17 साल में भी मामला तय नहीं कर पाया कॉमर्शियल कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार

Shahadat

2 Jun 2025 11:58 AM IST

  • 17 साल में भी मामला तय नहीं कर पाया कॉमर्शियल कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार

    सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात कॉमर्शियल सिविल कोर्ट द्वारा 17 साल से अधिक समय तक वसूली के मुकदमे में मुद्दे तय करने में निष्क्रियता पर नाराजगी व्यक्त की। इसके अलावा, न्यायालय ने वादी के साक्ष्य को बंद करके मुकदमे को समाप्त करने के कॉमर्शियल कोर्ट के मनमाने तरीके की आलोचना की, जिसके बाद परिणामी बर्खास्तगी आदेश दिया गया।

    न्यायालय ने कहा,

    "हालांकि, चौंकाने वाली बात यह है कि अपीलकर्ता ने वर्ष 2001 में वसूली के लिए मुकदमा दायर किया था। कॉमर्शियल सिविल कोर्ट को मुद्दे तय करने में 17 साल से अधिक का समय लगा। उसके बाद न्यायालय ने वादी के साक्ष्य को बंद करके और उसके बाद परिणामी बर्खास्तगी आदेश देकर मुकदमे को संक्षेप में समाप्त करना उचित समझा। जिस तरह से मुकदमे से निपटा गया, उससे कई सवाल उठते हैं, जिसमें सिस्टम की जवाबदेही, समय पर न्याय देने के लिए हमें जो कदम उठाने की जरूरत है। साथ ही उतना ही महत्वपूर्ण है कि मामलों के शीघ्र निपटान के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा प्रदान करने के लिए अन्य हितधारकों को संवेदनशील बनाया जाए।"

    जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने एक ऐसे मामले की सुनवाई की, जिसमें कॉमर्शियल कोर्ट ने अपीलकर्ता के वसूली मुकदमे में मुद्दे तय करने में देरी की थी और अंततः उन मुद्दों को ठीक से संबोधित किए बिना मुकदमे को खारिज कर दिया था।

    जवाब में अपीलकर्ता ने हाईकोर्ट के समक्ष अपील दायर की, जिसमें दाखिल करने में 476 दिनों की देरी के लिए माफ़ी मांगने वाला आवेदन भी शामिल है। हालांकि, हाईकोर्ट ने अपील और माफ़ी आवेदन दोनों को खारिज कर दिया। इससे व्यथित होकर अपीलकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    हाईकोर्ट का निर्णय दरकिनार करते हुए न्यायालय ने कहा कि विलम्ब पर विचार करते समय अधिक सहानुभूति और करुणा दिखाई जानी चाहिए थी, खासकर तब जब अपीलकर्ता ने अपने मामले के निर्णय के लिए दो दशकों से अधिक समय तक प्रतीक्षा की थी।

    न्यायालय ने टिप्पणी की,

    “इस मामले की विशिष्ट परिस्थितियों में जहां वादी दो दशकों से अधिक समय से कतार में खड़ा है, हम संतुष्ट हैं कि हाईकोर्ट को भी 476 दिनों की देरी के लिए माफी के आवेदन पर विचार करते समय सहानुभूति और करुणा दिखानी चाहिए थी।”

    तदनुसार, अपील को अनुमति दी गई और विवादित आदेश रद्द कर दिया गया।

    कॉमर्शियल कोर्ट को निर्देश दिया गया,

    “वादी को अपने शेष साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए दो अवसर प्रदान किए जाएं। ये दोनों अवसर 31.07.2025 से पहले दिए जाने चाहिए।”

    न्यायालय ने कहा,

    “यदि वादी साक्ष्य प्रस्तुत करने में विफल रहता है तो कॉमर्शियल कोर्ट साक्ष्य को बंद करने के लिए स्वतंत्र होगा।”

    Case Title: GUJARAT INDUSTRIAL INVESTMENT CORPORATION LTD. VERSUS VARANASI SRINIVAS & ORS.

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