सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को पूर्व सीजेआई दीपक मिश्रा की नियुक्ति को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता पर लगाए गए 10 लाख रुपये के जुर्माने की वसूली सुनिश्चित करने का निर्देश दिया

Shahadat

6 Aug 2022 5:20 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली पुलिस कमिश्नर को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि मुकेश जैन नामक व्यक्ति पर लगाए गए 10 लाख रुपये का जुर्माना की वसूली के लिए आवश्यक कदम उठाने जाएं।

    मुकेश जैन ने दिवंगत स्वामी ओम जी (स्वघोषित धर्मगुरु) के साथ मिलकर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) की नियुक्ति के लिए अपनाई गई मौजूदा प्रक्रिया पर हमला करते हुए तुच्छ मुकदमा दायर किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जुर्माना की राशि को दिल्ली में उसकी अचल संपत्तियों से भू-राजस्व के बकाया के रूप में वसूल किया जाए।

    कोर्ट ने कहा,

    "कमिश्नर तुरंत ऐसा करेंगे और उसके बाद तीन महीने की अवधि के भीतर अनुपालन की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करेंगे।"

    सुप्रीम कोर्ट ने 06.05.2022 को मुकेश जैन की दिल्ली/कटक में अचल संपत्तियों को कुर्क करने का निर्देश दिया था। जैन के वकील ने अदालत को सूचित किया था कि उनके मुवक्किल ने अपना आवास कटक में स्थानांतरित कर दिया है। तदनुसार, सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री को उनके आवासीय पते का विवरण उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया। कोर्ट ने आगे कहा कि अगर मुकेश जैन का पता नहीं चलता है तो उसे जमानती वारंट जारी किया जाना चाहिए।

    वकील ने यह भी बताया कि ओडिशा में जैन के खिलाफ चार आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं।

    इसके बाद 19.05.2022 को उन्होंने अपने मुवक्किलों का पता प्राप्त करने और उसे कोर्ट के रिकॉर्ड के लिए फाइल करने के लिए समय मांगा।

    जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी परदीवाला ने शुक्रवार को कहा कि जिला एवं सत्र न्यायाधीश, कटक की दिनांक 12.07.2022 की रिपोर्ट के अनुसार, कटक जिले के पुलिस अधीक्षक ने गिरफ्तारी के जमानती वारंट को इस आधार पर वापस कर दिया कि मुकेश जैन का विस्तृत पता उल्लिखित नहीं है।

    जैन द्वारा 25.05.2022 को दायर अतिरिक्त हलफनामे में अपने दिल्ली में अपने पते का खुलासा किया है। उसी पर विचार करते हुए एएसजी सुश्री ऐश्वर्या भाटी ने बेंच को सूचित किया कि दिल्ली पुलिस के आयुक्त यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे कि जुर्माना की राशि के संबंध में इस न्यायालय के आदेश को विधिवत लागू किया जाए, जिसे भूमि के बकाया के रूप में वसूल किया जाएगा।

    मामले की अगली सुनवाई 7 नवंबर, 2022 को होगी।

    पूर्व सीजेआई दीपक मिश्रा की नियुक्ति को चुनौती देने वाली जैन और स्वामी ओमजी (अब मृतक) द्वारा दायर जनहित याचिका 2017 में 'प्रेरित और प्रचार स्टंट' होने के कारण खारिज कर दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि दोनों ने अगले सीजेआई के पद की शपथ से केवल एक कार्य दिवस पहले अंतिम क्षण में कानूनी उपाय का लाभ उठाने का विकल्प चुना।

    कोर्ट ने यह भी नोट किया कि याचिकाकर्ताओं द्वारा ली गई कानूनी सलाह के खिलाफ जनहित याचिका दायर की गई। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि भारत के अगले सीजेआई की नियुक्ति में अपनाई गई प्रक्रिया भारत के संविधान के अनुच्छेद 124 (2), 124 (3) और 124 ए का स्पष्ट उल्लंघन है।

    सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका का निपटारा करते हुए दोनों याचिकाकर्ताओं में से प्रत्येक पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। उन्हें एक महीने के भीतर राशि जमा करने का निर्देश दिया गया, जो अंततः प्रधानमंत्री राहत कोष में जाएगी।

    [केस टाइटल: स्वामी ओम जी बनाम भारत संघ एमए नंबर 753 of 2022]

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