सुप्रीम कोर्ट ने Consumer Protection Act के तहत डॉक्टरों की जिम्मेदारी की पुष्टि करने वाले आदेश पर पुर्विचार से इनकार किया

Shahadat

19 Feb 2025 9:27 AM IST

  • सुप्रीम कोर्ट ने Consumer Protection Act के तहत डॉक्टरों की जिम्मेदारी की पुष्टि करने वाले आदेश पर पुर्विचार से इनकार किया

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने आदेश के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका खारिज की, जिसमें इंडियन मेडिकल एसोसिएशन बनाम वीपी शांता में 1995 के फैसले पर पुनर्विचार करने से इनकार कर दिया गया था। इसमें यह माना गया कि डॉक्टर और मेडिकल पेशेवर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 (जैसा कि 2019 में फिर से लागू किया गया) के दायरे में आते हैं।

    जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने निम्नलिखित शब्दों में आदेश पारित किया:

    "पुनर्विचार याचिका और संबंधित दस्तावेजों का सावधानीपूर्वक अध्ययन करने के बाद हमें पुनर्विचार याचिका पर विचार करने का कोई उचित कारण नहीं मिला। तदनुसार, पुनर्विचार याचिका खारिज की जाती है"।

    संक्षेप में कहें तो 14 मई, 2024 को जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मित्तल की 2 जजों की बेंच ने यह मानते हुए कि कानूनी पेशेवर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के दायरे में नहीं आते, वीपी शांता के मामले में दिए गए फैसले पर पुनर्विचार की आवश्यकता बताई थी।

    बेंच ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) से अनुरोध किया कि वे वीपी शांता के फैसले को पुनर्विचार के लिए बड़ी बेंच को भेजें। बाद में यह मामला जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस केवी विश्वनाथन की 3 जजों की बेंच के सामने आया, जिसने नवंबर, 2024 में वीपी शांता के फैसले पर पुनर्विचार करने से इनकार कर दिया और कहा कि 2 जजों की बेंच द्वारा रेफरेंस अनावश्यक था।

    न्यायालय ने टिप्पणी की,

    "हमें लगता है कि न्यायालय के समक्ष मुद्दा कानूनी पेशे से संबंधित था और न्यायालय ने स्पष्ट शब्दों में निष्कर्ष निकाला कि कानूनी पेशा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत नहीं आता है। चूंकि न्यायालय ने उपरोक्त निष्कर्ष निकाला है, शांता में इस न्यायालय के निष्कर्ष से इतर, संदर्भ आवश्यक नहीं था। यह प्रश्न कि क्या कानूनी पेशे को छोड़कर अन्य पेशेवर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत आ सकते हैं, उचित मामलों में विचार किया जा सकता है, जिसमें तथ्यात्मक आधार हो। मामले को देखते हुए हम संदर्भ का निपटान करते हैं।"

    केस टाइटल: मेडिको लीगल सोसाइटी ऑफ इंडिया बनाम बार ऑफ इंडियन लॉयर्स एंड ऑर्स., डायरी नंबर(एस). 57132/2024 सी.ए. नंबर 2646/2009

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