रोक लगाने की मांग करने वाली केजरीवाल की याचिका गुजरात हाईकोर्ट के समक्ष लंबित है और 29 अगस्त को पोस्ट की गई है।

    कोर्ट ने कहा,

    "हम एसएलपी में नोटिस जारी करने के इच्छुक नहीं हैं, क्योंकि मामला अभी भी हाईकोर्ट के समक्ष विचाराधीन है।"

    कोर्ट ने कहा,

    "हमें उम्मीद और भरोसा है कि हाईकोर्ट उक्त तारीख पर याचिका पर फैसला करेगा।"

    जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की खंडपीठ केजरीवाल द्वारा गुजरात हाईकोर्ट द्वारा उन्हें अंतरिम राहत देने से इनकार करने के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी। मामले की सुनवाई करने वाले अहमदाबाद के अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने पहले केजरीवाल और सह-आरोपी आप सांसद संजय सिंह को तलब किया था।

    सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सीनियर एडवोकेट डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मौजूदा मामले में समन आदेश गलत तरीके से जारी किया गया। मामले की पृष्ठभूमि बताते हुए सिंघवी ने कहा कि "गलत समन" आदेश के खिलाफ, सत्र न्यायालय के समक्ष पुनर्विचार याचिका दायर की गई।

    हालांकि सत्र न्यायालय ने पुनर्विचार याचिका पर नोटिस जारी किया, लेकिन मुकदमे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। इसके खिलाफ सीआरपीसी की धारा 482 के तहत हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई, जिसने मामले को 29 अगस्त के लिए पोस्ट करते हुए अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया।

    सिंघवी ने कहा,

    "ट्रायल कोर्ट ख़तरनाक गति से चल रहा है। अगली तारीख 31 अगस्त है। अगली तारीख 31 अगस्त है। पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई 31 अक्टूबर को है। ट्रायल कोर्ट इसे सितंबर में भी समाप्त कर सकता है।

    हालांकि, खंडपीठ ने यह देखते हुए हस्तक्षेप करने में अनिच्छा व्यक्त की कि मामला हाईकोर्ट के पास है।

    यूनिवर्सिटी की ओर से पेश हुए भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केजरीवाल द्वारा की गई टिप्पणियों में "अशुभ संकेत" है। उन्होंने दलील दी कि मामले में तथ्यों को गंभीर रूप से दबाया गया।

    एसजी ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट की अनुमति दी; हालांकि, इस तथ्य को केजरीवाल ने हाईकोर्ट में दायर याचिका में दबा दिया। एसजी ने आग्रह किया कि इस मामले को हाईकोर्ट के समक्ष उठाने की अनुमति दी जानी चाहिए।

    इस अनुरोध पर विचार करते हुए खंडपीठ ने आदेश में दर्ज किया,

    "हमें यह दर्ज करना चाहिए कि गुजरात यूनिवर्सिटी की ओर से सॉलिसिटर जनरल द्वारा कई दलीलें उठाई गईं। उक्त दलीलें हाईकोर्ट के समक्ष उठाई जा सकती हैं।"

    मानहानि मामले में यूनिवर्सिटी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षणिक डिग्री पर यूनिवर्सिटी के खिलाफ "व्यंग्यात्मक" और "अपमानजनक" बयानों ने उसे बदनाम किया।

    गुजरात हाईकोर्ट ने पीएम मोदी की डिग्री के विवरण का खुलासा करने के लिए मार्च में सीआईसी द्वारा पारित आदेश को रद्द कर दिया था और केजरीवाल पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया था।

    केस टाइटल: अरविंद केजरीवाल बनाम गुजरात राज्य एसएलपी (सीआरएल) नंबर 10191/2023

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