'केरल सरकार द्वारा अनुचित हस्तक्षेप': सुप्रीम कोर्ट ने कन्नूर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर की पुनर्नियुक्ति रद्द की

Shahadat

30 Nov 2023 6:08 AM GMT

  • केरल सरकार द्वारा अनुचित हस्तक्षेप: सुप्रीम कोर्ट ने कन्नूर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर की पुनर्नियुक्ति रद्द की

    सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में गुरुवार (30 नवंबर) को केरल के कन्नूर यूनिवर्सिटी के वाइस-चांसलर (वीसी) के रूप में डॉ.गोपीनाथन रवींद्रन की दोबारा नियुक्ति रद्द कर दी।

    न्यायालय ने पुनर्नियुक्ति रद्द कर दी, जिसे नवंबर 2021 में अधिसूचित किया गया था।

    कोर्ट ने कहा कि "राज्य सरकार द्वारा अनुचित हस्तक्षेप" के आधार पर और यह देखते हुए कि वाइस-चांसलर (केरल के राज्यपाल) ने पुनः नियुक्ति के लिए वैधानिक शक्तियों को "त्याग दिया, या आत्मसमर्पण" कर दिया।

    इस निष्कर्ष पर पहुंचने में न्यायालय ने केरल राजभवन द्वारा जारी प्रेस रिलीज पर ध्यान दिया, जिसमें कहा गया कि पुनर्नियुक्ति की प्रक्रिया मुख्यमंत्री और उच्च शिक्षा मंत्री द्वारा शुरू की गई थी।

    कोर्ट ने कहा,

    "यद्यपि पुनर्नियुक्ति की अधिसूचना वीसी द्वारा जारी की गई, लेकिन राज्य सरकार के अनुचित हस्तक्षेप के कारण यह निर्णय अमान्य हो गया।"

    चीफ जस्टिटस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने वीसी की पुनर्नियुक्ति को मंजूरी देने और दिसंबर, 2021 के एकल की पुष्टि करते हुए केरल हाईकोर्ट की खंडपीठ द्वारा दिए गए फरवरी 2022 के फैसले को चुनौती देने वाली अपील स्वीकार कर ली थी।

    पीठ की ओर से फैसला सुनाने वाले जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि चार प्रश्नों पर विचार किया गया:

    1. क्या कार्यकाल वाले पद पर पुनर्नियुक्ति की अनुमति है।

    2. क्या कन्नूर यूनिवर्सिटी एक्ट की धारा 10(9) में निर्धारित 60 वर्ष की ऊपरी आयु सीमा चार साल के लिए पुनर्नियुक्ति के मामले में भी लागू है।

    3. क्या पुनर्नियुक्ति में चयन पैनल गठित करके वीसी की नियुक्ति के समान प्रक्रिया का पालन करना होगा।

    4. क्या वीसी ने पुनर्नियुक्ति की वैधानिक शक्ति त्याग दी?

    न्यायालय द्वारा प्रश्नों का उत्तर इस प्रकार दिया गया:

    1. कार्यकाल वाले पद पर पुनर्नियुक्ति की अनुमति है।

    2. पुनर्नियुक्ति की स्थिति में 60 वर्ष की आयु सीमा लागू नहीं होगी।

    3. यह आवश्यक नहीं है कि पुनर्नियुक्ति में भी नई नियुक्ति की ही प्रक्रिया अपनाई जाए।

    हालांकि, पीठ ने चौथे प्रश्न पर अपील स्वीकार कर ली।

    जस्टिस पारदीवाला ने कहा,

    "हमने यह विचार किया कि वीसी ने वैधानिक शक्ति का त्याग कर दिया है या आत्मसमर्पण कर दिया है, जिससे पूरी निर्णय लेने की प्रक्रिया अमान्य हो गई।"

    कोर्ट ने कहा,

    "हम उम्मीदवार की उपयुक्तता से चिंतित नहीं हैं, क्योंकि उपयुक्तता नियुक्ति प्राधिकारी पर निर्भर है... यह निर्णय लेने की प्रक्रिया है, जिसने वीसी की पुनः नियुक्ति को प्रभावित किया है। निर्णय की ऐसी शक्ति न्यायिक पुनर्विचार के योग्य है।"

    उल्लेखनीय है कि अक्टूबर, 2022 में इसी तरह के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता यूनिवर्सिटी के वीसी की पुनर्नियुक्ति इस आधार पर रद्द कर दी थी कि पश्चिम बंगाल राज्य सरकार ने "चांसलर की शक्तियों को हड़प लिया था।"

    हाईकोर्ट के समक्ष कार्यवाही

    एकल न्यायाधीश ने कन्नूर यूनिवर्सिटी के सीनेट और अकादमिक परिषद के निर्वाचित सदस्यों द्वारा दायर रिट को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि विवादित नियुक्ति ने वर्तमान वीसी की पुनर्नियुक्ति के किसी भी वैधानिक प्रावधान का उल्लंघन नहीं किया। एसएलपी में याचिकाकर्ताओं ने कन्नूर यूनिवर्सिटी एक्ट की धारा 10(9) पर भरोसा करते हुए तर्क दिया कि जब 23 नवंबर, 2021 को वीसी की पुनर्नियुक्ति की अधिसूचना जारी की गई तो वह साठ वर्ष की आयु पार कर चुके थे, जो कि उस पद पर नियुक्ति की आयु सीमा है। उसी का हवाला देते हुए उन्होंने तर्क दिया कि उस तिथि तक वीसी नियुक्त होने के योग्य नहीं है।

    हाईकोर्ट ने अधिनियम की धारा 10(10) पर भरोसा करते हुए कहा कि पद धारण करने वाला वीसी पुनर्नियुक्ति के लिए पात्र है। पुनर्नियुक्ति पर एकमात्र प्रतिबंध यह है, कि एक व्यक्ति को 2 कार्यकाल से अधिक के लिए वीसी के रूप में नियुक्त नहीं किया जाएगा।

    हाईकोर्ट ने कहा,

    "... क़ानून ने ही पुनर्नियुक्ति के संबंध में स्पष्ट प्रक्रिया बनाई और यह स्पष्ट कर दिया कि जो वाइस चांसलर प्रारंभिक नियुक्ति के परिणामस्वरूप 4 साल की अवधि के लिए पद धारण करेगा, वह पुनर्नियुक्ति के लिए पात्र होगा।“

    केस टाइटल: डॉ. प्रेमचंद्रन कीज़ोथ और अन्य बनाम चांसलर कन्नूर यूनिवर्सिटी और अन्य | सीए नंबर 7700/2023

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