सारंडा और सासंगदाबुरु वन्यजीव अभयारण्यों को अधिसूचित करने में देरी के लिए सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार को फटकार लगाई

Shahadat

27 Sept 2025 10:22 AM IST

  • सारंडा और सासंगदाबुरु वन्यजीव अभयारण्यों को अधिसूचित करने में देरी के लिए सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार को फटकार लगाई

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में सारंडा/सासंगदाबुरु वनों को वन्यजीव अभयारण्य और संरक्षण रिजर्व घोषित करने के अपने पिछले आश्वासनों का बार-बार पालन न करने पर झारखंड राज्य की खिंचाई की। अदालत ने कहा कि यदि इस मुद्दे पर पिछले आदेशों का अनुपालन अगली सुनवाई की तारीख से पहले नहीं किया जाता है तो राज्य के मुख्य सचिव को कारण बताना होगा कि उनके खिलाफ अवमानना ​​का मुकदमा क्यों न चलाया जाए।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की खंडपीठ टीएन गोदावर्मन मामले के तहत पर्यावरण संबंधी मामलों के समूह में राज्य सरकार के खिलाफ आवेदन पर सुनवाई कर रही थी।

    खंडपीठ ने कहा कि यद्यपि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने 12 जुलाई, 2022 के अपने आदेश द्वारा राज्य सरकार को इस क्षेत्र को अभयारण्य घोषित करने पर विचार करने का निर्देश दिया था। हालांकि, आवेदक द्वारा अंतरिम आवेदन दायर करने के लिए बाध्य किए जाने तक कोई कदम नहीं उठाया गया। समृद्ध जैव विविधता और प्राचीन साल के जंगलों को ध्यान में रखते हुए अदालत ने राज्य को 20 नवंबर, 2024 को अपनी निष्क्रियता के स्पष्टीकरण हेतु हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।

    इसके बाद राज्य द्वारा हलफनामे प्रस्तुत किए गए, जिनमें कहा गया कि 57,519.41 हेक्टेयर क्षेत्र को सारंडा वन्यजीव अभयारण्य और 13,603.806 हेक्टेयर क्षेत्र को सासंगदाबुरु संरक्षण रिजर्व घोषित करने के प्रस्ताव प्रस्तुत किए गए, जिन्हें भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII), देहरादून को भी टिप्पणियों के लिए भेजा गया। 29 अप्रैल, 2025 को राज्य ने न्यायालय को सूचित किया कि WII की सिफारिशों के अधीन, कैबिनेट की मंजूरी के बाद अंतिम अधिसूचना जारी की जाएगी।

    हालांकि, WII द्वारा 30 मई, 2025 को सकारात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बावजूद, न्यायालय को सूचित किया गया कि राज्य ने 13 मई, 2025 को "प्रस्तावित अभयारण्य की सीमा/क्षेत्र की समीक्षा" के लिए समिति गठित की, जिसमें भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण द्वारा अधिसूचित क्षेत्र में खनन संभावनाओं की पहचान का हवाला दिया गया।

    अदालत ने इस तथ्य को गंभीरता से लिया कि राज्य सरकार ने 20 फरवरी, 16 अप्रैल और 29 अप्रैल, 2025 को दायर अपने पूर्व हलफनामों के विपरीत अपना रुख बदल दिया।

    अदालत ने कहा कि राज्य सरकार ने न्यायालय की स्पष्ट अवमानना ​​की:

    "वास्तव में जब सचिव न्यायालय में उपस्थित है तो 29.04.2024 के हलफनामे में अदालत को स्पष्ट संकेत दिया गया कि WII द्वारा अनुमोदन के बाद सभी आवश्यक औपचारिकताएं, अर्थात राज्य वन्यजीव बोर्ड और मंत्रिमंडल की स्वीकृति प्राप्त करना, पूरी कर ली जाएंगी। इसलिए हमने औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए दो महीने का समय दिया था।"

    अदालत ने कहा,

    "हमारा सुविचारित मत है कि झारखंड राज्य सरकार इस अदालत द्वारा 29.04.2025 को पारित आदेश की स्पष्ट अवमानना ​​कर रही है।"

    तदनुसार, अदालत ने झारखंड के मुख्य सचिव को 8 अक्टूबर, 2025 को प्रातः 10:30 बजे व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर कारण बताने का निर्देश दिया कि अवमानना ​​कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए। अदालत ने आगे चेतावनी दी कि यदि आदेश का लगातार पालन नहीं किया गया तो अदालत राज्य को अपने पूर्व के वचनों के अनुसार कार्य करने का आदेश देते हुए परमादेश जारी करने के लिए बाध्य होगा।

    हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि राज्य सरकार अगली सुनवाई की तारीख से पहले 29 अप्रैल के आदेश का पालन करती है तो राज्य के मुख्य सचिव की व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी जाएगी।

    अदालत ने आगे कहा,

    "हम आगे स्पष्ट करते हैं कि यदि राज्य 29.04.2025 के हलफनामे में दिए गए अपने कथनों का पालन करने में विफल रहता है तो अदालत को राज्य को इस न्यायालय के समक्ष दिए गए कथनों का पालन करने का आदेश देते हुए परमादेश जारी करना होगा।"

    Case Details : In Re: T.N. Godavarman Thirumulpad v. Union of India & Ors WRIT PETITION (CIVIL) NO. 202/1995

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