सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टर के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का आरोप खारिजा किया, फोन पर दिए निर्देश पर इंजेक्शन लगाने से हो गई थी मरीज की मौत
Shahadat
21 Feb 2025 3:41 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में डॉक्टर के खिलाफ गैर इरादतन हत्या (भारतीय दंड संहिता की धारा 304, भाग 1) का आरोप खारिज कर दिया, जिसने नर्स को इंजेक्शन लगाने के लिए टेलीफोन पर निर्देश दिया था, जिसके कारण प्रतिकूल प्रतिक्रिया के कारण मरीज की मौत हो गई।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने ट्रायल कोर्ट को धारा 304ए आईपीसी (लापरवाही से मौत) के तहत मामले को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया।
धारा 304 भाग I आईपीसी के तहत गैर इरादतन हत्या के लिए निर्धारित अधिकतम सजा दस साल की कैद, जुर्माना या दोनों है। जबकि धारा 304ए आईपीसी के तहत लापरवाही से हुई मौत के लिए निर्धारित अधिकतम सजा दो साल की कैद, जुर्माना या दोनों है।
अपीलकर्ता पर फोन पर स्टाफ नर्स को इंजेक्शन लगाने का निर्देश देने का आरोप था, जिसके कारण कथित तौर पर प्रतिकूल प्रतिक्रिया के कारण मरीज की मौत हो गई। अभियोजन पक्ष ने शुरू में उस पर धारा 304 भाग I IPC के तहत मामला दर्ज किया, जो एक गंभीर अपराध है जिसके लिए दस साल तक की कैद हो सकती है। हालांकि, बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि यह मामला अधिकतम धारा 304A IPC के तहत मेडिकल लापरवाही का है, जिसके लिए अधिकतम दो साल की सजा हो सकती है।
गैर-इरादतन हत्या के मामले को खारिज करने से इनकार करने वाले हाईकोर्ट के फैसले से व्यथित होकर अपीलकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपीलकर्ता ने न केवल यह तर्क दिया कि मामला धारा 304ए आईपीसी के अंतर्गत आना चाहिए, बल्कि यह भी कि हाईकोर्ट ने जैकब मैथ्यू बनाम पंजाब राज्य और अन्य (2005) 6 एससीसी 1 में स्थापित मिसाल का हवाला देते हुए इंजेक्शन लगाने वाली नर्स के खिलाफ आरोपों को पहले ही खारिज कर दिया था।
हाईकोर्ट के निर्णय को दरकिनार करते हुए न्यायालय ने अपीलकर्ता के मामले में बल पाया और कहा,
“धारा 304 भाग I आईपीसी के तहत FIR का रजिस्ट्रेशन और उसके बाद धारा 173 (2) CrPC के तहत पुलिस रिपोर्ट प्रस्तुत करना भी धारा 304 भाग I आईपीसी के तहत कायम नहीं रह सकता।”
परिणामस्वरूप, न्यायालय ने अपील स्वीकार की, अभियुक्त के खिलाफ गैर इरादतन हत्या के आरोपों को खारिज कर दिया और ट्रायल कोर्ट को लापरवाही के कारण हुई मौत के लिए धारा 304ए आईपीसी के तहत मामले को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया।
अदालत ने कहा,
"हम तदनुसार अपील स्वीकार करते हैं, आरोपित आदेश रद्द करते हैं, ट्रायल कोर्ट को 304 भाग I आईपीसी के तहत आरोप को माफ करने और धारा 304-ए, आईपीसी के तहत आरोप को पढ़ने के बाद आगे बढ़ने का निर्देश देते हैं। सेशन जज मुकदमे को आगे बढ़ाने के लिए ऐसे मामलों से निपटने के लिए नियुक्त सक्षम मजिस्ट्रेट को रिकॉर्ड भेजेंगे।"
केस टाइटल: डॉ. मोहन बनाम तमिलनाडु राज्य और अन्य।

