'फर्जी बाबाओं ' के आश्रमों को बंद करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार किया

LiveLaw News Network

21 Jan 2021 4:39 AM GMT

  • फर्जी बाबाओं  के आश्रमों को बंद करने की  याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार किया

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उस रिट याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें 'फर्जी बाबाओं' द्वारा चलाए जा रहे आश्रमों को बंद करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। अदालत ने कहा कि ये मामला उसके दायरे में नहीं आता।

    याचिका में डंम्पला राम रेड्डी ने "फर्जी बाबाओं" द्वारा चलाए जा रहे सभी आश्रमों को यह कहते हुए बंद करने की मांग की कि कई निर्दोष व्यक्तियों, विशेषकर महिलाओं को वहां कैद में रखा गया था।

    याचिकाकर्ता की वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ मेनका गुरुस्वामी ने भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि 'अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद' - भारत में साधुओं की एक शीर्ष संस्था- ने 'फर्जी बाबाओं' की एक सूची प्रकाशित की है।

    सीजेआई ने जवाब दिया कि बेंच 'अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद' द्वारा तैयार की गई सूची पर भरोसा नहीं कर सकती है।

    सीजेआई ने कहा,

    "हम उस सूची पर कैसे भरोसा कर सकते हैं? हमें नहीं पता कि सूची उन्हें सुनने के बाद तैयार की गई थी या नहीं।"

    डॉ गुरुस्वामी ने उत्तर दिया कि संगठन अत्यधिक प्रतिष्ठित है, आदि शंकराचार्य के वंश का है ।

    "हम उनका अपमान नहीं कर रहे हैं। लेकिन हम इस सूची पर कैसे भरोसा कर सकते हैं जो किसी व्यक्ति द्वारा अपने सिद्धांतों और सोच के आधार पर बनाई गई है। अदालत को कैसे पता चलेगा कि कौन नकली बाबा है और कौन नहीं?"

    इसके जवाब में डॉ गुरुस्वामी ने कहा कि इस सूची में राम रहीम सिंह जैसे सजायाफ्ता आध्यात्मिक बाबाओं के नाम हैं।

    सीजेआई ने जवाब में कहा,

    "लोगों के पास न जाने के लिए सभी और कारण हैं। आप सुप्रीम कोर्ट से यह क्यों कहलवाना चाहते हैं?"

    तब, डॉ गुरुस्वामी ने कहा कि भारत संघ को पिछसे मौके पर याचिका का जवाब देने के लिए कहा गया था और याचिकाकर्ता केंद्र से ऐसे आश्रमों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए निर्देश मांग रहा है।

    सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रस्तुत किया कि केंद्र याचिका का विरोध कर रहा है। एसजी ने प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता ने दिल्ली उच्च न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है, जिसमें एक कथित फर्जी बाबा की हिरासत से उसकी बेटी को छोड़ने की मांग की गई है, जो लंबित है।

    पीठ ने याचिका पर विचार करने के लिए असहमति व्यक्त की और इसे वापस लेने का सुझाव दिया।

    डॉ गुरुस्वामी याचिका वापस लेने के लिए सहमत हो गईऔर उसे वापस ले लिया गया।

    जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन की शामिल पीठ ने कहा,

    "मेनका गुरुस्वामी, याचिकाकर्ता (डम्पला रामरेड्डी) की ओर से पेश होने वाली वरिष्ठ वकील इस याचिका को वापस लेने की अनुमति चाहती हैं। अनुमति दी जाती है। तदनुसार, रिट याचिका को खारिज कर दिया जाता है।"

    सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी जिसमें फर्जी 'बाबाओं' द्वारा चलाए जा रहे 'आश्रमों' और आध्यात्मिक केंद्रों को बंद करने के लिए केंद्र सरकार को दिशा-निर्देश देने की मांग की गई। याचिका में कहा गया कि इन आश्रमों में सैकड़ों महिलाओं को अस्वच्छ परिस्थितियों में रखा गया है, जिससे COVID-19 फैलने का भारी खतरा है।

    सिकंदराबाद निवासी याचिकाकर्ता डम्पला रामरेड्डी ने भी देश में आध्यात्मिक संस्थाओं 'आश्रमों' की स्थापना के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने की मांग भी की।

    दायर याचिका में कहा गया है कि सरकारी अधिकारी 'फर्जी बाबाओं' के खिलाफ कोई कार्रवाई करने में विफल रहे जो आश्रम चला रहे हैं और विशेषकर महिलाओं को फंसा रहे हैं। उन्होंने कहा है कि हजारों महिलाओं को आश्रमों में रहने के लिए मजबूर किया गया और उन्हें ड्रग्स और नशीले पदार्थ दिए गए।

    दलीलों में कहा गया,

    "हालांकि वीरेंद्र देव दीक्षित, आसाराम बापू, राम रहीम बाबा आदि के खिलाफ बहुत गंभीर आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं..., लेकिन उनके आश्रम अभी भी उनके करीबी सहयोगियों की मदद से चलाए जा रहे हैं और अधिकारी वहां उपलब्ध सुविधाओं का सत्यापन नहीं कर रहे हैं।"

    याचिकाकर्ता ने बलात्कार के आरोपी दीक्षित के दिल्ली स्थित रोहिणी आश्रम आध्यात्म विश्व विद्यालय में भी हंगामा किया था जहां उनकी बेटी पिछले पांच साल से रह रही थी।वहां कई लड़कियों की शिकायतों के बाद अदालत द्वारा नियुक्त पैनल ने छापा मारा था।

    याचिकाकर्ता ने कहा कि उनकी अपनी बेटी 2015 से रोहिणी, दिल्ली में ऐसे आश्रम में रह रही है, जिसकी स्थापना एक फर्जी बाबा ने की थी, जो एक बलात्कार का आरोपी है और लगभग 3 साल से फरार है।

    इस बारे में उन्होंने कोर्ट से,

    "अपनी बेटी समेत 170 महिलाओं को कोरोना से बचाने के लिए दिशा-निर्देश मांगा, जो दिल्ली के रोहिणी में अद्वैतमिका विद्यालय में जेल की तरह में रह रही हैं, जैसा कि देश भर की जेलों के कैदियों के मामले में किया गया "

    याचिकाकर्ता ने दावा किया कि देश और राष्ट्रीय राजधानी में 17 आश्रमों में सैकड़ों / हजारों शिष्य रहते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी बाबाओं द्वारा फंसाए गए लोगों में से एक है। इस बाबा (वीरेंद्र देव दीक्षित) के खिलाफ विभिन्न राज्यों में कई आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं, लेकिन, अधिकारियों द्वारा आश्रमों को बंद नहीं किया गया है और साथ ही ऐसे बाबाओं / आश्रमों को पैसे का स्रोत सरकार द्वारा पता लगाया नहीं लगाया गया है।

    याचिकाकर्ता ने अतिरिक्त रूप से अधिकारियों के लिए निर्देश मांगा कि आश्रम में रहने वालों का एक रजिस्टर सुनिश्चित किया जाए और नकली आश्रमों का सत्यापन किया जाए।

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