"आप यहां क्या कर रहे हैं"? सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली जज को अपने मामले की सुनवाई में शामिल होने के लिए छुट्टी लेने पर फटकार लगाई

LiveLaw News Network

1 Dec 2021 6:38 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली

    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली न्यायिक सेवा के एक जज को अपने निजी मामले की सुनवाई में शामिल होने के लिए ड्यूटी से छुट्टी लेने के लिए फटकार लगाई।

    न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ दिल्ली न्यायपालिका में सिविल जज जूनियर डिवीजन की पदोन्नति से संबंधित एक आवेदन पर विचार कर रही थी।

    यह देखते हुए कि सुनवाई के लिए आवेदकों में से एक कोर्ट में उपस्थित है, न्यायमूर्ति राव ने पूछा,

    "आप यहां क्या कर रहे हैं? न्यायालय वहां किस समय शुरू होता है?"

    "सुबह 10 बजे",

    आवेदक ने उत्तर दिया।

    न्यायमूर्ति राव ने उनसे कहा,

    "अभी लगभग 10.50 बज रहे हैं। आप यहां क्यों हैं? आपको अदालत में बैठना चाहिए।"

    आवेदक ने उत्तर दिया कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट आने के लिए शॉर्ट लीव (छुट्टी) ली है।

    जस्टिस राव ने तब पूछा कि शॉर्ट लीव की यह अवधारणा क्या है। जवाब में आवेदक ने कहा कि इसका मतलब कुछ घंटों की छुट्टी है।

    यह इंगित करते हुए कि आवेदक का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया द्वारा किया जा रहा है, न्यायमूर्ति राव ने जारी रखा,

    "आप एक सक्षम वकील द्वारा प्रतिनिधित्व करवा रहे हैं (और फिर यहां आए हैं) यह सिस्टम के लिए अच्छा नहीं है। वास्तव में खेदजनक स्थिति है।"

    तब आवेदक ने कहा कि वह सुनवाई छोड़ देंगे।

    न्यायमूर्ति राव ने वरिष्ठ अधिवक्ता पटवालिया से कहा,

    "उन्हें इस पर खेद भी नहीं हैं।"

    न्यायमूर्ति राव ने कहा,

    "वैसे भी, हम इसे आपके खिलाफ नहीं ले रहे हैं।"

    न्यायमूर्ति राव ने तब एक वकील के रूप में अपना व्यक्तिगत अनुभव सुनाया, जब उन्होंने महाराष्ट्र के न्यायिक अधिकारियों से संबंधित एक मामले को संभाला। उन्होंने कहा कि उन्होंने न्यायिक अधिकारियों को सलाह दी थी कि वे उन्हें जानकारी दें और छोड़ दें और अदालत की सुनवाई में शामिल न हों।

    जस्टिस गवई ने कहा कि जब बॉम्बे हाईकोर्ट में न्यायिक पदोन्नति से संबंधित एक मामले की सुनवाई हो रही थी, तो कोर्ट हॉल जजों से भर गया था।

    ये आवेदन दिल्ली न्यायिक अधिकारियों द्वारा अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ के मामले में दायर किए गए थे, जिसमें पहले पारित एक आदेश में संशोधन की मांग की गई थी, जिसमें यह शर्त लगाई गई थी कि जिला न्यायाधीश के लिए सीमित प्रतियोगी परीक्षा में उपस्थित होने के लिए एक व्यक्ति को सिविल जज सीनियर डिवीजन के रूप में न्यूनतम 5 वर्ष का अनुभव होना चाहिए।

    वरिष्ठ अधिवक्ता पटवालिया ने तर्क दिया कि जूनियर डिवीजन और सीनियर डिवीजन जजों के काम की प्रकृति समान है और जूनियर डिवीजन जजों को जिला जजों की परीक्षा से बाहर करना अनुचित है।

    पीठ ने कहा कि वह जानना चाहती है कि अन्य उच्च न्यायालय इस बारे में क्या कह रहे हैं।

    न्यायमूर्ति राव ने कहा,

    "हम कोई आदेश पारित नहीं करना चाहते हैं और आवेदन आमंत्रित नहीं करना चाहते। हम एक एमिक्स क्यूरी नियुक्त करेंगे और हम देखेंगे कि क्या अन्य उच्च न्यायालयों को इस पर कुछ कहना है। हम मुकदमेबाजी की बाढ़ को रोकना चाहते हैं।"

    तदनुसार, पीठ ने निर्देश दिया कि आवेदनों को उच्च न्यायालयों और राज्यों के लिए पेश होने वाले वकीलों पर तामील किया जाए।

    पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ भटनागर को भी इस मामले में एमिक्स क्यूरी नियुक्त किया, क्योंकि पूर्व एमिक्स क्यूरी श्री एडीएम संपत का निधन हो गया।

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